नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मुंबई के पास पोत नौवहन मार्गों को गहरा करने के लिए ‘कैपिटल ड्रेजिंग प्रोजेक्ट’ में 800 करोड़ रुपये से अधिक की कथित अनियमितताओं के लिए जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (जेएनपीटी) और टाटा कंसल्टिंग इंजीनियर्स (टीसीई) के पूर्व अधिकारियों व दो ‘ड्रेजिंग’ कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
एजेंसी ने यह कार्रवाई तीन साल की प्रारंभिक जांच के बाद की, जिसमें अनुमानों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने, अंतरराष्ट्रीय बोली लगाने वाली कंपनियों के पक्ष में प्रतिस्पर्धा में बाधा उत्पन्न करने, ठेकेदारों को अनुचित लाभ पहुंचाने और स्वतंत्र विशेषज्ञ संगठनों की रिपोर्ट को दबाने के आरोपों की जांच की गई।
सीबीआई ने अपनी प्राथमिकी में जेएनपीटी के तत्कालीन मुख्य अभियंता सुनील कुमार मदभवी, टीसीई के तत्कालीन परियोजना निदेशक देवदत्त बोस, ‘बोसकालिस स्मिट इंडिया’ एलएलपी, ‘जान दे नुल ड्रेजिंग इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ और अन्य अज्ञात लोकसेवकों के खिलाफ तत्कालीन भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 420 (धोखाधड़ी) तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया है।
एजेंसी ने बुधवार को प्राथमिकी दर्ज करने के बाद मुंबई और चेन्नई में पांच स्थानों पर छापेमारी की, जिसमें मदभवी, बोस के आवास और निजी कंपनियों के कार्यालय शामिल हैं।
सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि छापेमारी में ‘कैपिटल ड्रेजिंग प्रोजेक्ट’ से संबंधित कई दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए गए निवेश को दर्शाने वाले दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
उन्होंने एक बयान में कहा कि बरामद दस्तावेजों की जांच की जा रही है। आरोपी कंपनियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।
सीबीआई ने प्राथमिकी में कहा, “जेएनपीटी अधिकारियों द्वारा आधिकारिक पद के दुरुपयोग के परिणामस्वरूप निजी कंपनियों द्वारा प्राप्त किए गए आर्थिक लाभ के आरोपों की भी जांच की गई, जिसके परिणामस्वरूप 2003 से 2014 (परियोजना का पहला चरण) और 2013 से 2019 (परियोजना का दूसरा चरण) की अवधि में सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ।”
भाषा जितेंद्र नेत्रपाल
नेत्रपाल
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.