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Monday, 23 December, 2024
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चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मामले में SIT को संदिग्ध के फोन पर और किसी छात्रा का ‘आपत्तिजनक वीडियो’ नहीं मिला

एसआईटी की तरफ से मोहाली की एक कोर्ट में पेश की गई 500 पन्नों की चार्जशीट में कहा गया है कि मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच में ‘हॉस्टल के कॉमन एरिया में अन्य लड़कियों की कुछ सामान्य तस्वीरें पाई गई हैं.’

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चंडीगढ़: चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी वीडियो लीक मामले की जांच कर रही पंजाब पुलिस की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) को प्रथम वर्ष की छात्रा के फोन पर अन्य किसी छात्रा की ‘कोई आपत्तिजनक तस्वीर या वीडियो’ नहीं मिली है. गौरतलब है कि उक्त छात्रा पर कॉमन हॉस्टल वॉशरूम में दूसरी लड़कियों की वीडियो बनाने आरोप है.

एसआईटी की तरफ से बुधवार को मोहाली की एक कोर्ट में पेश की गई 500 पन्नों की चार्जशीट में कहा गया है कि ‘आरोपी के मोबाइल फोन की फोरेंसिक जांच—जिसमें फोन से डिलीट कर दिए गए कंटेंट का पता लगाना भी शामिल है—में छात्रावास के कॉमन एरिया में कुछ लड़कियों की सामान्य तस्वीरें जरूर मिली हैं.’

इसमें यह भी कहा गया है कि आरोपी प्रथम वर्ष की छात्रा ने ‘अपने हॉस्टल की अन्य लड़कियों के आपत्तिजनक वीडियो बनाने का प्रयास किया था ताकि इसे संजीव सिंह तक पहुंचाया जा सके.’ संजीव सिंह सेना का जवान था जो कथित तौर पर उसे ऑनलाइन ब्लैकमेल कर रहा था.

यह मामला सितंबर मध्य में तब सुर्खियों में आया था, जब छात्रा के हॉस्टल की कुछ लड़कियों ने इस संदेह के बाद अपनी वार्डन से संपर्क साधा कि आरोपी छात्रा चुपके-चुपके उनकी तस्वीरें ले रही है और वीडियो बना रही है. आरोपी छात्रा, संजीव सिंह और दो अन्य लोगों को उसी महीने गिरफ्तार कर लिय गया था.

चार्जशीट के मुताबिक, एमबीए की पढ़ाई कर रही हिमाचल प्रदेश निवासी छात्रा ने संजीव सिंह के दबाव में आकर उसके साथ अपनी आपत्तिजनक तस्वीरें शेयर की थीं. हालांकि, वह उसे ब्लैकमेल करके हॉस्टल की अन्य छात्राओं की आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो मांग रहा था.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक गुरप्रीत कौर देव ने कहा, ‘आरोपी लड़की ने अपने मोबाइल फोन का उपयोग कर वॉशरूम के अंदर ऐसा ही वीडियो बनाने का प्रयास भी किया, लेकिन उसके हॉस्टल की लड़कियों ने उसे तुरंत पकड़ लिया और वार्डन को मामले की सूचना दी.’

देव ने लुधियाना की अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रूपिंदर कौर भट्टी की अध्यक्षता वाली एसआईटी के कामकाज को सुपरवाइज किया था.

भट्टी ने दिप्रिंट को बताया कि आरोपी छात्रा की ‘संजीव के साथ चैट से पता चलता है कि उसने उसकी डिमांड का विरोध करने की कोशिश की, लेकिन डर के मारे ऐसा कर नहीं पाई.’

चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में यह घटना सामने आने के बाद कुछ लड़कियों के आत्महत्या का प्रयास करने की अफवाह को लेकर बड़ी संख्या में छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया था. देव ने कहा, ‘किसी भी छात्रा के आत्महत्या करने का कोई सबूत नहीं है.’


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जांच के निष्कर्ष

एसआईटी के निष्कर्षों का ब्योरा देते हुए देव ने दिप्रिंट को बताया कि आरोपी छात्रा यह घटना सामने आने से कुछ ही समय पहले हॉस्टल में रहने आई थी.

देव ने बताया, ‘उक्त लड़की के एक साल पहले तक शिमला में किसी लड़के के साथ रिश्ते रहे थे और उस दौरान उसने स्वेच्छा से अपनी कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें उसके साथ साझा की थीं. फिर एक दिन, उसे व्हाट्सएप पर संजीव सिंह से एक मैसेज मिला, जिस पर उसकी पहचान शिमला के किसी रंकज वर्मा के तौर पर नजर आ रही थी. इस मैसेज में संजीव ने दावा किया था कि उसके पास उसकी (छात्रा की) कुछ न्यूड पिक्चर हैं जो वह उसके परिवार को भेज देगा.

देव ने आगे कहा, ‘चूंकि लड़की अपने पूर्व प्रेमी के साथ ऐसी तस्वीरें साझा कर चुकी थी, इसलिए उसे लगा कि उसने वही तस्वीरें किसी और के साथ साझा कर दी हैं. उसने संजीव के साथ चैट करना शुरू कर दिया, जिसने उसे अपनी आपत्तिजनक तस्वीरें साझा करने के लिए मजबूर किया. उसके ऐसा करने के बाद, वह उसे लगातार ब्लैकमेल करने लगा और हॉस्टल में अन्य लड़कियों की ऐसी ही तस्वीरें और वीडियो मांगने लगा.’

चार्जशीट में बताया गया है कि संजीव सिंह ने लड़की की तस्वीरें उसके पिता और मामी को भी भेज दी थीं.

देव के मुताबिक, पुलिस ने उपयुक्त प्रक्रिया अपनाने के बाद संजीव सिंह को अपनी गिरफ्त में ले लिया. उसने बताया कि वह एक मोबाइल नंबर इस्तेमाल कर रहा था जिसे उसका कोई सहयोगी हटा चुका था.

देव ने बताया, ‘हमने पाया कि संजीव जिस नंबर का इस्तेमाल कर रहा था, वह ट्रूकॉलर पर 68 बार फ्राड नंबर के तौर पर लिस्ट किया गया था.’

भट्टी ने दिप्रिंट को बताया कि संजीव सिंह की तरफ से व्हाट्सएप पर संपर्क किए जाने से पहले तक छात्रा और उसके बीच कोई संबंध नहीं था.’

भट्टी ने बताया, ‘उसने सैकड़ों लोगों के व्हाट्सएप प्रोफाइल जुटाने के लिए एक ऐप इस्तेमाल की. उसने रंकज वर्मा की ऐसी ही एक प्रोफ़ाइल चुराई और कई लड़कियों को इसी तरह का ब्लैकमेल मैसेज भेजा और उनके रिस्पांस का इंतजार किया. चूंकि आरोपी लड़की अपने पूर्व मित्र के साथ अपनी आपत्तिजनक तस्वीरें पहले ही शेयर कर चुकी थी, इसलिए वह संजीव के झांसे में आ गई क्योंकि उसे लग रहा था कि उसके पास उसकी तस्वीरें हैं और वह उन्हें उसके परिवार को भेज देगा.’

भट्टी ने कहा, ‘संजीव को छोड़कर इस मामले से जुड़े सभी लोग हिमाचल प्रदेश से हैं, इसका कारण यह है कि उसने व्हाट्सएप प्रोफाइल के एक ही क्लस्टर का इस्तेमाल किया था जो उसने आईडेंटिटी चुराने और अपने शिकार तलाशने के लिए एक ऐप से डाउनलोड किया था.’

पुलिस ने छात्रा और संजीव सिंह के अलावा उसके पूर्व प्रेमी और वर्मा को भी गिरफ्तार किया है. लड़की और संजीव जेल में हैं, जबकि अन्य दोनों जमानत पर हैं और उन्हें इस मामले में आरोपी के तौर पर सूचीबद्ध नहीं किया गया है.

छात्रा और संजीव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 354ए (यौन उत्पीड़न), 354सी (ताकाझांकी), 354डी (पीछा करना), 506 (आपराधिक धमकी), 509 (महिला की गरिमा का अपमान करना) और 511 (अन्य अपराधों के साथ दंडनीय अपराध) और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत चार्जशीट दायर की है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः रावी द्विवेदी)


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