मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने तमाम विषम परिस्थितियों के बावजूद काम करने के लिए मुंबई पुलिस की सराहना करते हुए कहा कि पुलिसकर्मी कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन के बीच काफी दबाव में अपना काम कर रहे हैं और जनता से भी उन्हें सहयोग मिलना चाहिए.
न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ ने बृहस्पतिवार को कहा कि मुंबई पुलिस को दुनिया की बेहतरीन पुलिस में से एक माना जाता है.
न्यायमूर्ति शिंदे ने कहा, ‘महामारी के इस मुश्किल समय में पुलिस अधिकारी का काम काफी चुनौतियों भरा रहा है. मुंबई पुलिस पर पहले से ही काफी दबाव है. उन्हें 12 घंटे की ड्यूटी करनी पड़ती है और फिर जुलूस, रैलियां भी निकाली जाती है, जिसके लिए बंदोबस्त की आवश्यकता होती है.’
उन्होंने कहा, ‘इन सभी विषम परिस्थितियों के बावजूद मुंबई पुलिस को दुनिया की बेहतरीन पुलिस में से एक माना जाता है और उसकी तुलना स्कॉटलैंड यार्ड (लंदन पुलिस) से की जाती है. इसलिए जनता का भी सहयोग जरूरी है.’
नवी मुंबई निवासी सुनयना होली की एक याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह टिप्पणी की. उन्होंने अपने खिलाफ दर्ज तीन एफआईआर को रद्द करने का अनुरोध किया है. सोशल मीडिया पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मंत्री आदित्य ठाकरे के खिलाफ अभद्र टिप्पणी कर विभिन्न समूहों के बीच नफरत और रंजिश बढाने के आरोप में सुनयना के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
अतरिक्त लोक अभियोजक जयेश याग्निक ने अदालत को बताया कि सुनयना को नोटिस जारी किए जाने के बावजूद वह अपना बयान दर्ज कराने के लिए बीकेसी साइबर पुलिस के जांच अधिकारी के सामने उपस्थित नहीं हुईं. सुनयना के वकील अभिनव चंद्रचूड़ ने बताया कि उनकी मुवक्किल खराब स्वास्थ्य के कारण पेश नहीं हो सकीं और भरोसा दिया कि वह दो नवंबर को पुलिस के सामने पेश होंगी .
अदालत ने उनके अनुरोध को स्वीकार लिया और कहा, ‘हमें आशा और अपेक्षा है कि याचिकाकर्ता (सुनयना) जांच में पूरा सहयोग करेंगी.’
मामले में अब 23 नवंबर को आगे की सुनवाई होगी.