नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आप सरकार से कहा कि वह 33 निजी अस्पतालों में कोविड-19 मरीजों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड (बिस्तर) आरक्षित करने के फैसले पर लगी रोक के खिलाफ अपनी याचिका लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में जाए.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की अवकाश पीठ ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के अचानक तेजी से बढ़ते मामलों के मद्देनजर दिल्ली सरकार की याचिका का संज्ञान लेते हुए कहा कि उच्च न्यायालय में इस याचिका पर 27 नवम्बर की बजाय बृहस्पतिवार को सुनवाई की जाए.
सुनवाई शुरू होने पर, दिल्ली सरकार का पक्ष रखने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा था कि यह कोई प्रतिकूल मुकदमा नहीं है और स्थिति का आकलन करने के बाद हम कोविड-19 मरीजों के लिए 80 प्रतिशत आईसीयू बेड आरक्षित रखना चाहेंगे और स्थिति के सामान्य होने पर कुछ सप्ताह बाद इन्हें आरक्षित नहीं रखा जाएगा.
पीठ ने जैन से कहा कि वह खंडपीठ के आदेश पर गौर करें जो कहता है कि दिल्ली सरकार के अनुरोध पर ही सुनवाई 27 नवम्बर तक के लिए स्थगित की गई थी.
जैन ने इस पर कहा कि दिल्ली सरकार का पक्ष रखने वाले वकील को मधुमेह है और वह उस दिन सुनवाई में शामिल होने के लिए स्वस्थ्य नहीं थे इसलिए सुनवाई स्थगित करने की अपील की गई थी, लेकिन इसे 27 नवम्बर को नहीं किया जा सकता, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
पीठ ने जैन से यह भी कहा कि दिल्ली सरकार क्यों नहीं दिल्ली उच्च न्यायालय से मामले पर जल्द सुनवाई का अनुरोध करती. जैन ने अदालत में शहर में पिछले कुछ दिनों में लगातार सामने आ रहे सात हजार मामलों के आंकड़े पेश किए.
पीठ ने कहा कि एक समय था जब प्रति दिन 1,000 मामले थे, अब तो मामले कम ज्यादा हो रहे हैं लेकिन दिल्ली सरकार ने अदालत में ऐसी कोई दलील पेश नहीं की कि कोविड-19 मरीजों के लिए बिस्तर उपलब्ध नहीं है.
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कहा कि राज्य के बाहर से कई लोग आ रहे हैं और निजी अस्पतालों में इलाज करा रहे हैं, जिनके लिए आईयीयू बेड का इस्तेमाल भी हो रहा है.
जैन ने साथ ही शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि उच्च न्यायालय की खंडपीठ से मामले की सुनवाई बुधवार को करने को कहा जाए, क्योंकि अधिक नुकसान हो गया तो सुनवाई के कोई मायने नहीं रह जाएंगे.
पीठ ने जैन और ‘एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स’ की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह के प्रतिवेदन पर गौर करते हुए उच्च न्यायालय की खंडपीठ से मामले की सुनवाई 12 नवम्बर को करने को कहा.
उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने 22 सितम्बर को दिल्ली सरकार के 12 सितम्बर के आदेश पर रोक लगा दी थी. दिल्ली सरकार ने राजधानी के 33 बड़े निजी अस्पतालों में आईसीयू के 80 प्रतिशत बेड कोविड-19 के मरीजों के लिये आरक्षित रखने का आदेश दिया था.
एकल पीठ ने कहा था कि निजी अस्पतालों को आईसीयू के 80 प्रतिशत बेड कोविड-19 के मरीजों के लिये आरक्षित रखने का आदेश अन्य बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होगा.
सरकार ने एकल पीठ के आदेश को उच्च न्यायालय की खंडपीठ में चुनौती दे रखी है जहां यह मामला 27 नवम्बर के लिये सूचीबद्ध है.