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Friday, 3 May, 2024
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छत्तीसगढ़ सरकार ने कोयला खदानों से अतिरिक्त लेवी के लिए कई बार लिखा पत्र, केंद्र का रवैया हमेशा उदासीन रहा

सितंबर 2014 में उच्चतम न्यायालय द्वारा अपने आदेश में छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यों में 214 कोयला खदान ब्लॉकों का आवंटन गैर कानूनी और मनमाने ढंग से किया गया करार देते हुए रद्द कर दिया था.

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छत्तीसगढ़ : देश का तीसरा सबसे बड़ा खनिज उत्पादक राज्य छत्तीसगढ़ विगत पांच सालों से अपने कोयला खदानों से सितंबर 2014 से मार्च 2015 के बीच निकाले गए कोयले की 4140 करोड़ से ज्यादा की अतिरिक्त लेवी कर की मांग लगातार कर रहा है. लेकिन, केंद्र सरकार का रवैया हमेशा उदासीन रहा है. राज्य सरकार के अधिकारियों के मुताबिक पिछले पांच सालों में प्रदेश ने केंद्र को अपने कोयले की इस अतिरिक्त लेवी को पाने के लिए कई पत्र लिखे परंतु केंद्रीय कोयला मंत्रालय से आजतक एक पत्र का जवाब तक नहीं आया है.

सरकार द्वारा मार्च 2019 में भेजे गए आधिकारिक रिमाइंडर के बाद हाल ही में 23 जनवरी 2020 को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं एक और पत्र के साथ छत्तीसगढ़ सरकार को राॅयल्टी देने के संबंध में कोयला मंत्रालय भारत सरकार को पिछले पांच सालों में भेजे गये पत्रों का भी उल्लेख किया है. बघेल ने इस पत्र में मांग की है कि केंद्र यह राशि जल्द जारी करे, जिससे प्रदेश में विकास की कई योजनाओं को चालू किया जा सके.

राज्य खनिज विभाग के सचिव अंबलगन ने दिप्रिंट को बताया कि 2014 से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश सरकार निरंतर प्रयास कर रही है कि केंद्र सरकार यह राशि मुहैया कराए. लेकिन केंद्र का रुख हमेशा ही नकारात्मक रहा है. अंबलगन का कहना है खनन कंपनियों ने अपने हिस्से की पेनाल्टी अतिरिक्त लेवी राशि के रूप में 295 रुपये प्रति टन की दर से केंद्र के पास पहले ही जमा कर दिया था. परन्तु केंद्र सरकार राज्य को देने में हीला हवाली कर रही है. राज्य सरकार इसके बावजूद अपना प्रयास जारी रखेगी.’

केंद्रीय कोयला खान एवं संसदीय कार्यमंत्री प्रहलाद जोशी को भेजे गये अपने पत्र में बघेल ने केंद्र से छत्तीसगढ़ में संचालित कोयला खदानों से निकाले गये कोयले की 40140.61 करोड़ रूपये अतिरिक्त लेवी की राशि यथाशीघ्र उपलब्ध कराने की मांग की है. पत्र में बघेल ने उच्चतम न्यायालय द्वारा इस संबंध में 2014 में पारित आदेश का जिक्र करते हुए कहा है कि खनिज पर राज्य सरकार के स्वामित्व होने तथा राज्य द्वारा राॅयल्टी, लेवी एवं अन्य कर वसूलने के प्रावधान का उल्लेख करते हुए लिखा है कि राज्य हित में एडिशनल लेवी की राशि लगभग 40140.61 करोड़ रूपये बनती है जिसके उपलब्ध न हो पाने से विकास की कई योजनाएं अपना स्वरूप नहीं ले पा रहीं हैं. अपने पत्र में बघेल ने भारतीय संविधान में उल्लेखित प्रावधानों के साथ-साथ केंद्र सरकार द्वारा पारित खनिज अधिनियम 2015 एवं खनिज नियमावली 2016 का उल्लेख करते हुए कहा है इन दोनों अधिनियमों में भी राज्य को कोयला खनन में एडिशनल लेवी मुहैया कराने की बात कही गयी है.


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ज्ञात हो कि सितंबर 2014 में उच्चतम न्यायालय द्वारा अपने आदेश में छत्तीसगढ़ सहित देश के अन्य राज्यों में 214 कोयला खदान ब्लॉकों का आवंटन गैर कानूनी और मनमाने ढंग से किया गया करार देते हुए रद्द कर दिया था. इसके पहले न्यायालय ने अपने अगस्त 2014 में एक आदेश में 218 खदानों का आवंटन गैर कानूनी करार दिया था, लेकिन इनको रद्द नहीं किया था जिसकी वजह से खनन कंपनियों ने अपना काम जारी रखा.

सितंबर 2014 मे उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में संचालित कोल ब्लाॅकों से निकाले गये और निकाले जाने वाले कोयले की एडिशनल लेवी की राशि राज्य सरकार को 295 रुपये प्रति टन की दर से देय संबंधी आदेश भी दिया था.

उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद छत्तीसगढ़ से आठ कोल आबंटियों द्वारा 295 रूपये प्रति मीट्रिक टन की दर से एडिशनल लेवी की राशि भारत सरकार के कोल मंत्रालय के पास जमा की गई है. इनमें जायसवाल निको लिमिटेड द्वारा 112.35 करोड़ रूपये, जिंदल पावर लिमिटेड द्वारा 1185.20 करोड़ रूपये, जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड द्वारा 2082.23 करोड़ रूपये, मोनेट इस्पात लिमिटेड द्वारा 238.09 करोड़ रूपये, प्रकाश इण्डस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा 234.22 करोड़ रूपये, आरएपीएल (सारडा एनर्जी लिमिटेड) 142.63 करोड़ रूपये और राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड द्वारा 145.49 करोड़ रूपये की एडिशनल लेवी जमा की गई है.

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने इन संस्थानों द्वारा जमा की गई राशि को छत्तीसगढ़ सरकार को उपलब्ध कराने की कार्रवाई करने का आग्रह किया है.

प्रदेश के अधिकारियों का कहना है कि 28 तारीख तो सम्पन्न हुई गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में अंतर्राज्यीय मध्य क्षेत्रीय परिषद में मुख्यमंत्री द्वारा उम्मीद के विपरीत उठाया नहीं जा सका था. अधिकारियों ने बताया कि पहले यह पूरी उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सामने प्रदेश को मिलने वाले कोयले के अतिरिक्त लेवी की राशि की मांग उठाएंगे. लेकिन बघेल ने ऐसा नहीं किया. दिप्रिंट ने जब बघेल से सवाल किया कि अमित शाह जिनको वे स्वयं सरकार चलानेवाला असली चेहरा बताते हैं उनके सामने यह मांग 28 तारीख को क्यों नहीं रखा जबकि यह बहुत अच्छा अवसर था, इस पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह मुद्दा एजेंडा में नहीं था और अतिरिक्त लेवी की राशि तो केंद्र को देना ही पड़ेगा क्योंकि इस मामले में उच्चतम न्यायालय का आदेश है.’


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अधिकारी कहते हैं कि बघेल के लिए केंद्र सरकार को अपनी बात से अवगत कराने का यह एक बड़ा अवसर है क्योंकि बार-बार आग्रह करने बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें मिलने का समय नहीं दे रहें हैं. परन्तु राज्य सरकार ने यह मौका जाया कर दिया.

ज्ञातव्य हो कि हाल ही में कोयले की अतिरिक्त लेवी राशि की मांग के साथ राज्य सरकार ने केंद्र द्वारा जनवरी के अंतिम सप्ताह में लौह अयस्क की कीमत में की गई वृद्धि को भी वापस लेंने की मांग की है.

केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय ने नहीं दिया कोई जवाब

केंद्रीय कोयला राज्य मंत्री प्रल्हाद जोशी के कार्यालय और विभाग के अन्य अधिकारियों से दिप्रिंट द्वारा कई बार प्रयास करने के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया. अधिकारियों से संपर्क न होने पर दिप्रिंट द्वारा जोशी के आधिकारिक मेल आईडी पर छत्तीसगढ़ सरकार की अतिरिक्त लेवी की मांग पर उनका विचार जानना चाहा लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.

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