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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशCBI ने कहा, पूर्व NSE प्रमुख ने हेरफेर के लिए सर्वर एक्सेस पर ‘कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई थी’

CBI ने कहा, पूर्व NSE प्रमुख ने हेरफेर के लिए सर्वर एक्सेस पर ‘कोई स्पष्ट नीति नहीं बनाई थी’

सीबीआई जिस को-लोकेशन सेटअप की जांच कर रही है, उसे लेकर आरोप लगाया जा रहा है कि इसकी स्थापना संबंधी ‘अवधारणा और उस पर अमल’ की शुरुआत एनएसई प्रमुख के तौर पर चित्रा रामकृष्ण के कार्यकाल के दौरान ही हुई थी.

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नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अपनी जांच के दौरान पाया है कि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) की पूर्व प्रमुख चित्रा रामकृष्ण ने ‘जानबूझकर ही स्पष्ट रूप से परिभाषित नीतियां नहीं बनाई थी जिससे कुछ ब्रोकर्स को दूसरों की कीमत पर अनुचित लाभ मिला.’ एजेंसी 2010 से 2014 के बीच देश के सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज में सर्वरों के साथ कथित हेरफेर की जांच कर रही है, जिसकी वजह से कुछ दलालों को एनएसई प्लेटफॉर्म पर तरजीह मिली थी.

सीबीआई के सूत्रों के मुताबिक, रामकृष्ण के कार्यकाल के दौरान ही को-लोकेशन के सेटअप की ‘अवधारणा सामने आई और इस पर अमल’ भी शुरू किया गया. एक को-लोकेशन सेट-अप ब्रोकर के कंप्यूटर उसी क्षेत्र में लगाने की अनुमति देता है जहां स्टॉक एक्सचेंज का सर्वर स्थित हो. इससे किसी अन्य की तुलना में यहां काम कर रहे दलालों को लगभग 10 गुना गति का लाभ मिलता है.

इस मामले में रविवार को गिरफ्तार चित्रा रामकृष्ण पर एनएसई से जुड़ी अहम जानकारियां एक ‘हिमालयन योगी’ को देने के आरोप भी लगे हैं.

‘गोल-मोल बातें करके जांचकर्ताओं को गुमराह करने की कोशिश’

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, चित्रा पूछताछ के दौरान ‘गोल-मोल’ बातें कर रही हैं और ‘कोई स्पष्ट ब्यौरा देने से इनकार कर रही हैं.’

सीबीआई ने पूर्व एनएसई प्रमुख की हिरासत की मांग करते हुए सोमवार को अदालत को यह भी बताया कि जब उन्हें उनके पूर्व सहयोगी आनंद सुब्रमण्यम, जो एनएसई में ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) थे और जिन्हें चित्रा रामकृष्ण ने ही नियुक्त किया था, के साथ बैठाकर पूछताछ की गई तो उन्होंने ‘उन्हें पहचानने से ही इनकार कर दिया.’

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जबकि सूत्रों के मुताबिक, दोनों के बीच करीब 2,500 ई-मेल का आदान-प्रदान हुआ है.

एक सूत्र ने कहा, ‘वह बहुत ज्यादा टालमटोल कर रही हैं. जब तथ्यों और जांच के नतीजों को सामने रखा जाता है तो वह कोई भी जवाब नहीं देती हैं और कुछ नए ही तथ्यों को सामने लाकर गुमराह करने की कोशिश करती हैं. उन्होंने उस आदमी को पहचानने तक से इनकार कर दिया जिसकी नियुक्ति उन्होंने ही की थी और उसे प्रोमोशन भी दिया था. हमारे पास उनके बीच आदान-प्रदान का पूरा ब्यौरा है लेकिन वह इसे स्वीकार करने से इनकार कर रही हैं.’

जांचकर्ताओं ने कहा कि चित्रा रामकृष्ण ने कथित तौर पर एनएसई की महत्वपूर्ण और गोपनीय जानकारियां एक व्यक्ति के साथ साझा की, जिसे वह ‘हिमालयन योगी’ कहती हैं. सीबीआई को संदेह है कि उक्त योगी कोई और नहीं सुब्रमण्यम ही है, जिसे पिछले माह गिरफ्तार किया गया था और इस समय वह सीबीआई की हिरासत में है.

सुब्रमण्यम को पहली बार 2013 में एनएसई में मुख्य रणनीतिक सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया गया था और चित्रा रामकृष्ण ने उन्हें 2015 में जीओओ के पद पर प्रोमोट किया था. बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट में बताया था कि सुब्रमण्यम की नियुक्ति उन निर्णयों में शामिल थी जिसे चित्रा ने ‘योगी’ के प्रभाव में आकर लिया था.


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‘एनएसई प्रमुख ने धोखाधड़ी को नजरअंदाज किया’

जांच के दौरान सीबीआई ने पाया कि एनएसई सर्वरों में उसके अधिकारियों की मिलीभगत से हेरफेरी हुई, जिससे एक कंपनी को ‘अनुचित लाभ’ मिला और अन्य ब्रोकर और व्यापारियों को ‘गलत तरह से नुकसान’ उठाना पड़ा.

जांचकर्ताओं ने दिप्रिंट को बताया कि सर्वरों के साथ कथित हेरफेर और डाटा तक पहुंच में तरजीह मिलने संबंधी तथ्य पहली बार 2012 में सामने आने के बाद फेवरेबल रिपोर्ट पाने के लिए न केवल एनएसई, बल्कि सेबी के अधिकारियों को रिश्वत दी गई थी.

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, एनएसई प्रमुख चित्रा रामकृष्ण ने ‘सेकेंडरी सर्वर एक्सेस संबंधी नीतियों और प्रक्रियाओं को स्पष्ट तौर पर परिभाषित नहीं किया था, जिससे अन्य लोगों की कीमत पर कुछ ब्रोकर को अनुचित लाभ मिलता था.’

अपनी जांच में सीबीआई ने पाया कि एनएसई कॉन्फिगरेशन फाइल के लिए बैकअप रिकॉर्ड बनाए रखने में विफल रहा, जिसमें आईपी एड्रेस, पोर्ट नंबर और वेंडर फाइल जैसे पैरामीटर्स के साथ-साथ पोर्ट्स के टीबीटी (टिक बाय टिक) डाटा हासिल करने के सीक्वेंस या कॉन्फिगरेशन फाइल को नंबरों द्वारा बदलने की रिक्वेस्ट संबंधी ब्यौरा दर्ज होता है.

यह 2018 की बात है जब सीबीआई को पहली बार किसी सोर्स के जरिये इस कथित घोटाले के बारे में आगाह करते हुए कुछ जानकारी मिली और इस मामले में एक एफआईआर भी दर्ज कर ली गई. केंद्रीय जांच एजेंसी के मुताबिक, जानकारी मिली थी कि 2010-2014 के बीच दिल्ली स्थित स्टॉक ब्रोकर ओपीजी सिक्योरिटीज के मालिक और प्रोमोटर संजय गुप्ता ने कथित तौर पर एनएसई के अधिकारियों के साथ मिलीभगत की और इसके सर्वर आर्किटेक्चर का दुरुपयोग किया.

ऊपर उद्धृत सीबीआई सूत्र ने बताया, ‘जांच से यह भी पता चला है कि ओपीजी सिक्योरिटीज सहित कुछ ब्रोकर ने लगातार टीबीटी सर्वर से जुड़ने वाले पहले सदस्य बनकर अनुचित लाभ उठाया.’

सीबीआई सूत्रों के मुताबिक, एनएसई ने कथित तौर पर इसकी जानकारी होने के बावजूद मामले को सुलझाने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की. जांच में पता चला कि ओपीजी सिक्योरिटीज ने कथित तौर पर एक ही सर्वर पर कई आईपी एड्रेस मैप किए थे, इस तरह उसे अक्सर सर्वर पर पहले दो या यहां तक कि तीन तक कनेक्शन मिल जाते थे और अन्य लोगों की भीड़ पीछे रह जाती थी.

सूत्रों ने बताया कि जांच में यह भी पता चला है कि चित्रा ने कथित तौर पर अजय शाह नामक एक व्यक्ति और इन्फोटेक फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को गोपनीय ट्रेडिंग डाटा प्रदान करने की सुविधा मुहैया कराई, इस बात को अच्छी तरह जानते हुए भी कि कंपनी एनएसई ब्रोकर को एल्गोरिथम सॉफ्टवेयर मुहैया करा रही थी और यह हितों का टकराव का मामला था.

सूत्र ने कहा, ‘यह तब था जब उन्हें पता था कि इन्फोटेक की निदेशक सुनीता थॉमस एनएसई में एसवीपी सुप्रभात लता की पत्नी हैं.’

को-लोकेशन की शुरुआत चित्रा रामकृष्ण के कार्यकाल में हुई

सीबीआई ने अपने रिमांड आवेदन (जिसे दिप्रिंट ने देखा है) में अदालत को बताया कि को-लोकेशन सेटअप की परिकल्पना और उस पर अमल की शुरुआत एनएसई की संयुक्त एमडी के तौर पर चित्रा रामकृष्ण के कार्यकाल के दौरान हुई थी.

चित्रा रामकृष्ण 2009 से 31 मार्च, 2013 तक एनएसई की संयुक्त एमडी के तौर पर कार्यरत थीं और यह आरोप लगाया जाता है कि इसी दौरान को-लोकेशन के सेट-अप की अवधारणा सामने आई और इस पर अमल भी तभी हुआ. उन्हें 1 अप्रैल, 2013 को एनएसई की एमडी और सीईओ नियुक्त किया गया था.

सीबीआई ने अपने रिमांड आवेदन में कहा है, ‘जांच से पता चला है कि आरोपी चित्रा रामकृष्ण के एनएसई की एमडी और सीईओ के तौर पर पदभार ग्रहण करने के बाद 2013-16 की अवधि में ओपीजी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड को 300 से अधिक ट्रेडिंग डे के दौरान कोलो-टीबीटी डिसेमिनेशन सर्वर (एनएसई के) के सेकेंडरी सर्वर से कनेक्ट करने की अनुमति मिली थी, जिसके जरिये ‘इसे अनुचित लाभ मिला.’

इसमें यह भी कहा गया है कि ओपीजी सिक्योरिटीज प्राइवेट लिमिटेड को 2012 में बार-बार आगाह किया गया था कि सेकेंडरी सर्वर तक पहुंच एनएसई के नियमों और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है.

सीबीआई ने कहा, हालांकि, एनएसई ने 2013 के दौरान बिना किसी उचित कारण के ओपीजी सिक्योरिटीज को ऐसी चेतावनियां जारी करना बंद कर दिया था, जिस समय चित्रा रामकृष्ण एनएसई की एमडी और सीईओ थीं.

सीबीआई ने सोमवार को कोर्ट को यह भी बताया कि जांच से पता चलता है कि को-लोकेशन आर्किटेक्चर में एनएसईटेक (एनएसई की सहायक कंपनी) के सीटीओ मुरलीधरन नटराजन एनएसई की भी भूमिका रही है, जो उस समय चित्रा रामकृष्ण को ही रिपोर्ट कर रहे थे.

सीबीआई कोर्ट ने चित्रा रामकृष्ण को सात दिन की हिरासत में भेज दिया है और पूछताछ के दौरान एजेंसी की तरफ से इस मामले में जुटाए गए डिजिटल और फॉरेंसिक सबूतों को उनके सामने लाया जाएगा.

चित्रा रामकृष्ण का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने रिमांड का विरोध किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि वह पहले ही कई तारीखों पर सीबीआई जांच के लिए पेश हो चुकी हैं और ‘पूरा सहयोग’ कर रही हैं.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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