गुवाहाटी: एक शिक्षक को उसके कथित आतंकी संबंधों के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद, असम के बोंगाईगांव जिले में एक मदरसे को जिला प्रशासन ने बुधवार को ध्वस्त कर दिया. भारतीय जनता पार्टी शासित पूर्वोत्तर राज्य में पिछले एक महीने में मदरसा गिराए जाने का यह तीसरा मामला है.
इसी तरह की कार्यवाही 29 अगस्त और 4 अगस्त को बारपेटा और मोरीगांव जिलों में भी की गई थी.
हालिया मामले में, प्रशासन ने कबाईतारी भाग- IV गांव में मराकजुल मारिफ क्वारियाना मदरसा के कैंपस में कई संरचनाओं को गिरा दिया.
मंगलवार को पुलिस ने मदरसा कैंपस से गिरफ्तार शिक्षक हाफिजुर रहमान मुफ्ती की दुकान पर छापा मारा था. छापे में उन्होंने बांग्लादेश के इस्लामिक ग्रुप अंसारुल्लाह बांग्ला टीम का एक पैम्फलेट और भारतीय उपमहाद्वीप में कायदा (एक्यूआईएस) अल कायदा के एक संदिग्ध लोगो समेत ‘आपत्तिजनक सामग्री’ जब्त की थी.
जिला प्रशासन ने अपने जारी आदेश में कहा कि मदरसे पर आपदा प्रबंधन अधिनियम के उल्लंघन के लिए कार्रवाई की गई, क्योंकि इसका स्ट्रक्चर रहने के लायक नहीं था, यह ‘कमजोर और असुरक्षित’ पाया गया.
आदेश में कहा गया, ‘इसके अलावा यहां आग, भूकंप जैसी किसी भी संभावित आपदा से निपटने के लिए पर्याप्त सुविधाएं नहीं थीं. ऐसे में न तो लोगों की निकासी की कोई व्यवस्था थी और न ही आपदा के दौरान इस्तेमाल किए जाने के लिए पर्याप्त खुली जगह थी.’
दिप्रिंट के पास आदेश की एक प्रति है.
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि उन मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है, जिनका संबंध आतंकवाद से है. उन्होंने बताया, ‘हमारा मदरसों को गिराने करने का कोई इरादा नहीं है. हमारा मकसद यह देखना है कि जिहादी तत्व उनका इस्तेमाल न करें. अगर हमें मदरसे की आड़ में भारत विरोधी गतिविधियों चलाने की जानकारी मिलती है तो हम ऐसे संस्थानों को गिरा देंगे.’
बारपेटा मामले में एक रिपोर्ट में जिला पुलिस प्रमुख अमिताभ सिंघा के एक पत्र का हवाला दिया गया था. उसमें कहा गया कि निजी मदरसे का बांग्लादेश के आतंकी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (एबीटी) के साथ कथित संबंध थे और जिस जमीन पर वह खड़ा था वह राज्य सरकार की थी.
कट्टरपंथी इस्लामी समूह अंसार अल-इस्लाम के साथ कथित रूप से संबंध रखने के आरोप में मदरसा चलाने वाले मुफ्ती मुस्तफा अहमद की गिरफ्तारी के बाद बारपेटा में यह कार्रवाई की गई.
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विध्वंस से पहले की कार्रवाई
दो इमामों द्वारा दिए गए सुराग के बाद पुलिस ने शुक्रवार को मदरसा शिक्षक हाफिजुर मुफ्ती रहमान को गिरफ्तार किया गया था. रहमान को अंसार अल-इस्लाम के साथ कथित संबंधों के आधार पर गोलपारा जिले से गिरफ्तार किया गया.
गोलपारा के पुलिस अधीक्षक वी.वी. राकेश रेड्डी ने दिप्रिंट को बताया, ‘हाफ़िज़ुर मुफ्ती रहमान ने एक्यूआईएस और एबीटी का भी सदस्य होने की बात कबूल ली है…उसे अब्दुल सुभान (इमाम) ने भर्ती किया था, जिसे हमने शुरू में गिरफ्तार किया था.’
मंगलवार को ग्वालपारा और बोंगईगांव पुलिस की संयुक्त टीम ने छापेमारी की थी. रेड्डी ने कहा, ‘हमने उसके बयान के बाद रहमान द्वारा चलाई जा रही एक छोटी सी दुकान की तलाशी ली. वहां से हमें आपत्तिजनक सामग्री बरामद हुई. इसमें एबीटी का एक पैम्फलेट और एक्यूआईएस का एक संदिग्ध लोगो शामिल है.’
छापेमारी के बाद जिला प्रशासन ने मंगलवार शाम को मदरसे को गिराने का आदेश दिया, जहां 224 छात्र पढ़ रहे थे.
बोंगईगांव के पुलिस अधीक्षक स्वप्नील डेका ने संवाददाताओं से कहा, ‘हमें आदेश मिला था और हमने उस पर तुरंत कार्रवाई की. कल रात वहां मौजूद 163 छात्रों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया और सुबह मदरसे को गिराने का काम शुरू हुआ.’
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के विधायक अमीनुल इस्लाम ने मोरीगांव, बारपेटा और बोंगईगांव में मदरसों को तोड़े जाने को लेकर असम सरकार पर निशाना साधा.
इस्लाम ने दिप्रिंट से कहा, ‘अगर कुछ चरमपंथी एक गांव में हैं, तो आप पूरे गांव को ध्वस्त नहीं कर सकते हो, आप घरों को ध्वस्त नहीं कर सकते हो.’ उन्होंने दावा किया कि ‘यह सिर्फ मुस्लिम समुदाय में दहशत पैदा करने और 2024 के चुनावों से पहले हिंदुओं और मुसलमानों के बीच तनाव पैदा करने के लिए किया जा रहा है.’
असम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भाबेश कलिता ने कहा कि जो कार्रवाई हुई है उसमें कोई राजनीति शामिल नहीं थी. कलिता ने दावा किया, ‘यह वह जगह है जहां जिहादी गतिविधियां बहुत ज्यादा (हो रही हैं) हैं. इसलिए प्रशासन की प्रक्रिया के तहत मदरसे को ढहा दिया गया. यह जिहादी गतिविधि को नियंत्रित करने के लिए किया गया है.’
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