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Monday, 6 May, 2024
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बाम्बे HC ने कहा- केंद्र केरल और जम्मू-कश्मीर की तरह घर-घर टीकाकरण अभियान चलाए

खंडपीठ ने कहा कि उसे यह समझ नहीं आ रहा कि घर-घर जाकर टीका लगाने में केंद्र को क्या दिक्कत है जबकि केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य पहले से ही ऐसे अभियान चला रहे हैं.

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मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्र सरकार से केरल और जम्मू कश्मीर द्वारा ‘सफलातपूर्वक’ चलाए जा रहे घर-घर जाकर टीकाकरण अभियान पर गौर करने और अपनी मौजूदा नीति पर ‘उचित फैसला’ लेने के लिये कहा. केन्द्र की मौजूदा नीति में कहा गया है कि घर-घर जाकर टीका लगाना संभव नहीं है.

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि उसे यह समझ नहीं आ रहा कि घर-घर जाकर टीका लगाने में केंद्र को क्या दिक्कत है जबकि केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य पहले से ही ऐसे अभियान चला रहे हैं.

अदालत ने इस हफ्ते की शुरुआत में इस पर सवाल उठाए थे कि एक वरिष्ठ नेता को कैसे मुंबई में उनके आवास पर टीका लगाया गया. बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से पेश वकील अनिल सखारे ने शुक्रवार को कहा कि नगर निकाय ने टीका नहीं लगाया.

इस पर पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश वकील गीता शास्त्री से पूछा कि नेता को टीका किसने लगाया. शास्त्री ने इस पर जवाब देने के लिए एक हफ्ते का वक्त मांगा. फिर मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘इस पर सूचना लेने के लिए एक हफ्ता? यह चिंता की बात है.’

अदालत वकील धृति कपाड़िया और कुनाल तिवारी की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है जिसमें 75 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों और दिव्यांग लोगों को उनके घर जाकर टीका लगाने का अनुरोध किया गया है.

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अदालत ने पूछा कि केंद्र सरकार की नीति में कैसे कहा गया है कि अभी घर-घर जाकर टीका लगाना संभव नहीं है जबकि केरल और जम्मू कश्मीर जैसे राज्य ऐसा अभियान चला रहे हैं.

उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि वह महामारी के दौरान बीएमसी द्वारा किए अच्छे काम से बहुत खुश है और उसने पूछा कि नगर निकाय घर-घर जाकर टीका लगाने का अभियान शुरू करने से क्यों हिचकिचा रहा है.

इस पर बीएमसी के वकील सखारे ने केंद्र को लिखे एक पत्र का हवाला देते हुए कहा कि नगर निकाय घर-घर जाकर टीका लगाने का अभियान चलाना चाहता है और उसने इसके लिए केंद्र सरकार से दिशा निर्देश उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.

पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह से कहा कि वह इस पत्र पर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सचिव से निर्देश लें और इसके साथ ही उसने मामले को 14 जून के लिये सूचीबद्ध कर दिया.

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