scorecardresearch
Sunday, 28 April, 2024
होमदेशब्राजील के एक अध्ययन का कहना है- डेंगू एंटीबॉडीज कोविड के खिलाफ पैदा कर सकते हैं इम्युनिटी

ब्राजील के एक अध्ययन का कहना है- डेंगू एंटीबॉडीज कोविड के खिलाफ पैदा कर सकते हैं इम्युनिटी

इस अध्ययन को ब्राजील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय और ड्यूक विश्वविद्यालय, अमेरिका के शोधकर्ताओं द्वारा आयोजित किया गया था. अभी तक इसकी समीक्षा होनी है.

Text Size:

नई दिल्ली: ब्राजील में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि जिन राज्यों में 2019-2020 में बड़ी संख्या में लोगों को डेंगू हुआ वहां कोविड-19 मामलों में कम मौतें हुई हैं. शोधकर्ताओं के अनुसार, इस निष्कर्ष से पता चलता है कि डेंगू एंटीबॉडीज नॉवल कोरोनावायरस के विरुद्ध कुछ स्तर तक प्रतिरक्षा दे सकते हैं.

संक्रमण की संख्या के आधार पर देखें तो, कोविड महामारी से बुरी तरह प्रभावित ब्राजील तीसरा बड़ा देश है, जहां मंगलवार तक 45,60,083 मामले दर्ज किए गए हैं. हालांकि, यह – जो केवल 1.37 लाख मामलों के साथ अमेरिका के बाद कोरोनोवायरस से मौत के मामले में दूसरे नंबर पर है पर है.

यह अध्ययन ब्राजील के साओ पाउलो विश्वविद्यालय और यूएस के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है. इसका अभी पियर-रिव्यू होना है और पिछले सप्ताह प्रीप्रिंट पोर्टल medRxiv पर पर पोस्ट किया गया है.

यदि यह निर्णायक रूप से सही साबित होता है तो इस अध्ययन का भारत के लिए गहरा महत्व है, जो हर साल डेंगू के प्रकोप से लड़ता है और दर्जनों अन्य देशों में जहां यह महामारी- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कम से कम 100 देशों की स्थानीय है.


यह भी पढ़ें: भारतीय कोविड वैक्सीन विकसित करने के लिए, इस कारण हो रहा है नवजात पशुओं के ख़ून का प्रयोग


अध्ययन ने ब्राजील में ऐसे विभिन्न कारकों को देखने का प्रयास किया जो देश में सार्स-सीओवी-2 या नॉवल कोरोनावायरस के प्रसार पर असर डाले हैं. शोधकर्ताओं ने ब्राजील में कोविड-19 के असमान प्रसार करने वाले कारकों को समझने के लिए गणितीय मॉडलिंग का इस्तेमाल किया.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

उन्होंने पाया कि महामारी के प्रथम तीन महीनों के दौरान ब्राजील में लगभग 17 ‘सुपर-स्प्रेड’ वाले शहर 99 फीसदी कोविड-19 मामलों के लिए जिम्मेदार हैं.

उनके मॉडलिंग से यह भी पता चलता है कि ‘ऐसे राज्यों में, जिनमें 2019-2020 में जनसंख्या का एक बड़ा हिस्सा डेंगू बुखार की चपेट में आया था, वहां कम कोविड-19 मामले और मौतें हुई हैं.’

टीम अध्ययन में बताती है, इस तरह के राज्यों में सार्स-सीओवी-2 संक्रमण की वृद्धि दर धीमी होने के कारण, घातक कम्युनिटी ट्रांसिमशन तक पहुंचने में ज्यादा समय लगा.

कुल मिलाकर, टीम ने पाया कि जिन क्षेत्रों में डेंगू एंटीबॉडीज वाले लोगों का प्रतिशत अधिक था, उनमें कोविड-19 के मामले, संक्रमण में वृद्धि और मृत्यु दर कम थी.

इन निष्कर्षों के आधार पर, वे अनुमान लगाते हैं कि डेंगू एंटीबॉडीज नॉवल कोरोनवायरस से कुछ मात्रा में बचाव कर सकते हैं. वे यह भी सुझाव देते हैं कि डेंगू वायरस का टीका-अभी 20 देशों में स्वीकृत वैक्सीन है-जो कोविड-19 के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान कर सकता है.

डेंगू-कोविड से जुड़ा पहला अध्ययन नहीं

यह पहली बार नहीं है जब वैज्ञानिक सुझाव दे रहे हैं कि डेंगू एंटीबॉडीज कोविड-19 के खिलाफ कुछ सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं.

जून में, सुभजीत विश्वास के नेतृत्व में सीएसआईआर के भारतीय रासायनिक जीवविज्ञान संस्थान की एक टीम यह सुझाव देने वाली पहली थी कि सार्स-सीओवी-2 से डेंगू एंटीबॉडीज के बीच संबंध हो सकता है.

उन्होंने पहले एक कम्प्यूटेशनल अध्ययन किया जिसमें सुझाव दिया गया कि डेंगू एंटीबॉडी एक ऐसी प्रक्रिया को बाधित कर सकते हैं जो सार्स-सीओवी-2 के मानव कोशिकाओं में प्रवेश करने के लिए महत्वपूर्ण है.

एक अन्य अध्ययन में, जिसे अगले महीने medRxiv पर पोस्ट किया गया था, दावा किया गया था कि ब्लड सीरम नमूने जिसमे डेंगू एंडटीबॉडीज थे, कभी-कभी सार्स-सीओवी-2 एंटीबॉडी का टेस्ट किए जाने पर गलत पॉजिटिव नतीजे दे सकते हैं. यह खोज सीरो सर्विलांस एक्सरसाइज पर जोर देने की मांग करती है- इसका अर्थ यह है कि इस मामले में किसी संक्रमण का पता लगाने के लिए, एंटीबॉडी के एक विशेष सेट को तलाशने, अधिक सटीक रिजल्ट के लिए कोविड के साथ अन्य रूपों में टेस्टिंग होनी चाहिए जहां ‘वायरस क्षेत्र विशेष से जुड़े होते हैं.’

दोनों पेपर, जिनका अभी तक पियर रिव्यू किया जाना है, ने सुझाव दिया है कि संक्रमण को बाधित करने में डेंगू एंटीबॉडीज SARS-CoV-2 के प्रोटीन के साथ क्रॉस-रिएक्ट कर सकते हैं.

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एक डेंगू वैक्सीन सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के खिलाफ प्रतिरक्षा के कुछ स्तर को प्रदान कर सकती है, जब तक कि एक बेहतर विकल्प नहीं आता.

उनके काम के बाद इजरायल की एक टीम ने भी इसी प्रकार का अध्ययन किया और यह दिखाने में सफल रही कि कोवीड-19 रोगी डेंगू एंटीबॉडी और इसके उलट पॉजिटिव हो सकते हैं. पिछले महीने अध्ययन का क्लीनिकल इंफेक्शन डिजीज में पियर-रिव्यू प्रकाशित किया गया था.

ब्राजील के अध्ययन के बारे में बात करते हुए, वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील, जो चैरिटी वेलकम ट्रस्ट/डीबीटी इंडिया एलायंस के सीईओ के रूप में कार्य करते हैं और अनुसंधान में शामिल नहीं थे, ने बताया कि जो कहा गया है वह दिलचस्प है, अधिक काम करने की जरूरत है.

उन्होंने कहा, उदाहरण के लिए, परिकल्पना का समर्थन करने के लिए दो वायरस की तुलना करने वाले एक संरचना-आधारित मॉडल को देखने की जरूरत है, लेकिन यह शोधकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत नहीं किया गया था.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: भारतीय रसोई की चीज़ों का इस्तेमाल कर रिसर्चर्स ने विकसित किया कोविड का नया ‘सूंघने वाला टेस्ट’


 

share & View comments