रायपुर, 17 मई (भाषा) छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी)/आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने करोड़ों रुपये के कथित ‘शराब घोटाले’ मामले में शनिवार को राज्य भर में 13 स्थानों पर एक साथ छापेमारी की। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि इस साल की शुरुआत में शराब घोटाले मामले में गिरफ्तार किए गए कांग्रेस के विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के करीबी सहयोगियों के ठिकानों पर आज छापेमारी की गई।
उन्होंने बताया कि जांच एजेंसी ने इस दौरान 19 लाख रुपये नकद बरामद किया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित शराब घोटाले मामले की जांच के दौरान इस वर्ष जनवरी माह में कांग्रेस नेता लखमा को गिरफ्तार कर लिया था। गिरफ्तारी के बाद से लखमा रायपुर केंद्रीय जेल में बंद हैं।
लखमा कोंटा सुकमा जिले से छह बार के विधायक हैं और पिछली कांग्रेस सरकार में आबकारी मंत्री रह चुके हैं।
अधिकारियों ने बताया कि आबकारी मामले में तत्कालीन आबकारी मंत्री कवासी लखमा की संलिप्तता की जांच में पाया गया है कि उन्होंने गिरोह के लोगों को और खुद को अवैध लाभ पहुंचाया है।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान गोपनीय सूत्रों से जानकारी मिली कि कवासी लखमा ने अपने नजदीकी लोगों, मित्रों, साझेदारों के पास अवैध धन को सुरक्षित रखा है तथा उसे निवेश भी किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि जानकारी के बाद आज ब्यूरो के 13 दलों ने रायपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा में कुल 13 स्थानों पर छापेमारी की।
उन्होंने बताया कि कार्रवाई के दौरान संदिग्धों के निवास स्थानों और अन्य जगहों से प्रकरण के संबंध में महत्वपूर्ण दस्तावेज, मोबाइल फोन, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, कई बैंक खाते तथा जमीनों में निवेश से संबंधित दस्तावेज प्राप्त हुए हैं। इस दौरान 19 लाख रूपये नकद भी बरामद किया गया है।
अधिकारियों ने बताया कि दस्तावेजों का विश्लेषण किया जा रहा है।
जांच एजेंसियों के मुताबिक छत्तीसगढ़ में कथित शराब घोटाला 2019-22 के बीच रचा गया था। इस दौरान राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी। कोंटा (सुकमा जिले) से विधायक लखमा उस समय आबकारी मंत्री थे।
प्रवर्तन निदेशालय ने पहले दावा किया था कि छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले के परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ और शराब कारोबार चलाने वाले गिरोह के लाभार्थियों की जेबें 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध आय से भर गईं।
जांच एजेंसी ने कहा था कि इस गिरोह में राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह, राजनेता, उनके सहयोगी और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल हैं।
भाषा
संजीव, रवि कांत
रवि कांत
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