नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने ड्यूटी पर तैनात दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी पर हमला करने के आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया है। अदालत ने कहा कि लोक सेवक की गवाही अविश्वसनीय थी और विश्वसनीय साक्ष्यों से उसकी पुष्टि नहीं हुई थी।
न्यायिक मजिस्ट्रेट शशांक नंदन भट्ट, आरोपी मंदीप सिंह के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रहे थे, जिसके खिलाफ राजौरी गार्डन पुलिस थाने में भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल का प्रयोग), 186 (लोक सेवक को उसके सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना) और 332 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य निर्वहन से रोकने के लिए जानबूझकर चोट पहुँचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, सात अक्टूबर 2017 को सुभाष नगर में एक ट्रैफिक सिग्नल पर स्कूटर चलाते समय सहायक पुलिस उप निरीक्षक ने सिंह को रोका था।
आरोप है कि जब आरोपी से ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने के लिए कहा गया तो उसने पुलिस अधिकारी के साथ दुर्व्यवहार किया और मारपीट की, अपना स्कूटर मौके पर ही छोड़ दिया और भाग गया।
अदालत ने 11 अगस्त के आदेश में कहा कि शिकायतकर्ता, सहायक उप-निरीक्षक (एएसआई) सतीश कुमार की गवाही अविश्वसनीय प्रतीत होती है।
इसमें कहा गया है, ‘‘इसके अतिरिक्त, जांच अधिकारी को ही ज्ञात कारणों से, शिकायतकर्ता की कथित रूप से फटी हुई वर्दी इस मामले में कभी बरामद नहीं हुई, जिससे शिकायतकर्ता की गवाही की पुष्टि की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती।’’
अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता की ‘अविश्वसनीय गवाही’ की पुष्टि रिकॉर्ड में मौजूद किसी भी विश्वसनीय सामग्री से नहीं होती।
इसके अलावा, अदालत ने प्राथमिकी दर्ज करने और पहचान परेड कराने में हुयी देरी की ओर भी इशारा किया।
अदालत ने कहा, ‘अभियोजन पक्ष का मामला उचित संदेह से परे की कसौटी पर सिद्ध नहीं माना जा सकता।’
भाषा रंजन धीरज
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