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Wednesday, 24 April, 2024
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भूमिहीन आदिवासियों और परंपरागत वनवासियों को भूमि अधिकार देने में छत्तीसगढ़ हुआ सबसे आगे

भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने अब तक 4 लाख 41 हजार से अधिक व्यक्तिगत और 46 हजार से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र जारी कर 51.06 लाख ग्रामीणों को भूस्वामित्व का लाभ दिया है.

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रायपुर: वनाधिकार अधिनियम 2006 के तहत भूमिहीन आदिवासियों और परंपरागत वनवासियों को भूस्वामित्व देने के मामले में छत्तीसगढ़ देश में अग्रणी राज्य बन गया है. भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार ने अब तक 4 लाख 41 हजार से अधिक व्यक्तिगत और 46 हजार से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्र जारी कर 51.06 लाख ग्रामीणों को भूस्वामित्व का लाभ दिया है.

भूमिहीन ग्रामीणों को भूस्वामी बनाया है. इस प्रकार व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकारों में कुल 51 लाख 06 हजार एकड़ से अधिक व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वन अधिकारों को स्थानीय समुदायों को वितरण किया गया है. राज्य में प्रति व्यक्ति वन अधिकार पत्र धारक को औसतन 1 हेक्टेयर वनभूमि पर मान्यता प्रदान की गई है, जो तुलनात्मक रूप से देश में बेहतर स्थिति है.

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 151 जयंती 2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा उनके निवास कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से 5 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र के लगभग 13 सौ सामुदायिक वन
संसाधन संरक्षण अधिकार पत्रों का वितरण किया गया. राज्य में सामुदायिक वन संसाधन अधिकारों को ग्राम सभाओं को प्रदाय किया गया है.

छत्तीसगढ़ राज्य में वितरित किए गए 4 लाख 41 हजार से अधिक व्यक्तिगत वन अधिकार पत्रों का रकबा 9 लाख 41 हजार 800 एकड़ से अधिक है. इसी प्रकार 46 हजार से अधिक सामुदायिक वन अधिकार पत्रों का रकबा 41 लाख 64 हजार 700 एकड़ से अधिक है.


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सिंचाई सुविधा से लेकर खेती किसानी तक

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में पहली बार राज्य सरकार द्वारा जनवरी 2019 के बाद सामुदायिक वन संसाधन अधिकार के 23 प्रकरण के अंतर्गत 26 हजार हेक्टेयर वन भूमि पर ग्राम सभाओं को प्रबंधन के अधिकार की मान्यता प्रदाय की गई है. व्यक्तिगत वन अधिकार मान्यता प्राप्त हितग्राहियों को केवन वन अधिकार पत्र ही नहीं सौपे गए बल्कि उनकी मान्य वन भूमि पर शासकीय योजनाओं के कन्वर्जेंस से सिंचाई सुविधा, खाद-बीज , कृषि उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

प्रदेश में अब तक एक लाख 49 हजार 762 लाभार्थी भूमि समतलीकरण एवं मेढ़ बंधान कार्य से लाभान्वित हुए है. इनकी भूमि का रकबा 58 हजार हेक्टेयर से अधिक है. वन अधिकार मान्यता प्राप्त करने वाले हितग्राही के भूमि पर समतलीकरण और मेढ़ बंधान कार्य कराया गया. उन्हें खाद्य-बीज एवं कृषि उपकरण भी उपलब्ध कराया गया है.

राज्य में 41 हजार से अधिक हितग्राहियों को 11 हजार हेक्टेयर से अधिक भूमि पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी गई है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 95 हजार से अधिक ग्रामीणों को आवास प्राप्त हुआ है और 2 लाख से अधिक हितग्राहियों को किसान सम्मान निधि प्रदान की गई है. सिंचाई सुविधा उपलब्ध करायी गई है जिससे उनकी भूमि की फसल उत्पादन क्षमता बढ़े और आजीविका में स्थायित्व के साथ आमदनी में भी वृद्धि हो. वन अधिकार पत्र धारकों के खेतों के मेढ़ों पर गढ्डे कर फलदार और वनोपज के पौधे लगाए जा रहे हैं.

सम्मान से जीने का अधिकार

वन अधिकार अधिनियम के प्रावधान अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी परिवारों को उनके अधिकार, स्वावलंबन और सम्मान का जीवन दिलाने के लिए हैं. सामुदायिक वन अधिकार के अंतर्गत निस्तार, लघु वनोपज का स्वामित्व, मछली और जल निकायों के उत्पादों पर उपयोग का अधिकार, चराई, विशेष रूप कमजोर जनजाति समूह एवं कृषि पूर्व समुदायों के पर्यावास का अधिकार दिया गया है.

इसके तहत पूर्व में सितम्बर माह तक 9 लाख 74 हजार 635 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 14 हजार 970 सामुदायिक वन अधिकार पत्र प्रदान किए जा चुके हैं. इसके अतिरिक्त सामुदायिक वन अधिकार के अंतर्गत सामुदायिक वन संसाधन का संरक्षण, पुनर्जीवन एवं प्रबंधन का अधिकार भी दिया गया है.

वन क्षेत्र में ग्राम सभा द्वारा वन, वन्य प्राणी और जैव विविधता का संरक्षण, विकास एवं प्रबंधन के लिए वन विभाग के मार्गदर्शन में प्रबंधन योजना तैयार कर क्रियान्वित की जाएगी. इससे वनों का संरक्षण, विकास एवं ग्रामीणों के आजीविका के लिए संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी. इसी प्रकार पूर्व में सितम्बर माह तक 81 हजार 358 हेक्टेयर वन क्षेत्र में 97 सामुदायिक वन संसाधन अधिकार पत्र प्रदान किए जा चुके हैं.

वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत जन सुविधाओं जैसे-विद्यालय, औषधालय, आंगनबाड़ी, उचित मूल्य की दुकान, विद्युत एवं दूरसंचार लाइन, टंकियां एवं लघु जलाशय, पेयजल की आपूर्ति एवं जल पाइपलाइन, जल या वर्षा जल संचयन संरचनाएं, लघु सिंचाई नहर, अपारम्परिक ऊर्जा स्त्रोत, कौशल उन्नयन या व्यवसायिक प्रशिक्षण केन्द्र, सड़के एवं सामुदायिक केन्द्रों से 13 प्रयोजन के लिए 2309 कार्य के लिए 1158 हेक्टेयर वन भूमि विभिन्न विभागों को प्रदान की गई है.

वनवासियों को सम्मान का जीवन के साथ-साथ अतिरिक्त आय के संसाधन उपलब्ध कराते हुए आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से 1110 व्यक्तिगत न अधिकार लाभार्थियों को 1150 हेक्टेयर भूमि पर सिंचित फलदार, लघु वनोपज और औषधि रोपण, सब्जी उत्पादन आदि कार्य मनरेगा योजना के अंतर्गत क्रियान्वित किए जा रहे हैं.


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