नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन विधेयक पर हुई लंबी बहस के बाद बुधवार को राज्य सभा से भी यह विधेयक पारित हो गया. विधेयक के पक्ष में 125 और विरोध में 105 वोट पड़े. सदन में कुल 209 सांसदों ने वोटिंग में हिस्सा लिया. यह बिल लोकसभा में सोमवार को पास हो चुका है.
भाजपा की पुरानी सहयोगी रही शिवसेना ने विधेयक पर हुई वोटिंग का बहिष्कार किया और सदन से वॉकआउट कर लिया.
राज्य सभा में बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान जमकर हुए विरोध के बाद अमित शाह ने जवाब दिया. शाह ने कहा, ‘अगर देश का बंटवारा नहीं होता तो ये बिल कभी नहीं लाना पड़ता. देश के बंटवारे के बाद जो परिस्थिति उत्पन्न हुई उसके लिए वह मैं ये बिल लेकर आया हूं. पिछली सरकारें ऐसी चली हैं कि समस्याओं के लिए दो-दो हाथ करने को तैयार नहीं थी. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमने ये करने का साहस किया है.’
शाह ने कहा, ‘हम बौद्ध, ईसाई, हिंदू, सिख, जैन, पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता दे रहे हैं. हम नागरिकता दे रहे हैं न कि किसी से नागरिकता ले रहे हैं. इससे पहले हम 2015 में इस बिल को लेकर आए थे. तब ये बिल पास नहीं हो सका था.’ बता दें कि 2 मार्च 2015 को यह विधेयक लोकसभा से पारित हो गया था लेकिन राज्य सभा में बहुमत न होने के कारण वहां ये पास नहीं हो सका था.
शाह ने कहा, ’70 सालों तक इस देश को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया था. नरेंद्र मोदी ने सबके साथ न्याय किया है. मोदी जी ने वोट बैंक के लिए कुछ नहीं किया.’
शाह ने कहा, ‘हम चुनावी फायदे के लिए ये बिल नहीं लाए हैं. चुनाव साढे़ चार साल के बाद है. विपक्षी लोग हम पर हंस रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ. इसलिए मैं इस बिल को लेकर आया हूं.’
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शाह ने कहा, ‘जो बयान इमरान खान ने पाकिस्तान में दिए वहीं बात सदन में भी दिए गए. ये बयान एक समान है. नागरिकता विधेयक बिल, अनुच्छेद-370, एयर स्ट्राइक पर जो बयान कांग्रेस के नेताओं द्वारा दिए गए वो पाकिस्तान के बयान से मेल खाते हैं.’
गृहमंत्री ने जवाहरलाल नेहरू और लियाकत अली समझौते का जिक्र करते हुए कहा, ‘दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच 8 अप्रैल 1950 को एक समझौता हुआ जिसमें अल्पसंख्यकों के संरक्षण देने की बात थी. उन्होंने कहा कि भारत ने नेहरू और लियाकत अली समझौते का वादा निभाया लेकिन पाकिस्तान ने ऐसा नहीं किया. हमारे यहां राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश तक मुसलमान रहे हैं.’
शाह ने कहा, ‘इससे पहले भी नागरिकता बिल में संसोधन हुआ है. जब श्रीलंका और युगांडा की समस्या आई तब हमने उस हिसाब से इसमें बदलाव किया. आज इन तीन देशों को लेकर समस्या सामने आ रही है, इसलिए हम ये बिल लेकर आ रहे हैं. इसे राजनीतिक दृष्टि से नहीं देखना चाहिए.’
शाह ने कहा कि हम चुनावी राजनीति अपने दम पर लड़ते हैं, अपने नेता की लोकप्रियता पर करते हैं. इस बिल का इससे कोई लेना-देना नहीं है.
भारत के संवैधानिक इतिहास का काला दिन : सोनिया गांधी
कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर अपना अफसोस जाहिर करते हुए कहा है कि आज भारत के संवैधानिक इतिहास का काला दिन है.
सिटिजनशिप अमेंडमेंट बिल भारत में संकीर्ण और कंट्टर सोच वालों की यहां की बहुलता पर जीत को दिखाता है. बिल भारत के आइडिया ऑफ इंडिया के मौलिक विचार के खिलाफ है जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने लड़ाई लड़ी.
‘आइडिया ऑफ इंडिया समझाने का प्रयास न करें’
विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘मुझे आइडिया ऑफ इंडिया समझाने की कोशिश न करें. मैं भी यहीं जन्मा हूं और मुझे अच्छी तरह पता है कि आइडिया ऑफ इंडिया क्या होता है.’
शाह ने बाबा साहेब अंबेडकर का हवाला देते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि अगर हमारे पड़ोसी देशों में लोगों को प्रताड़ित किया जाता है तो उनको नागरिकता देना हमारा नैतिक कर्तव्य है.
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शाह ने कहा कि हमारे देश में लोकतांत्रिक पद्धति को कभी नहीं रोका गया. सिर्फ आपातकाल के दौरान थोड़े समय के लिए ऐसा किया गया.
‘हमारी धर्मनिरपेक्षता की समझ व्यापक’
अमित शाह ने अफगानिस्तान, बांगलादेश और पाकिस्तान के संविधान का हवाला देते हुए कहा कि इन तीनों देशों का राजधर्म इस्लाम है. उन्होंने कहा कि ये तीनों देश भारत की भौगोलिक सीमा से जुड़े हैं और ये इस्लामिक देश हैं. सवाल उठाया जा रहा है कि इस बिल में मुस्लिमों के आने की बात क्यों नहीं है इस पर शाह ने कहा, ‘इन तीनों देशों में मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हैं.’
उन्होंने कहा, ‘पिछले पांच सालों में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमने इन तीनों देशों के 566 मुस्लिमों को नागरिकता दी है. हमारी पंथनिरपेक्षता की व्याख्या सीमित नहीं है. आपके अनुसार जब मुसलमान को शामिल किया जाएगा तभी पंथनिरपेक्षता होगी लेकिन हमारी व्याख्या की सीमा व्यापक है.’
गृहमंत्री ने कहा कि हम तीनों देशों के उन लोगों को नागरिकता दे रहे हैं जो अल्पसंख्यक हैं और जिन्हें अपने धर्म के आधार पर वहां उत्पीड़ित किया जा रहा है. ‘मैं आज जो बिल लेकर आया हूं वो अनुच्छेद-14 का उल्लंघन नहीं करता है.’
शाह ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘वो समझते हैं कि वो जो करते हैं वो धर्मनिरपेक्षता है. मैं बता देना चाहता हूं कि किसी को भी मुझसे डरना नहीं चाहिए. इस बिल से किसी की नागरिकता नहीं जाने वाली है. शाह ने कांग्रेस से अपील की कि इस मुद्दे पर राजनीति न करें.’
विपक्ष ने कहा – बिल संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ
राज्यसभा में बुधवार को विपक्ष ने नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को समानता के अधिकार सहित संविधान के मूल ढांचे के विरूद्ध करार देते हुए दावा किया कि यह उच्चतम न्यायालय में टिक नहीं पाएगा. हालांकि सत्ता पक्ष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह विधेयक राष्ट्र हित में है और इससे भारतीय मुसलमानों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने उच्च सदन में इस विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए इस विधेयक को मोदी सरकार का ‘हिन्दुत्व का एजेंडा आगे बढ़ाने’ वाला करार कदम देते हुए दावा किया कि यह प्रस्तावित कानून न्यायालय के कानूनी परीक्षण में नहीं टिक पाएगा.
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वहीं पूर्वोत्तर भारत में इस बिल का जमकर विरोध हो रहा है. कई विश्वविद्यालयों में छात्र इसके खिलाफ मार्च निकाल रहे हैं और कह रहे हैं कि ये बिल उनकी बुनियाद और संविधान के खिलाफ है.
पूर्वोत्तर भारत के लोग इस बिल का कर रहे हैं विरोध
नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ बुधवार को हजारों लोग असम में सड़कों पर उतरे. राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प से राज्य में अव्यवस्था की स्थिति पैदा हो गयी है. इसके लिए अर्धसैनिक बलों के पांच हज़ार सैनिकों को भेजने का फैसला लिया गया है.
अधिकारियों ने बताया कि नागरिकता संशोधन विधेयक पर प्रदर्शन के बीच असम के 10 जिलों में बुधवार शाम सात बजे से इंटरनेट सेवा अगले 24 घंटे के लिए रोकी जाएगी.