नयी दिल्ली, पांच सितंबर (भाषा) राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने शुक्रवार को कहा कि केंद्र को दिया जा रहा उपकर ‘‘संघवाद का गला काट रहा है’’ और कई राज्यों ने कर राजस्व की उनके साथ बांटी जाने वाली राशि (विभाज्य पूल) के घटने पर चिंता व्यक्त की है।
उन्होंने एक ब्लॉगपोस्ट में कहा, ‘‘जीएसटी को लेकर मचे शोर में चार अक्षरों वाला शब्द जो संघवाद का गला काट रहा है, वह है ‘सेस’ (उपकर)।’’
राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘उपकर के रूप में एकत्रित धनराशि 100 प्रतिशत केंद्र सरकार को जाती है। राज्य सरकारों के साथ एक रुपया भी साझा नहीं किया जाता।’’
ओ ब्रायन ने कहा कि 2012 में उपकर केंद्र सरकार के कुल कर राजस्व का सात प्रतिशत था, जबकि 2025 में उपकर केंद्र सरकार के कुल कर राजस्व का लगभग 20 प्रतिशत होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा, ‘‘22 राज्यों ने, जिनमें से कई भाजपा शासित हैं, साझा की जाने वाली राशि के घटने का विरोध किया था। इन राज्यों ने 16वें वित्त आयोग से कर संग्रह में अधिक हिस्सेदारी की मांग की थी – जो वर्तमान में 41 प्रतिशत है, जिसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने की मांग की गई।’’
तृणमूल नेता ने कहा, ‘‘आरबीआई के अनुसार, विभाज्य पूल 2011 में सकल कर राजस्व के 89 प्रतिशत से घटकर 2021 में 79 प्रतिशत रह गया। यह 14वें वित्त आयोग द्वारा अनुशंसित राज्यों को कर हस्तांतरण में 10 प्रतिशत की वृद्धि के बावजूद है।’’
उन्होंने कहा कि 2015 से 2024 के बीच उपकर (प्रचालन में) 462 प्रतिशत (2 लाख करोड़ रुपये से अधिक) बढ़ गया है।
उपकर मौजूदा कर के अतिरिक्त एक अतिरिक्त कर के रूप में लगाया जाता है और इससे प्राप्त राशि राज्यों के साथ साझा की जा सकती है या नहीं भी की जा सकती है।
विभाज्य पूल, सकल कर राजस्व का वह हिस्सा है जो राज्यों और केंद्र के बीच वितरित किया जाता है। इसमें विशिष्ट उद्देश्यों के लिए लगाए गए अधिभार और उपकर को छोड़कर सभी कर शामिल होते हैं।
भाषा नेत्रपाल वैभव
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