scorecardresearch
Thursday, 21 November, 2024
होमBud ExpectationBudget 23: ‘क्या सीवर सफाई के दौरान होने वाली मौतें रुकेंगी’? मशीनों से सफाई और वित्तमंत्री का 100 करोड़ का फंड

Budget 23: ‘क्या सीवर सफाई के दौरान होने वाली मौतें रुकेंगी’? मशीनों से सफाई और वित्तमंत्री का 100 करोड़ का फंड

1 फरवरी को बजट पेश करते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अब सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई को पूरी तरह से मशीन के माध्यम से होगा. इसके लिए उन्होंने नमस्ते प्लान के तहत 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

Text Size:

नई दिल्ली: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते 1 फरवरी को संसद में वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश किया. अपने बजट भाषण में वित्तमंत्री ने कहा कि सीवर और सेप्टिक टैंक सफाई अब पूरी तरह से मशीनों के माध्यम से होगी. इसके लिए वित्तमंत्री ने एक नवगठित ‘नमस्ते’ (नेशनल एक्शन फॉर मैकेनाइज्ड सेनेटाइजेशन इकोसिस्टम) योजना के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान भी किया गया है. 

वित्तमंत्री ने कहा कि हम सेप्टिक टैंक और सीवर की सफाई पूर्णत: मशीनों के माध्यम से करवाने के लिए प्रतिबद्ध है. 

उन्होंने कहा, ‘सरकार इसके साथ साथ सूखे और गीले कचरे के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिए बेहतर ध्यान दिया जाएगा.’

हालांकि सरकार ने हाथ से मैला उठाने को लेकर साल 1993 में ही रोक लगा दी थी. इसके लिए सरकार ने मैन्युअल स्कैविंग प्रोबेशन एक्ट 1993 पारित किया था. लेकिन आज तक अधिकतर जगहों पर सफाईकर्मी हाथ से ही सफाई करते हैं.

केंद्र सरकार की ‘नमस्ते’ योजना

‘नमस्ते’ योजना सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय और आवास व शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से शुरू की गई थी. यह योजना स्वच्छता बुनियादी ढांचे के रखरखाव और संचालन में एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाकर पूरे शहरी भारत में सफाई कर्मचारियों को सुरक्षा और सम्मान प्रदान करने के लिए लाई गई थी. इसका मुख्य उद्देश्य सफाई कर्मचारियों को स्थायी आजीविका प्रदान करने के साथ ही भारत भर में स्वच्छता कार्यों में शून्य मृत्यु प्राप्त करना है. इस योजना का तहत सुनिश्चित करना है कि सफाई कर्मचारी सीधे प्रदूषण के संपर्क में न आए.   

नमस्ते योजना में सरकार सीवर और सेप्टिक टैंक में काम करने वाले मजदूरों की पहचन करेगी और उनके आवश्यक सेफ्टी किट सहित अन्य जरूरी सामान मुहैया कराएगी.

दिल्ली एमसीडी के पूर्व डायरेक्टर योगेंद्र मान कहते हैं, ‘यह बहुत जरूरी था. हालांकि हाथ से मैला सफाई पहले ही काफी हद तक पहले ही खत्म हो चुकी है. अधिकतर जगहों पर अब मशीनों के जरिए ही सफाई हो रही है.’

उन्होंने कहा, ‘इससे छोटे शहरों को फायदा होगा जहां अभी भी काफी हद तक सफाई कर्मी सीवर में उतरकर सफाई करते हैं.’

योगेंद्र कहते हैं कि धीरे धीरे हाथ से सफाई पूरी तरह खत्म हो जाएगा. हाथ से मैला साफ करने पर पहले से ही प्रतिबंध है.

लेकिन इन सब के बीच आए दिन सीवर में उतरने से सफाई कर्मी की मौत की खबरें आती रहती हैं.


यह भी पढ़ें: Budget 2023: 5 लाख रुपये से अधिक के वार्षिक प्रीमियम वाली जीवन बीमा पॉलिसी कर दायरे में


सरकार के आंकड़े और वास्तविकता अलग

बीते साल लोकसभा में केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा था कि बीते पांच सालों में सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान 325 लोगों की मौत हुई है. केंद्रीय मंत्री सांसदों द्वारा पूछे गए एक प्रश्न का जवाब दे रहे थे. उन्होंने बताया था कि साल 2017 में 93, 2018 में 70, 2019 में 118, 2020 में 19 और 2021 में 24 सफाई कर्मियों की मौत हुईं थी. 

हालांकि केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़े में काफी अंतर देखने को मिला था. राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग ने एक आरटीआई का जवाब देते हुए कहा था कि सिर्फ 2017, 2018 और 2019 में कुल 271 सफाई कर्मचारियों की मौत हुई थी. 2019 में सीवर की सफाई के दौरान 110 लोगों, 2018 में 68 और 2017 में 193 लोगों की मौत हुई थी. 

साथ ही बीते साल समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन ने भी राज्यसभा में सीवर सफाई और कर्मचारियों के मौत का मामला सदन में उठाया था. सदन में जया बच्चन ने कहा था, ‘कई बार सदन में सीवर कर्मचारियों के मौतों पर बात की गई, लेकिन यह शर्म की बात है कि हम आज भी उनको सुरक्षा नहीं दे पाए और आज हम उनकी मौत के बारे में बात कर रहे हैं.’

उन्होंने आगे कहा, ‘मैं समझ नहीं रही हूं कि हम उन्हें सुरक्षा के उपाय क्यों मुहैया नहीं करवा रहे हैं. हम विकास की बात करते हैं, चांद और मंगल पर जाने की बात करते हैं लेकिन सीवर में घुसकर सफाई करने वाले लोग मर रहे हैं और हम उनके लिए कुछ नहीं कर पा रहे हैं.’

सीवर सफाई में लगे अधिकतर लोग दलित समुदाय से

साल 2021 में आरजेडी सांसद मनोज झा द्वारा पूछे गए एक प्रश्न का जवाब देते हुए सरकार ने संसद में कहा था कि देश में कुल 58,098 लोगों मैला साफ करने के काम में लगे हैं जिसमें से 97 प्रतिशत दलित हैं. इसमें से 43,797 लोग दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. इसके अलावा 421 लोग आदिवासी, जबकि 431 लोग ओबीसी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं जबकि 351 लोग अन्य वर्ग के हैं. 

सरकार ने सदन को यह भी बताया था कि इस काम में लगे लोगों को दूसरे अन्य कामों में लगाया जा रहा है. मैला साफ करने वाले लोगों को सरकार ने 40,000 रुपये की नकद सहायता राशि भी जारी का थी.


यह भी पढ़ें: Budget 2023 : डिफेंस को पिछले साल के मुकाबले 13% ज्यादा, पेंशन और वेतन पर लगभग आधा हिस्सा खर्च होगा


 

share & View comments