बलरामपुर: वो सपने देखती थी और गांव में अकेली लड़की थी, जिसके पास लैपटॉप था जो पढ़ाई में उत्कृष्टता के लिए, उसे अपने स्कूल से इनाम में मिला था.
वकील बनकर अच्छी कमाई करके क़र्ज़ उतारने में अपने परिवार की मदद करने की इच्छा के चलते बलरामपुर निवासी क्लैट (कॉमन लॉ एडमीशन टेस्ट) की तैयारी कर रही थी, जिससे राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों में दाख़िले होते हैं, जब 29 सितंबर को उसके सपने धराशायी हो गए.
उस दिन दो लोगों ने, जिनमें एक किशोर था, उसे कथित रूप से अग़वा करके उसका गैंग-रेप किया और फिर बुरी तरह पिटाई की. उसके परिवार का कहना है कि उस शाम को जब वो दो किशोरों के साथ घर आई, तो ‘आधी बेहोश हालत’ में थी. उन्होंने कहा कि वो बहुत तकलीफ में थी और हिम्मत जुटा कर अपने परिवार से सिर्फ इतना कह पाई कि वो नहीं बचेगी.
वो नहीं बची.
वो महिला कुछ घंटे बाद मर गई, जब उसका परिवार उसे अस्पताल ले जा रहा था. दिप्रिंट के हाथ लगी उसकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चलता है कि उसकी पिटाई हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि उसकी मौत मरने से पहले लगे घावों से हुई और मौत का तात्कालिक कारण आघात और ख़ून का बहना था.
शव परीक्षण रिपोर्ट में टूटे हुए हाइमन का तो पता चला लेकिन उसमें योनि में घावों का उल्लेख नहीं है. लेकिन शव परीक्षण करने वाले डॉक्टर ने दिप्रिंट से कहा कि अभी यौन हमले को ख़ारिज नहीं किया जा सकता.
पुलिस का दावा है वयस्क संदिग्ध ने उनके ऊपर लगे, अपहरण, रेप और हत्या के आरोपों से इनकार किया है. माना जा रहा है कि शाहिद (23) ने पुलिस को बताया है कि वो महिला को जानता था और 29 सितंबर को वो अपनी मर्ज़ी से उससे मिलने उसके घर आई थी. उसने कहा है कि उसके घर पर महिला की तबीयत ख़राब हो गई.
उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि वो मामले की जांच कर रहे हैं और कड़ियों को जोड़कर पता लगा रहे हैं कि आख़िर हुआ क्या था.
इस बीच, उसका परिवार अपनी जवान बेटी की मौत के बाद उसके सदमे से उबरने की कोशिश कर रहा है.
मझौली गांव में अपने छप्पर के घर में दिप्रिंट से बात करते हुए महिला की मां ने कहा, ‘कोई ग़रीब की लड़की पढ़कर आगे नहीं बढ़ सकती. वो कुछ करती उससे पहले ही उसकी जान ख़त्म कर दी’.
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एक एनजीओ के साथ काम किया
22 वर्षीय महिला के परिवार के मुताबिक़, वो एक एनजीओ के साथ काम करती थी, जहां उसका काम किसानों को शिक्षित करना था कि सही बीज और ज़मीन का चुनाव करके वो किस तरह अपनी उपज बढ़ा सकते हैं.
परिवार ने बताया कि इस काम से, उसे क़रीब 3,000 रुपए मिलते थे जिसमें से ज़्यादातर वो किताबें ख़रीदने के लिए बचा लेती थी. उसकी मां ने ये भी कहा कि वो हर संभव कोशिश करती थीं यहां तक कि उधार भी ले लेती थीं, ताकि उनकी बेटी अपने सपनों को पूरा कर सके.
मां ने ये भी कहा,‘वो मुझसे अकसर कहती थी, कि एक बार वो वकील बन जाए, तो हमारी सारी मुसीबतें दूर हो जाएंगी ’.
उन्होंने बताया, ‘वो अपने एनजीओ सहयोगियों के साथ मीटिंगों के लिए जाती थी और किसानों को शिक्षित करने के लिए गांवों में जाती थी. वो बहुत सक्रिय और महत्वाकांक्षी थी. अगर वो किसी धनी परिवार से होती, तो उसके साथ ऐसा नहीं होता.’
‘पापा, मैं नहीं बचूंगी’
उसके परिवार ने दिप्रिंट को बताया कि अपराध के दिन पीड़िता सुबह के वक़्त एक स्थानीय निजी संस्थान में, बीए में दाख़िला लेने के लिए घर से निकली थी. उसकी मां ने कहा कि उसने दोपहर तक घर लौटने के लिए कहा था, लेकिन नहीं लौटी और उसका कुछ पता नहीं चला.
परिवार ने बताया कि शाम 6 बजे के क़रीब, वो एक साइकिल रिक्शा पर घर आई. वो आधी-बेहोशी की हालत में थी, और दो किशोर लड़के उसे दोनों ओर से पकड़े हुए थे.
मां ने बताया, ‘वो रिक्शा में नीचे बैठी हुई थी. उसके बाल पूरे बिखरे हुए थे, वो सीधे बैठ भी नहीं पा रही थी और दो लड़के उसे दोनों तरफ से पकड़े हुए थे. मैं उसकी तरफ भागी और पूछा कि क्या हुआ, लेकिन वो जवाब नहीं दे सकी.’
उन्होंने आगे कहा, ‘उसकी आंखें बंद हो रहीं थीं उसके सारे कपड़े भीगे हुए थे और उसके हाथ पर एक कैनुला थी.’
कैनुला एक ट्यूब होती है, जो हेल्थकेयर स्टाफ शरीर में फ्लूइड्स डालने या निकालने के लिए, मरीज़ के हाथ में लगाता है.
मां ने कहा,‘उसके पिता ने आकर उसे अपनी बाहों में उठा लिया, क्योंकि वो खड़ी नहीं हो पा रही थी. वो उसे अंदर ले गए. उसने बस इतना कहा, ‘पापा, मैं नहीं बचूंगी’. उन्होंने ये भी कहा,‘हम समझ ही नहीं पाए कि हो क्या रहा था, वो कैनुला किसने लगाया था ’.
फिर लड़की अपने पेट में जलन की शिकायत करने लगी, और उसने अपनी मां से कहा कि वो बहुत तकलीफ में है.
लड़की के पिता, जो मज़दूरी का काम करते हैं, ने कहा ‘हम उसे डॉक्टर के पास ले गए. डॉक्टर ने हमें बताया कि उसकी हालत बिगड़ रही है, और हमें उसे किसी बड़े अस्पताल ले जाना चाहिए. हम रास्ते में ही थे, जब उसने मेरे हाथों में आख़िरी सांस ली’.
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कैनुला और दो अभियुक्त
लड़की के दादा ने कहा कि जब वो घर लौटी, तो उन्होंने रिक्शा-पुलर से पूछा कि वो उसे कहां से लाया है. दादा ने दिप्रिंट से कहा, कि रिक्शा-पुलर ने उन्हें बताया, कि वो बाज़ार में सड़क किनारे बैठी थी, और ‘बेहोश हो रही थी’.
उन्होंने कहा, ‘मैं फौरन बाज़ार गया और वहां लोगों से पूछा, कि क्या उन्होंने किसी को उसे वहां ड्रॉप करते हुए देखा था. मुझे बताया गया कि दो लोगों ने, ज़िया-उर-रहमान नाम के एक डॉक्टर को, एक महिला के इलाज के लिए बुलाया था, जो बेहोश हो गई थी.’
दादा ने आगे कहा,‘मैंने फौरन जाकर डॉक्टर से पता किया, जिन्होंने मुझे बताया कि दो लोगों ने, उन्हें उसके इलाज के लिए अपने घर बुलाया था’. लेकिन डॉक्टर का दावा है कि उन्होंने महिला का इलाज करने से मना कर दिया, क्योंकि ‘उसे लगा कि ये कोई संदिग्ध केस है’. दादा ने कहा, ‘उन्होंने आसपास के कुछ लोगों को भी बता दिया’.
दादा का ये भी दावा है कि वो उस घर में भी गए, जहां उसे कथित रूप से रखा गया था, लेकिन उसमें ताला लगा था. बाद में वो पुलिस के पास गए, और शिकायत दर्ज की.
जांच और गिरफ्तारी
परिवार की शिकायत के आधार पर, पुलिस ने कथित अपहरण, हत्या और गैंग रेप के लिए एक एफआईआर दर्ज कर ली. अपराध में कथित रूप से शामिल होने के लिए, उन्होंने शाहिद और एक 16 वर्षीय किशोर को गिरफ्तार कर लिया.
स्थानीय पुलिस ने दिप्रिंट को बताया, कि अपने बयान में शाहिद ने दावा किया, कि वो और पीड़िता तीन साल से संपर्क में थे. उसने पुलिस को बताया कि 29 सितंबर को जब वो उसके घर आई, तो वहां उसकी तबीयत ख़राब होने लगी.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा,‘उसने बताया कि लड़की के पेट में दर्द होने लगा, और उसने किसी डॉक्टर को बुलाने के लिए कहा. फिर उसने डॉक्टर ज़िया-उर-रहमान को बुलाया, जिन्होंने उसका इलाज करने से मना कर दिया’.
अधिकारी ने कहा, ‘बाद में उसने अपने एक दोस्त को बुलाया, जो किसी लोकल डॉक्टर के असिस्टेंट का काम करता था, जिसने उसे एक इंजेक्शन और कुछ दवाएं दीं. इसी वजह से उसके हाथ पर एक कैनुला थी’.
अधिकारी ने आगे कहा कि पुलिस ने अब डॉक्टर के उस असिस्टेंट को पूछताछ के लिए बुलाया है, और रिक्शापुलर को भी हिरासत में लिया है. अधिकारी ने बताया, ‘वो रिक्शापुलर, जिसने लड़की को उसके घर छोड़ा, अकसर शाहिद की दुकान पर कच्चे माल की ढुलाई करता था’.
‘रेप का कोण निश्चित नहीं’
महिला की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में योनि में घावों का ज़िक्र नहीं है, इसलिए पुलिसकर्मियों का कहना है, कि वो अभी भी आश्वस्त नहीं हैं कि ये गैंग रेप का केस है, जैसा कि महिला के परिवार वाले आरोप लगा रहे हैं. किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए, पुलिस संबंधित डॉक्टरों से बात करेगी.
लेकिन जो चीज़ अभी तक स्पष्ट नहीं है वो ये, कि महिला के शरीर पर दस घाव कैसे लगे- छाती पर, जांघों और वक्ष पर, और दूसरी कई जगह- जो ऑटोप्सी में पता लगे.
पुलिस सूत्रों ने कहा कि ऐसा लगता है, कि बलरामपुर की महिला को छाती के बग़ल में चोट लगी, जिससे एक नील पड़ा, अंदरूनी ख़ून बहा, और नकसीर फूटी.
क़रीब 2.5 लीटर ख़ून- या किसी औसत इंसानी शरीर के कुल ख़ून का आधा- उसके पेट की गुहा में भरा हुआ मिला, जिससे हो सकता है उसकी मौत हुई होगी. ख़ून की इस खोज का उल्लेख ऑटोप्सी रिपोर्ट में भी है.
एक दूसरे पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘घाव देखकर लगता है कि उसे कई बार पीटा गया. ये भी हो सकता है कि उसने, बलात्कार की कोशिश का विरोध किया हो, जिस कारण उसे पीटा गया हो’. उन्होंने आगे कहा,‘ये भी मुमकिन है कि उसे जो इंजेक्शन या दवा दी गई, शरीर में उसका रिएक्शन हो गया हो, जिससे उसकी मौत हो गई हो’.
अधिकारी ने आगे कहा, ‘हम रिपोर्ट की जांच कर रहे हैं और एक्सपर्ट्स से भी सलाह कर रहे हैं, कि क्या हुआ होगा’. उन्होंने ये भी कहा, ‘इस बीच दो अभियुक्त गिरफ्तार किए गए हैं’.
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