नई दिल्ली: पीएम मोदी को क्लीन चिट दिए जाने से पैदा हुए विवाद में अशोक लवासा के आरोपों का सुनील अरोड़ा ने जवाब दिया है. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने एक पत्र जारी किया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि आदर्श आचार संहिता के मामलों को लेकर चुनाव आयोग की अंदरुनी गतिविधियों पर विवादित खबरें मीडिया में चल रही हैं. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग के 3 सदस्य एक-दूसरे के टेम्पलेट या क्लोन नहीं हो सकते हैं. अतीत में कई बार हुआ है जब विचार न मिले हो, कुछ भी हो सकता है और होना चाहिए. उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि रिटायरमेंट के बाद संबंधित चुनाव आयुक्त/मुख्य चुनाव अधिकारी अपनी लिखी किताब में इसका जिक्र करते हैं. मुझे सार्वजनिक बहस से कभी गुरेज नहीं रहा लेकिन हर चीज का एक समय होता है.
CEC Sunil Arora issues statement on EC Ashok Lavasa's purported letter to him: The 3 members of EC are not expected to be template or clones of each other, there have been so many times in the past when there has been a vast diversion of views as it can, and should be. (1/3) pic.twitter.com/cAAvcHIA44
— ANI (@ANI) May 18, 2019
CEC Sunil Arora: But the same largely remained within confines of ECI after demission of office unless appearing much later in a book written by the concerned ECs/CECs. I personally never shied away from a public debate whenever required but there is time for everything. (2/3) https://t.co/5OtXtxNPDz
— ANI (@ANI) May 18, 2019
Chief Election Commissioner Sunil Arora issues statement on EC Ashok Lavasa's purported letter to him, says, 'an unsavory and avoidable controversy reported in sections of media today about internal functioning of ECI in respect of handling of Model Code of Conduct.' (3/3) pic.twitter.com/yuRxOHMaGL
— ANI (@ANI) May 18, 2019
चुनाव आयुक्त अशोक लवासा जो आदर्श आचार सहिंता उल्लंघन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को हाल ही में दिए गए क्लीन चिट से असहमत थे. उन्होंने खुद को चुनाव आयोग की बैठकों से अलग कर लिया है. उन्होंने यह कहते हुए अलग कर लिया है कि उनकी उपस्थिति अप्रासंगिक और निरर्थक थी. चूंकि उनका असंतोष चुनाव आयोग के आदेशों में दर्ज नहीं किया जा रहा था.
आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को लिखे एक पत्र में उन्होंने अल्पमत निर्णयों को दर्ज कराने के लिए पूर्व में दिए गए स्मरणपत्र को चिन्हित किया.
1980 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी, लवासा ने 4 मई से आदर्श आचार सहिंता से संबंधित मुद्दों पर किसी भी बैठक में भाग नहीं लिया है.
असंतोष टिप्पणी
5 मई को दिप्रिंट द्वारा रिपोर्ट किया गया था कि लवासा को हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा लिए गए चार फैसलों में असहमति है. एक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से संबंधित था और तीन मोदी के बारे में थे.
उदाहरण के लिए पीएम के खिलाफ एक शिकायत में एक बयान में जहां उन्होंने पहली बार मतदाताओं से अपना वोट उन लोगों को समर्पित करने का आग्रह किया. जिन्होंने बालाकोट में हवाई हमले किए थे. चुनाव आयोग ने निष्कर्ष निकाला कि पीएम ने सीधे अपनी पार्टी के लिए वोट नहीं मांगा.
लवासा ने अन्य दो चुनाव आयुक्तों अरोड़ा और सुशील चंद्रा से असहमति जताई और कहा कि पीएम ने वास्तव में चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों का उल्लंघन करते हुए चुनावी अभियान में सशस्त्र बलों का आह्वान किया था.
लवासा, जो पिछले वर्ष से चुनाव आयोग के साथ हैं. अरोड़ा के सेवानिवृत्त होने के बाद 2021 में सीईसी बनने की क़तार में हैं.
(एनआईए खबर के इनपुट्स के साथ )