पणजी, 18 मार्च (भाषा) कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वह गोवा में भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए हर संभव विकल्प पर विचार करने को तैयार है।
हालांकि, भाजपा विधायकों के एक समूह ने कहा कि पार्टी अगले चार या पांच दिनों में सरकार बनाने का दावा पेश करेगी।
हाल में हुए गोवा विधानसभा चुनावों में 40 में से 20 सीटें जीतने वाली और महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के दो विधायकों व तीन निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करने वाली भाजपा ने अभी तक नयी सरकार के गठन के लिए दावा पेश नहीं किया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिगंबर कामत ने यहां संवाददाताओं से कहा कि दावा पेश करने में विफल रहना इस बात का संकेत है कि भाजपा के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है।
चुनाव में कांग्रेस ने 11 सीटों पर जीत हासिल की थी। नतीजे 10 मार्च को घोषित किए गए थे।
कामत ने कहा, ”कांग्रेस गोवा में एक गैर-भाजपा सरकार बनाने के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रही है ।”
उन्होंने दावा किया कि भाजपा वोट बंटने के कारण 20 सीटें जीत सकी, जो बहुमत के आंकड़े से एक कम है।
कामत ने कहा, ”जनादेश स्पष्ट रूप से सत्तारूढ़ सरकार के खिलाफ था, जिसका पता इस बात से भी चलता है कि भाजपा को 33.31 प्रतिशत वोट मिले। इससे यह स्पष्ट होता है कि 66.69 प्रतिशत मतदाता भाजपा को नहीं चाहते थे।”
उन्होंने कहा, “(परिणाम घोषित होने के) एक हफ्ते बाद भी भाजपा सरकार बनाने में विफल रही है। भाजपा नेतृत्व सिर्फ समय बर्बाद कर रहा है और बार-बार बहाना बना रहा है।”
कामत ने कहा, “कई विधायकों ने कांग्रेस से संपर्क किया है, हमसे सरकार गठन में नेतृत्व करने का आग्रह किया है। हम सभी गैर-भाजपा विधायकों से अपील करते हैं कि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करें और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं कि गोवा के लोगों को पूरी तरह से गैर-भाजपा सरकार मिले।”
कामत के संवाददाता सम्मेलन के कुछ ही मिनट बाद सुभाष फलदेसाई, गोविंद गौडे और दाजी साल्कर सहित बीजेपी विधायकों के एक समूह ने एक और प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
फलदेसाई ने कहा, “भाजपा को 20 सीटों पर जीत के साथ जनादेश मिला है। हम अगले चार या पांच दिन में सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस को इस तथ्य को स्वीकार करना चाहिए कि 2022 के चुनावों में उसका वोट प्रतिशत कम हुआ, जबकि भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़ा।
उन्होंने कहा, ”कांग्रेस का प्रदर्शन इतना खराब रहा कि उसे अपनी राज्य इकाई के अध्यक्ष गिरीश चोडनकर को पद छोड़ने के लिए कहना पड़ा।”
भाषा जोहेब सुरेश
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