नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मॉनसून सत्र में सदन की कार्यवाही सुचारू तरीके से नहीं चलने पर दु:ख जताया है. लगातार संसद में व्यवधान और हंगामे के कारण सदन को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है.
लोकसभा अध्यक्ष ने सदन की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने के बाद मीडिया से बात की.
उन्होंने कहा, ‘निरंतर व्यवधान के कारण महज 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन रहा. लोकसभा की कार्यवाही सुचारू तरीके से नहीं चली, इसका मुझे दुख है.’
उन्होंने आगे कहा, ‘सदन की कार्यवाही सहमति एवं सामूहिक जिम्मेदारी के साथ चलनी चाहिए लेकिन आसन के समीप आकर सदस्यों का तख्तियां लहराना, नारे लगाना परंपराओं के अनुरूप नहीं है.’
उन्होंने बताया कि 17वीं लोकसभा की छठी बैठक 19 जुलाई 2021 को शुरू हुई और इस दौरान 17 बैठकों में 21 घंटे 14 मिनट कामकाज हुआ. बिरला ने बताया कि व्यवधान के कारण 96 घंटे में करीब 74 घंटे कामकाज नहीं हो सका.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘निरंतर व्यवधान के कारण महज 22 प्रतिशत कार्य निष्पादन रहा.’
House functioned for only 21 hrs & 14 minutes. Out of the quorum of 96 working hrs, work couldn't be done for 74 hrs & 46 minutes. Total productivity was 22%. A total of 20 Bills were passed, including OBC Bill which was passed with unanimous consent of all parties: LS Speaker pic.twitter.com/ZVvfLPTRy2
— ANI (@ANI) August 11, 2021
बिरला ने यह भी कहा कि उन्हें नये संसद भवन का निर्माण अगले वर्ष 15 अगस्त से पहले पूरा होने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा, ‘मेरी कोशिश थी कि सदन पहले की तरह चलता और सब विषयों पर चर्चा और संवाद होता. सभी सदस्य चर्चा करते, जनता के विषय रखते. लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया.’
बिरला ने कहा कि वे परंपराओं के अनुरूप सत्र से पहले सभी दलों के नेताओं से चर्चा करते हैं और उनके मुद्दे जानने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि गतिरोध वाले कुछ मुद्दों पर वह दलों के नेताओं से चर्चा करते हैं और समाधान निकालने का प्रयास करते हैं. इस दिशा में प्रयास किये गए लेकिन कई मुद्दों पर सफलता नहीं मिली.
मॉनसून सत्र की बैठक 19 जुलाई से शुरू होने के बाद से ही लोकसभा की कार्यवाही बाधित रहने के बारे में पूछे जाने पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सहमति-असहमति लोकतंत्र की विशेषता है. कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाती है, गतिरोध बना रहता है.
उन्होंने कहा कि हमने इस दिशा में संवाद के जरिये कोशिश की है और भविष्य में और कोशिश करेंगे.
सदन में आसन के समीप सदस्यों द्वारा तख्तियां, पोस्टर लहराने के बारे में एक सवाल के जवाब में बिरला ने कहा कि हमारी अपेक्षाएं रहती हैं कि संसद की उच्च मर्यादाओं को बनाए रखें. इस सदन में वाद-विवाद भी हुए हैं, सहमति-असहमति भी रहती हैं लेकिन सदन की मर्यादाएं बनी रही हैं.
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आसन के समीप नहीं आना, तख्तियां नहीं लाना और पोस्टर नहीं दिखाना आदि के बारे में नियमों में उल्लेख है.
उन्होंने कहा कि उनकी विभिन्न दलों के नेताओं से बात होती है तब उनसे भी कहते हैं कि अपनी बात संसदीय प्रक्रियाओं एवं मर्यादा के दायरे में कहें. सभी से अपेक्षा की जाती है कि वे नियम प्रक्रियाओं का पालन करें.
एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि करोड़ों रूपये संसद की कार्यवाही पर खर्च होते हैं और जब सदन नहीं चलता है तब जनता दु:खी होती है. इसके कारण मुझे भी दु:ख होता है.
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हंगामे के बीच ओबीसी विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित
बिरला ने कहा कि इस बारे में पीठासीन अधिकारियों की एक समिति बनी है. सदन में ऐसी गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाए और सदन में ज्यादा समय तक चर्चा हो..यह जरूरी है.
उन्होंने बताया कि सत्र के दौरान ओबीसी से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक सहित कुल 20 विधेयक पारित किये गए. चार नये सदस्यों ने शपथ ली.
बिरला ने बताया कि मॉनसून सत्र के दौरान 66 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर दिये गए और सदस्यों ने नियम 377 के तहत 331 मामले उठाये.
उन्होंने कहा कि इस दौरान विभिन्न स्थायी समितियों ने 60 प्रतिवेदन प्रस्तुत किये, 22 मंत्रियों ने वक्तव्य दिये और काफी संख्या में पत्र सभापटल पर रखे गए.
लोकसभा अध्यक्ष ने बताया कि सत्र के दौरान अनेक वित्तीय एवं विधायी कार्य निष्पादित किये गए.
गौरतलब है कि संसद का मॉनसून सत्र 19 जुलाई से शुरू हुआ और 11 अगस्त, बुधवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया. इस दौरान पेगासस जासूसी मामला और केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों एवं अन्य मुद्दों पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के कारण कामकाज बाधित रहा.
सरकार ने हंगामे के बीच ही कई विधेयकों को पारित कराया. हालांकि संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 पर सामान्य रूप से चर्चा हुई और सर्वसम्मति से विधेयक को पारित किया गया.
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