नई दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने एक पहलवान की कथित हत्या के मामले में फरार चल रहे ओलंपिक पदक विजेता सुशील कुमार को अग्रिम जमानत देने से मंगलवार को इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि कुश्ती खिलाड़ी कुमार प्रथमदृष्टया मुख्य षड्यंत्रकर्ता हैं और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश जगदीश कुमार ने सुशील कुमार को राहत नहीं दी, जिनके खिलाफ हत्या, अपहरण और आपराधिक षड्यंत्र का मामला दर्ज किया गया है.
सुशील कुमार और कुछ अन्य पहलवानों द्वारा चार मई की रात को राष्ट्रीय राजधानी के छत्रसाल स्टेडियम परिसर में कथित रूप से की गयी मारपीट में सागर राणा की मौत हो गयी थी और सागर के दोस्त सोनू तथा अमित कुमार घायल हो गये थे.
न्यायाधीश ने सुशील कुमार की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, ‘आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप गंभीर हैं. अब तक हुई जांच के आधार पर यह पता चलता है कि प्रथमदृष्टया आरोपी मुख्य षड्यंत्रकर्ता है.’
उन्होंने कहा, ‘जांच अब भी जारी है और कुछ आरोपी अभी गिरफ्तार नहीं किए जा सके हैं. आरोपी के खिलाफ गैर जमानती वारंट पहले ही जारी किया जा चुका है.’
अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों पर भरोसा किया और कहा, ‘इसलिए इस चरण पर, अदालत आरोपी की अग्रिम जमानत याचिका मंजूर नहीं करना चाहती.’
दो बार के ओलंपिक पदक विजेता अंतरराष्ट्रीय पहलवान सुशील कुमार ने गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर 17 मई को दिल्ली की रोहिणी अदालत में अग्रिम जमानत के लिए गुहार लगाई थी. उन्होंने कहा था कि उनके खिलाफ जांच पक्षपातपूर्ण है और वह किसी चोट के लिए जिम्मेदार नहीं हैं.
सुशील कुमार ने अपनी याचिका में जांच में शामिल होने की तथा घटना की ‘सच्ची और सही तस्वीर’ बताने की इच्छा जताई थी ताकि जांच एजेंसी को निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद मिले.
सुशील कुमार की याचिका में कहा गया था, ‘ऐसा लगता है कि पीड़ितों के बयान पहले ही दर्ज कर लिये गये हैं और कथित बरामदगी कर ली गयी हैं. हिरासत में पूछताछ की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि प्रार्थी के बताये अनुसार अब कुछ बरामद नहीं किया जाना है.’
उन्होंने झगड़े के दौरान कथित रूप से हुई गोलीबारी से कोई लेना-देना नहीं होने की बात कही. उन्होंने कहा कि मौके पर जो हथियार और वाहन मिले हैं, वे उनके नहीं हैं.
हालांकि सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से पक्ष रख रहे अतिरिक्त सरकारी अभियोजक अतुल श्रीवास्तव ने अदालत से कहा कि इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य हैं जिनमें सुशील कुमार को ‘डंडे से पहलवान की पिटाई करते’ हुए देखा जा सकता है.
अभियोजन पक्ष ने यह भी बताया कि फरार चल रहे सुशील कुमार का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है क्योंकि आशंका है कि वह देश छोड़कर जा सकते हैं.
जांच अधिकारी दिनेश कुमार के अनुसार सुशील कुमार से हिरासत में पूछताछ जरूरी है ताकि साजिश का खुलासा हो सके और उनसे अपराध में इस्तेमाल हथियार मिल सके.
उन्होंने अदालत से कहा, ‘वह पूरे घटनाक्रम के मुख्य आरोपी हैं जिन्होंने अपराध में प्रमुख भूमिका निभाई. एफएसएल (फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला) विशेषज्ञों को मिले डाटा से अपराध में उनकी सक्रिय भूमिका की पुष्टि होती है.’
सुशील कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने अदालत से कहा कि झगड़े में मौजूद रहा सोनू एक हिस्ट्री-शीटर है और काला जठेरिया गिरोह का सदस्य है. उन्होंने कहा कि सोनू के खिलाफ अनेक आपराधिक मामले दर्ज हैं.
इस घटनाक्रम में मॉडल टाउन थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और शस्त्र अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया.
राणा की मौत के बाद से सुशील कुमार फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश में दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा आसपास के राज्यों में छापेमारी कर रही है.
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