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Saturday, 20 April, 2024
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चीन ने पूर्वी लद्दाख में LAC के पास के क्षेत्रों से लगभग 10,000 सैनिकों को पीछे हटाया

चीन के इस कदम को डी-एस्केलेशन के रूप में नहीं देखा जा सकता है. क्योंकि गतिरोध के दौरान भारत ने भी एलएसी पर सैनिक भेजे थे जिसे पहले ही वापस बुला लिया गया है.

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नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक बड़ा विकास देखा गया है. चीन ने नियंत्रण गहराई के क्षेत्रों से (सीमा रेखा से पीछे के क्षेत्रों में तैनात सैनिक) करीब 10,000 सैनिकों को वापस बुला लिया है. यह सैनिक एलएसी से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर थे.

हालांकि, सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनाती एक समान ही रहेगी और दोनों पक्षों के सैनिक उस सेक्टर के कई स्थानों पर एक दूसरे की आंखों में झांकने की स्थिति (आमने-सामने) में ही बने रहेंगे.

सरकारी सूत्रों का हवाला देते हुए समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि चीनी सेना पूर्वी लद्दाख और उसके पास के इलाकों के अपने पारंपरिक प्रशिक्षण क्षेत्रों से लगभग 10,000 सैनिकों को वापस ले गई है.

एलएसी पर भारतीय क्षेत्र से अलग चीनी पारंपरिक प्रशिक्षण केंद्र लगभग 150 किलोमीटर है. चीन ने पिछले साल अप्रैल-मई से ही सैनिकों को सीमा पर रखा हुआ था.

इससे पहले भारत चीन के गतिरोध के दौरान भारत ने भी वहां सैनिकों को एकत्रित कर रखा था जिसे उसने वापस करना शुरू कर दिया था. सैनिकों को हटाने के पीछे वहां जमा देने वाली ठंड है. ऐसा अनुमान है कि गर्मी में सैनिक वापस वहां तैनात कर दिए जाएंगे.

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सूत्रों ने कहा कि भारतीय सीमा के पास तैनाती के दौरान चीनी सेना भारी मात्रा में हथियार भी इस क्षेत्र में रखे हुई है.

सूत्रों ने यह भी कहा कि गहराई वाले क्षेत्रों से सैनिकों को हटाने का कारण अत्यधिक सर्दियां हो सकती हैं और उन्हें उस अत्यंत ठंडे क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात करना मुश्किल हो रहा होगा.

समाचार एजेंसी ने सूत्रों का हवाला देते हुए यह भी कहा, ‘यह कहना मुश्किल है कि इस साल फरवरी-मार्च के बाद तापमान सामान्य होने पर वो सैनिकों को वापस लाएंगे या नहीं.’

2020 में अप्रैल-मई के बाद से, चीनी सेना ने आक्रामक रुख अपनाते हुए पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में भारतीय सीमा के करीब 50,000 सैनिकों को तैनात किया था.

इस दौरान भारतीय पक्ष ने भी तेजी से एक्शन लेते हुए पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किसी भी दुस्साहस को रोकने के लिए वहां लगभग समान संख्या में सैनिकों को तैनात कर दिया था.

चीन ने वार्षिक प्रशिक्षण अभ्यास की आड़ में भारतीय क्षेत्रों में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया, जिसके बाद दोनों बलों के बीच कई क्लैशेज भी हुए.

चीन की इस तरह की गतिविधियों पर भारत बहुत करीब से नजर बनाए हुए है. और दक्षिणी पैंगोंग झील क्षेत्र में उन्हें रिहांग ला और रेचेन ला रणनीतिक ऊंचाई पर कब्जा करने के साथ ही उत्तरी तट पर कुछ स्थानों पर भी रोक दिया है.

बता दें कि इससे पहले आज ही भारतीय सेना ने चीनी सैनिक को चीन को सौंपा है.


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भारत ने पीएलए को लौटाया उसका भटका सैनिक

पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग सो के दक्षिणी किनारे पर शुक्रवार की सुबह चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) के एक सैनिक को पकड़ा गया था जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पार कर भारत की तरफ आ गया था.

नयी दिल्ली में एक सूत्र ने कहा कि पीएलए के सैनिक को सोमवार सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्डो सीमा बिंदु पर चीन को वापस सौंप दिया गया.

चीनी सेना ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर की गई संक्षिप्त टिप्पणी में सोमवार को सैनिक की वापसी की बात कही है।

बयान में कहा गया, ‘चीन और भारत के बीच हुए समझौते के तहत, अंधेरे और जटिल पहाड़ी भू-भाग की वजह से खो गए एक चीनी सीमा सैनिक को भारतीय पक्ष ने 11 जनवरी 2021 की दोपहर को चीनी सीमा सैनिकों को सौंप दिया.’

चीन के सीमा बलों ने शनिवार को कहा था कि अंधेरे और जटिल भूगोल की वजह से एक चीनी सैनिक शुक्रवार सुबह चीन-भारत सीमा पर लापता हो गया था और भारतीय पक्ष से उसे लौटाने को कहा गया था.

सीमा पर मई से जारी गतिरोध के बीच यह दूसरा मौका है जब भारत ने अपने कब्जे में आए चीनी सैनिक को लौटाया है.

इससे पहले 18 अक्टूबर को चीन-भारत सीमा पर एक चरवाहे की उसकी याक खोजने में मदद करने के दौरान एक सैनिक कथित तौर पर लापता हो गया था.

भारत और चीन की सेना के बीच पूर्वी लद्दाख में आठ महीनों से भी ज्यादा समय से गतिरोध बना हुआ है. यह गतिरोध पिछले साल मई में शुरू हुआ था जब पैंगोंग झील इलाके में दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी.

(स्नेहेश एलेक्स फिलिप और एएनआई के इनपुट्स के साथ)


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