नई दिल्ली: सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (सीआईसी) ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) द्वारा चुनावी बॉन्ड की बिक्री और उन्हें भुनाने के संबंध में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र को 2018 में सौंपी गई रिपोर्ट का खुलासा करने का अनुरोध करने वाली अर्जी खारिज कर दी है.
सूचना का अधिकार (आरटीआई) मामलों में निर्णय लेने की शीर्ष संस्था सीआईसी में अर्जी दायर करने के लगभग तीन साल बाद, सूचना आयुक्त सुरेश चंद्रा ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस मामले को और लंबित रखने में कोई ‘जनहित’ नहीं है क्योंकि आयोग द्वारा हस्तक्षेप का अनुरोध करने वाली अपील में कोई दम नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘आयोग को मामले के तथ्यों और परिस्थितियों पर गौर करने, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और रिकॉर्ड देखने के बाद लगता है कि अपीलकर्ता को पर्याप्त सूचना दी गई है.’
यह मामला सक्रिय कार्यकर्ता वेंकटेश नायक द्वारा दायर आठ बिंदुओं वाले एक आरटीआई आवेदन से संबंधित है जिसमें मार्च और अप्रैल 2018 में एसबीआई द्वारा बेचे गए चुनावी बॉन्ड के मूल्य वर्ग के विवरण, कुल खरीदारों की संख्या, बॉन्ड खरीदने के लिए जमा किए गए आवेदन पत्र, एसबीआई द्वारा बॉन्ड की बिक्री और उन्हें भुनाने को लेकर आरबीआई और सरकार को जमा की गई रिपोर्ट की जानकारी दिए जाने का अनुरोध किया गया है.
एसबीआई ने विभिन्न शाखाओं के माध्यम से चुनावी बॉन्ड की बिक्री पर आंकड़े मुहैया कराए लेकिन उसने बॉन्ड की खरीद के लिए जमा किए गए आवेदन फॉर्म, बैंक द्वारा आरबीआई और सरकार को दी गई रिपोर्ट संबंधी विवरण नहीं दिया. यह सूचना देने से इनकार करने के लिए बैंक ने दो रियायत खंडों – न्यासिक क्षमता में जानकारी रखी जाने और सूचना की प्रकृति व्यक्तिगत होने- का हवाला दिया था.
एसबीआई द्वारा सूचना देने से इनकार करने पर नायक ने 2018 में सीआईसी का रुख किया था.
यह भी पढ़ें: सरकारी बॉन्ड मार्केट को खुदरा निवेशकों के लिए खोलना अच्छी पहल, मगर इसे सफल बनाना भी जरूरी