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Sunday, 22 December, 2024
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केंद्र सरकार ने पंचायत चुनावों के लिए मध्याह्न भोजन निधि के ‘दुरुपयोग’ पर पश्चिम बंगाल से रिपोर्ट मांगी

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने मिड-डे मील योजना के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले बैंक खाते में धन में 'भारी' बढ़ोतरी को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही मंत्रालय ने इसका उपयोग राज्य चुनावों के लिए धन हस्तांतरित करने पर रिपोर्ट देने को कहा है.

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नई दिल्ली: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ के लिए दिए गए पैसे के गलत इस्तेमाल पर चिंता जताई है. ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ के तहत स्कूली बच्चों को पौष्टिक भोजन दिया जाता है. 

केंद्र सरकार ने राज्य से इसका जवाब मांगा है कि इस साल 31 मार्च से 4 जुलाई के बीच तीन महीनों में योजना के लिए बैंक खाते में धनराशि 170.6 प्रतिशत क्यों बढ़ गई और राज्य के लिए धन हस्तांतरित करने के लिए उसी खाते का उपयोग क्यों किया गया. अभी पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव हो रहे हैं.

शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बाल वाटिका से लेकर कक्षा I से VIII तक के सभी छात्रों को कवर करती है. इसका लाभ 5-11 वर्ष की आयु के लगभग 12 करोड़ बच्चों को मिलता है. इसमें बाल वाटिका के 22.6 लाख बच्चे, प्राथमिक कक्षाओं के 7.2 करोड़ बच्चे और भारत भर के 11.20 लाख स्कूलों में फैले उच्च प्राथमिक कक्षाओं के 4.6 करोड़ बच्चे शामिल हैं.

शुक्रवार को पश्चिम बंगाल सरकार में शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को लिखे गए एक पत्र में, मंत्रालय ने वित्तीय अनियमितताओं पर तत्काल जवाब मांगा है.

दिप्रिंट द्वारा देखे गए पत्र में लिखा है, “मुझे मध्याह्न भोजन कार्यक्रम के लिए पश्चिम बर्धमान जिले में इस्तेमाल किए गए बैंक खाते से पैसे हस्तांतरण को लेकर जांच का निर्देश दिया गया है. फंड ट्रांसफर को देखने से पता चलता है कि ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ के तहत मध्याह्न भोजन के लिए निर्धारित धनराशि का उपयोग एक अलग उद्देश्य के लिए किया जा रहा है. हालांकि, राज्य के अधिकारियों द्वारा व्हाट्सएप पर उपलब्ध कराए गए कागजात से पता चलता है कि राज्य चुनावों के लिए धन के हस्तांतरण के लिए एक निष्क्रिय बैंक खाते का उपयोग किया गया है.”

वित्त मंत्रालय ने मार्च 2021 में सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) की शुरुआत की थी. इस नई प्रक्रिया के अनुसार, सभी केंद्र प्रायोजित योजनाएं (सीएसएस), जैसे कि मध्याह्न भोजन योजना, को एकल नोडल एजेंसी (एसएनए) का एक वाणिज्यिक बैंक के एक नोडल खाते द्वारा लागू करना है. 

काम करने वाली एजेंसियां ​​(आईए) – जिला, ब्लॉक और नीचे के स्तर – को इस एसएनए खाते से धन निकालने के लिए जीरों बैलेंस अकाउंट का उपयोग करना है.

इसका मतलब यह है कि काम करने वाली एजेंसियों द्वारा पहले से रखे गए सभी खातों से धनराशि को बंद कर दिया जाना था और योजना की धनराशि को सीएसएस के लिए एक ही खाते में स्थानांतरित किया जाना था.

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने जनवरी 2022 में बताया था कि राज्य ने ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ के लिए अपना एसएनए स्थापित किया है.

पत्र में कहा गया है, “यह भी प्रमाणित किया गया कि उपरोक्त योजना की सभी कार्यान्वयन एजेंसियों के बैंक खाते में उपलब्ध पूरी अप्रयुक्त राशि संबंधित योजना के एकल नोडल खाते में स्थानांतरित कर दी गई है.”

इस बीच, राज्य पत्र पर अपनी आधिकारिक प्रतिक्रिया तैयार कर रहा है, लेकिन राज्य के शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि निचले स्तर पर कार्यान्वयन एजेंसियां ​​अभी बची हुई धनराशि वापस कर रही हैं और अपने सिस्टम को पीएफएमएस के साथ एकीकृत करने के लिए काम कर रही हैं.

राज्य सरकार के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, “पश्चिम बंगाल में, स्कूलों की मैपिंग केवल ब्लॉक विकास कार्यालय स्तर तक ही की जा सकती है. अभी भी लगभग 83,000 स्कूल ऐसे हैं जिन्हें कार्यान्वयन एजेंसियों के रूप में मैप नहीं किया गया है. हमने उन्हें पहले ही पत्र भेज दिया है और उपयोग  नहीं किए गए धन को वापस लाने के लिए एसएनए स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं.”

राज्य चुनावों के लिए पीएम पोषण खाते का उपयोग करने के संबंध में अधिकारी ने कहा, “राज्य ने मतदान के उद्देश्य से जिलों को आवश्यक राशि हस्तांतरित की. यह केवल पश्चिम बर्धमान जिले के मामले में हुआ, और जिस खाते का इस्तेमाल किया गया वह एसएनए से जुड़ा ‘प्रधानमंत्री पोषण योजना’ का खाता नहीं था.”


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कैसे बढ़ा पैसा, कुछ स्पष्ठ नहीं

केंद्र सरकार ने अपने पत्र में कहा कि अलग-अलग अंतराल पर एसएनए खाते के सत्यापन से पता चला कि 31 मार्च को खाते में कुल धनराशि 1,542.17 करोड़ रुपये थी, जबकि 4 जुलाई को खाते में शेष राशि 4,174.28 करोड़ रुपये के रूप में एक “बड़ी और अस्पष्ट” राशि थी. 

पत्र में यह भी कहा गया है कि, राज्य के खजाने में अब तक केवल 387.35 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की गई है.

अपने पत्र में, शिक्षा मंत्रालय ने धन में इस वृद्धि को प्वाइंटआउट करते हुए कहा है, “यह स्पष्ट नहीं है कि एसएनए खाते में शेष राशि 1,542.17 करोड़ रुपये से बढ़कर 4,174.28 करोड़ रुपये कैसे हो गई है, जबकि राज्य सरकार ने जनवरी 2022 में बताया था कि सभी कार्यान्वयन एजेंसियों के बैंक खाते में उपलब्ध संपूर्ण अप्रयुक्त राशि को एकल नोडल खाते (एसएनए) में स्थानांतरित कर दिया गया है. यह बेहद असंगत स्थिति प्रतीत होती है, खासकर राज्य सरकार के उपरोक्त उपक्रम के संदर्भ में.”

फंड में कथित बढ़ोतरी को संबोधित करते हुए, अधिकारी ने कहा कि यह काम करने वाली एजेंसियों द्वारा कम उपयोग किए गए फंड को वापस भेजे जाने का परिणाम है. अधिकारी ने बताया कि बड़ी संख्या में स्कूलों की मैपिंग की कमी के कारण अप्रयुक्त धन सिस्टम में अदृश्य हो गया.

अधिकारी ने आगे कहा, “निचले स्तर की कार्यान्वयन एजेंसियों से धन की वापसी एक सही संकेत है. इससे यह भी पता चलता है कि किसी भी स्तर पर धन की कोई हेराफेरी या गलत इस्तेमाल नहीं हुआ है. और बचा हुआ धन राज्य में वापस आ रहा है.”

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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