नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार की दखल के बावजूद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) में मचा घमासान थमने का नाम नहीं ले रहा है. सीबीआई के पूर्व निदेशक आलोक वर्मा ने अग्निशमन विभाग का चार्ज संभालने से इनकार करते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. दूसरी तरफ, विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को झटका देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी. न्यायमूर्ति नाजिमी वजीरी ने सीबीआई को निर्देश दिया कि वह अस्थाना के खिलाफ जांच जारी रखे.
सीबीआई का निदेशक रहते हुए आलोक वर्मा और सीबीआई के नंबर दो अधिकारी राकेश अस्थाना के बीच आपसी विवाद के खुलकर सामने आने के बाद सरकार ने वर्मा को छुट्टी पर भेज दिया था. आठ जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बहाल करते हुए कहा था कि वे अपना चार्ज संभाल सकते हैं लेकिन कोई महत्वपूर्ण निर्णय नहीं लेंगे.
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वर्मा के पद संभालने के अगले ही दिन प्रधानमंत्री की अगुआई वाली समिति ने उन्हें फिर से पद से हटा कर उनका तबादला कर दिया. उन्हें अग्निशमन विभाग का डीजी बनाया गया था. अब उन्होंने यह नया पद संभालने से इनकार करते हुए इस्तीफा दे दिया है.
आलोक वर्मा ने अग्निशमन विभाग में डीजी का चार्ज लेने के लिए इनकार करते हुए अपने इस्तीफे में लिखा है, ‘पूरी प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय को बाधित किया गया और डायरेक्टर पद से मुझे हटाने के लिए पूरी प्रक्रिया को उलट दिया गया.’
उन्होंने कहा, मजबूत संस्थाएं लोकतंत्र का प्रतीक होती हैं और इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि सीबीआई भारत सरकार की महत्वपूर्ण संस्था है. कल का घटनाक्रम यह तय करेगा कि सरकार एक संस्था के रूप में सीबीआई के साथ कैसा बर्ताव करती है.’
आलोक वर्मा बोले, आरोप झूठे
आलोक वर्मा ने शुक्रवार को कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप झूठे, अप्रमाणित हैं. आलोक वर्मा का सीबीआई निदेशक के तौर पर कमान संभालने के 48 घंटे के भीतर तबादला कर दिया गया.
विशेष निदेशक राकेश अस्थाना द्वारा लगाए गए अरोपों का जिक्र करते हुए आलोक वर्मा ने कहा, ‘यह दुखद है कि मेरे विरोधी सिर्फ एक व्यक्ति द्वारा लगाए गए झूठे, अप्रमाणित, हल्के आरोपों के आधार पर मेरा तबादला कर दिया गया.’
वर्मा को उच्चस्तरीय चयन समिति ने 2-1 के फैसले से गुरुवार शाम को उनके पद से हटा दिया था. इस समिति के सदस्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई द्वारा नामित न्यायमूर्ति एके सीकरी शामिल थे.
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इस बैठक में न्यायमूर्ति सीकरी ने केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) के निष्कर्षों के आधार पर सरकार का पक्ष लिया कि आलोक वर्मा को पद से हाटाया जाना चाहिए. मल्लिकार्जुन खड़गे ने बहुमत के फैसले का विरोध किया. उन्होंने फैसले से असहमति जाहिर की.
आलोक वर्मा 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्हें राकेश अस्थाना के साथ टकरार सार्वजनिक होने के बाद 23 अक्टूबर को छुट्टी पर भेज दिया गया था. आलोक वर्मा को शीर्ष अदालत ने मंगलवार को फिर से सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाल कर दिया.
आलोक वर्मा ने गुरुवार रात कहा, ‘मैंने संस्था की अखंडता बनाए रखने की कोशिश की और अगर मौका मिला तो कानूनी नियमों को बनाए रखने के लिए फिर से ऐसा करूंगा.’
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उन्होंने कहा कि सीबीआई भ्रष्टाचार से निपटने वाली एक प्रमुख जांच एजेंसी है, एक ऐसी संस्था है जिसकी स्वतंत्रता को संरक्षित और सुरक्षित किया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘इसे बिना किसी बाहरी प्रभावों यानी दखलअंदाजी के कार्य करना चाहिए. मैंने संस्था की साख बनाए रखने की कोशिश की है, जबकि इसे नष्ट करने के प्रयास किए जा रहे हैं.’
उन्होंने सरकार व सीवीसी के 23 अक्टूबर के आदेशों का जिक्र करते हुए कहा, ‘इसे केंद्र सरकार और सीवीसी के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे.’
सरकार व सीवीसी के 23 अक्टूबर के आदेश में आलोक वर्मा को उनके अधिकारों से वंचित कर उन्हें छुट्टी पर भेज दिया गया था. समिति की बैठक के तुंरत बाद आलोक वर्मा को 31 जनवरी तक के लिए अग्निशमन सेवा, नागरिक सुरक्षा और होम गार्ड का महानिदेशक नियुक्त कर दिया गया.
आलोक वर्मा का कार्यकाल 31 जनवरी को समाप्त हो रहा है. सरकार ने अगले निदेशक की नियुक्ति तक सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को अंतरिम निदेशक के रूप में जिम्मेदारी सौंपी.
नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई निदेशक का कार्यभार मिला
सीबीआई के निदेशक पद से आलोक वर्मा को हटाए जाने के एक दिन बाद शुक्रवार को अतिरिक्त निदेशक एम. नागेश्वर राव को फिर से सीबीआई निदेशक का कार्यभार दे दिया गया. वर्ष 1986 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी राव ने कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के अनुरूप कार्यभार संभाल लिया.
सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना और वर्मा द्वारा एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने के बाद केंद्र सरकार ने 23 अक्टूबर को वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेज दिया था और राव को अंतरिम निदेशक का प्रभार सौंपा था.
वर्मा को सीबीआई निदेशक के रूप में फिर से नियुक्त करने के 48 घंटे के भीतर ही पद से हटाकर राव को पद्भार सौंप दिया गया.
(समाचार एजेंसी आईएएनएस से इनपुट के साथ)