नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार-हत्या मामले में दोषी पवन कुमार गुप्ता की सुधारात्मक याचिका सोमवार को खारिज कर दी है. पवन समेत चार दोषियों को इस मामले में मौत की सजा सुनायी गई है. सभी को तीन मार्च यानी कल सुबह छह बजे फांसी दी जानी है.
न्यायमूर्ति एन वी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कहा दोषी की दोषसिद्धि और सजा की पुन: समीक्षा का कोई मामला नहीं बनता. हालांकि पवन के पास अभी राष्ट्रपति को दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बचा हुआ है.
पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण हैं. पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि अब अदालत के पास इस मामले में दखल देने का कोई आधार नहीं बचा है. इससे पहले दोषियों की क्यूरेटिव पिटीशन भी इसी बेंच ने खारिज कर दिया था.
इस मामले में सुनवाई के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि मैं बेटी के लिए 7 वर्ष 3 महीने से इंसाफ के लिए संघर्ष कर रही हूं. ‘वो कहते हैं हमें माफ कर दो. कोई कहता है कि मेरे पति,बच्चे की क्या गलती है. मैं कहती हूं कि मेरी बच्ची की क्या गलती थी?’
इससे पहले पवन गुप्ता ने यह भी दावा किया था कि वह 2012 में घटना के समय वह नाबालिग था. हालांकि पवन की इस दलील को ट्रायल कोर्ट, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट, तीनों ने पहले ही खारिज कर दिया है. निचली अदालत ने 17 फरवरी को चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी कर तीन मार्च, सुबह 6 बजे फांसी की तारीख तय की थी.