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Monday, 25 August, 2025
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जलवायु परिवर्तन से बदल रही गंगोत्री ग्लेशियर तंत्र के प्रवाह की संरचना : आईआईटी इंदौर का अध्ययन

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नयी दिल्ली, 25 अगस्त (भाषा) इंदौर के भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के शोधकर्ताओं को एक अध्ययन में पता चला है कि गंगा नदी को रवानी देने वाले गंगोत्री ग्लेशियर तंत्र से लगभग 64 प्रतिशत पानी हिमपात की बर्फ के पिघलने से आता है जबकि इस तंत्र के जरिये 21 पानी प्रतिशत पानी की आमद ग्लेशियरों के पिघलने से होती है।

अध्ययन में उत्तराखंड की ग्लेशियर प्रणाली से 11 प्रतिशत पानी का रिसाव वर्षा के पानी के बहने से जुड़ा पाया गया।

अध्ययन दल में अमेरिकी विश्वविद्यालयों और नेपाल स्थित ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट’ के वैज्ञानिक शामिल थे।

इस दल ने पाया कि पिछले एक दशक में गंगोत्री ग्लेशियर से सबसे अधिक रिसाव लगभग 29 घन मीटर प्रति सेकंड दर्ज किया गया जो 2001-2010 के दौरान देखा गया था। यह 1980 से 2020 की अध्ययन अवधि के दौरान 3.4 डिग्री सेल्सियस के उच्चतम दशकीय तापमान के अनुरूप था।

अध्ययन के निष्कर्ष ‘जर्नल ऑफ द इंडियन सोसायटी ऑफ रिमोट सेंसिंग’ में प्रकाशित हुए। इनसे पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन के कारण 1990 के बाद अगस्त से जुलाई तक बर्फ के अधिकतम बहाव में बदलाव आया है। शोधकर्ताओं ने इसका कारण सर्दियों के दौरान कम बर्फबारी और गर्मियों की शुरुआत में बर्फ के अधिक पिघलने को बताया है।

आईआईटी इंदौर की ‘ग्लेशियो-हाइड्रो-क्लाइमेट लैब’ में पीएचडी की शोधार्थी और अध्ययन की प्रमुख लेखिका पारुल विन्जे कहती हैं,’पिछले चार दशकों में (गंगोत्री ग्लेशियर तंत्र) से आने वाले प्रवाह की संरचना जलवायु परिवर्तन के कारण बदल रही है और यह अध्ययन इन परिवर्तनों की अब तक की सबसे विस्तृत तस्वीर पेश करता है।’

भाषा हर्ष नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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