scorecardresearch
Monday, 23 December, 2024
होमदेशबॉम्बे हाई कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को डिफॉल्ट जमानत दी

बॉम्बे हाई कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को डिफॉल्ट जमानत दी

सुधा भारद्वाज वर्ष 2018 में गिरफ्तारी के बाद से विचाराधीन कैदी के तौर पर कारागार में बंद हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद माओवादी संबंध मामले में वकील सुधा भारद्वाज को बुधवार को डिफॉल्ट जमानत दे दी है. अदालत ने भारद्वाज को इस आधार पर जमानत प्रदान कि उनके खिलाफ निश्चित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं हुआ इसलिए वह जमानत की हकदार हैं.

न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एन.जे. जामदार की पीठ ने इसके साथ ही निर्देश दिया कि भारद्वाज को शहर की राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की विशेष अदालत में पेश किया जाए, जो उनकी जमानत की शर्तें तय करेगी और मुंबई के भायकला महिला कारागार से रिहायी को अंतिम रूप देगी. भारद्वाज वर्ष 2018 में गिरफ्तारी के बाद से विचाराधीन कैदी के तौर पर कारागार में बंद हैं.

भारद्वाज के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता युग चौधरी ने इससे पहले उच्च न्यायालय को बताया कि पुणे पुलिस द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेने वाले और भारद्वाज एवं सात अन्य आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेजने वाले न्यायाधीश के.डी. वदने ने एक अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हैं.

चौधरी ने पहले उच्च न्यायालय को बताया था कि वदने ने अदालती आदेश पर एक विशेष न्यायाधीश के तौर पर हस्ताक्षर किए जबकि वह एक विशेष न्यायाधीश नहीं थे.

न्यायमूर्ति शिंदे के नेतृत्व वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने भारद्वाज की अर्जी पर इस साल चार अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था.

हालांकि, उच्च न्यायालय ने सह आरोपी सुधीर धवले और सात अन्य आरोपियों की जमानत अर्जियां खारिज कर दी. इन अर्जियों में इस आधार पर जमानत दिये जाने का अनुरोध किया गया था कि उनके खिलाफ निश्चित अवधि में आरोपपत्र दाखिल नहीं हुआ.


यह भी पढ़ें:‘मरने के लिए छोड़ दिया’: भीमा कोरेगांव के आरोपियों के परिवारों ने रिहाई की मांग की, कहा- जेल की स्थिति खराब


 

share & View comments