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Thursday, 25 April, 2024
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चेस ओलंपियाड के जरिए क्या ‘तमिल पहचान की राजनीति’ कर रहे हैं CM स्टालिन

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि 44वें शतरंज ओलंपियाड के दौरान तमिलनाडु की स्वायत्तता और पहचान पर जोर दिया जाना पूरी तरह से दिख रहा है और द्रमुक के नेतृत्व वाली राज्य सरकार संघवाद पर अपना संभाषण जारी रखे हुए है.

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चेन्नई: एक ओर जहां शतरंज के खिलाड़ी मामल्लापुरम में चल रहे 44वें शतरंज ओलंपियाड में अपने विरोधियों की अगली चालों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं इस आयोजन ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) सरकार को संघवाद और राज्य की स्वायत्तता पर अपना संभाषण (डिस्कोर्स) जारी रखने का मौका दे दिया है और राजनीतिक पर्यवेक्षकों के अनुसार राज्य इसे अपनी पहचान जताने के अवसर के रूप में देख रहा है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि घोड़े जैसे चेहरे वाले और वेष्टी-पहने शुभंकर (मैस्कॉट) ‘थंबी’ (जिसका तमिल में अर्थ होता है ‘छोटा भाई’) से लेकर अब वायरल हो चुके ‘चेक मेट’ नृत्य तक, जिसमें एक ब्लैक क्वीन अपने सफेद प्रतिद्वंद्वी को हरा देती है, इस कार्यक्रम में गोरे और काले रंग की त्वचा के बीच लड़ाई के बारे में प्रतीकात्मकता और तमिल पहचान के दावे भी शामिल है.

मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ डेवलपमेंट स्टडीज में आइडेंटिटी पॉलिटिक्स (पहचान की राजनीति) वाले विषय में विशेषज्ञता रखने वाले प्रोफेसर एस आनंदी ने दिप्रिंट को बताया, ‘शतरंज ओलंपियाड ने संघीय सरकार के साथ स्वेच्छा से और आनंदपूर्वक सहयोग करते हुए संघवाद और राज्य स्वायत्तता की राजनीतिक अवधारणा को प्रदर्शित करने का एक अवसर प्रदान किया है.’

उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र का एक ‘स्थिर और सचेत’ रूप से काम करने का उदहारण था, जहां नौकरशाही ने तमिलनाडु में कई प्रतिभाशाली कलाकारों के साथ मिलकर कुशलता से काम किया, जिससे इस आयोजन को सफल बनाने में मदद मिली.

आनंदी ने कहा, ‘हम में से कुछ लोग इस कार्यक्रम के साथ बहुत अधिक विरोधाभास जताये बिना जुड़ सकते हैं क्योंकि सांस्कृतिक कार्यक्रम राज्य के आदर्शों की अभिव्यक्ति के साथ अच्छी तरह से घुल मिल गए हैं.’

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उन्होंने कहा, ‘लोकतांत्रिक स्थानों को अच्छी तरह से इस्तेमाल करने से जिन लोगों का इस खेल से कोई खास लेना-देना नहीं है, वे भी इस आयोजन से जुड़ सकते हैं.’

पिछले गुरुवार को हुए शतरंज ओलंपियाड के उद्घाटन समारोह में, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भाग लिया था, तमिलनाडु के इतिहास और संस्कृति पर काफी जोर दिया गया था.

चेन्नई में रहने वाले एक लेखक मालन नारायणन ने कहा, ‘इसमें एक निहित संदेश यह भी था कि तमिल लोग अनूठे हैं और तमिल इतिहास देश के बाकी हिस्सों से अलग है. वे शायद तथाकथित राष्ट्रीय ताकतों को एक संदेश देना चाहते थे कि हम तमिल के रूप में अपनी पहचान का आनंद लेते हैं.’

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने कहा कि शतरंज पारंपरिक बोर्ड गेम ‘सतुरंग विलायट्टू’ का आधुनिक संस्करण है और राज्य के एक महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल कीलाडी में इस तरह के खेल के ढेर सारे प्रमाण मिले हैं. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुवरूर जिले के चतुरंगा वल्लभनाथर मंदिर का जिक्र करते हुए कहा कि ‘स्वयं भगवान ने भी एक राजकुमारी के साथ शतरंज का खेल खेला था’.

हालांकि, राज्य में द्रमुक के विरोधियों ने स्टालिन और उनकी सरकार पर ओलंपियाड के पोस्टरों से जानबूझकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीरों को बाहर करने का आरोप लगाया है .

अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के प्रवक्ता कोवई सत्यन ने दिप्रिंट को बताया, ‘वह (स्टालिन) एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम का उपयोग खुद को राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करने के लिए करना चाहते हैं.’


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गोरा बनाम काला

जैसा कि रजनीकांत अभिनीत साल 2018 की फिल्म ‘काला’ में दिखाया गया है, ‘डार्क वर्सेज फेयर (गोरा बनाम काला) की लड़ाई सदियों पुरानी है जिसे तमिल राजनेता और फिल्म निर्माता अक्सर उठाते रहते हैं. ‘ब्लैक’ को हिंदी सहित कई उत्तर भारतीय भाषाओं में भी काला कहा जाता है. रजनी इस फिल्म में कहते हैं, ‘काला मेहनत का रंग है.’

राजनीति की बात करें तो, देसिया मुरपोक्कू द्रविड़ कड़गम (डीएमडीके) के प्रमुख और करुप्पु एमजीआर (‘काले एमजीआर’) के उपनाम वाले लोकप्रिय अभिनेता, विजयकांत को साल 2006 के विधानसभा चुनाव में जे. जयललिता और एम. करुणानिधि के विकल्प के रूप में पेश किया गया था.

हाल फिलहाल में अब वायरल हो चुके ‘चेक मेट’ डांस वीडियो- जो पिछले हफ्ते जारी किया गया था- में भी ‘चमड़ी के रंग’ के इर्द-गिर्द का वार्तालाप जारी रखा गया है.

पुदुकोट्टई के जिला कलेक्टर कविता रामू द्वारा नृत्य निर्देशित (कोरियोग्राफ) किया गया और स्टालिन द्वारा जारी किया गया यह नृत्य एक ब्लैक क्वीन को अपने सफेद प्रतिद्वंद्वी पर जीत दर्ज करते हुए दिखाता है.

रामू का दावा है कि यह वीडियो ‘राजनीतिक’ नहीं है. दिप्रिंट से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनका इरादा इस धारणा को दूर करना था कि गोरे शक्तिशाली होते हैं.

रामू ने कहा, ‘शतरंज में, सफेद मोहरे को अधिक शक्तिशाली माना जाता है. मैं चाहती थी कि उस धारणा को मिटा दिया जाए. यहां प्रतीकवाद का आशय यह है कि जिस व्यक्ति के पास लाभप्रद स्थिति होती है, उसे भी पराजित किया जा सकता है. यह नृत्य लिंग, शक्ति और रंग के बारे में है.’

यह नृत्य राज्य भर के शास्त्रीय, मार्शल आर्ट और लोक कलाकारों को एक साथ लाता है.

रामू ने कहा कि इस वीडियो के माध्यम से वह यह भी दिखाना चाहती हैं कि एक महिला भी एक पुरुष की तरह शक्तिशाली हो सकती है और ‘वह उसके सामने झुक जाता है’.

रामू ने कहा, ‘मैं चाहती थी कि रक्षा की पहली पंक्ति में मार्शल आर्ट्स के कलाकार हो.’ उन्होंने यह भी कहा कि सभी जिलों को अपने सुझावों के साथ आगे आने के लिए कहा गया था.


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शतरंज, थंबी और तमिल पहचान

विल्लुपुरम के सांसद और डीएमके से संबद्ध एक दलित पार्टी- विदुथलाई चिरुथिगल काची (वीसीके) के नेता डी. रविकुमार ने दिप्रिंट को बताया कि शतरंज के इतिहास और उत्पत्ति के बारे में दावे आर्य-तमिल की बड़ी बहस का भी समर्थन करते हैं.

उन्होंने कहा कि इसके अलावा तमिल गौरव के बारे में हो रहे इस डिस्कोर्स में वृद्धि करते हुए तमिल मूल के एक युवा शतरंज ग्रैंडमास्टर और विलक्षण प्रतिभासंपन्न खिलाडी 16 वर्षीय आर. प्रगनानंद के बारे में भी काफी चर्चाएं है.

उन्होंने कहा, ‘कई सालों तक विश्वनाथन आनंद ग्रैंडमास्टर रहे, फिर मैग्नस कार्लसन ने यह खिताब अपने नाम कर लिया. अब सभी को प्रज्ञानानंद के साथ फिर से तमिल वर्चस्व देखने की उम्मीद है. यह तमिल गौरव को बढ़ावा देगा.’

जहां तक थंबी का सवाल है, तो वेष्टी पहने हुए और घोड़े जैसे चेहरे वाले इस शुभंकर ने पुरे शहर को अपने कब्जे में ले लिया है, चाहे वह हवाई अड्डा हो, मरीना बीच हो, या यहां तक कि सरकारी भवनों के किनारे हों.

खबरों में उसे मिलनसार एवं सख्त दोनों बताया गया है और शतरंज के काले एवं सफेद मोहरों की दुनिया में थंबी का रंग भूरा है.

गुरुवार को शतरंज ओलंपियाड का उद्घाटन करते हुए स्टालिन ने कहा कि उन्होंने तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और द्रमुक के संस्थापक सी.एन. अन्नादुरई का सम्मान करते हुए शुभंकर का नाम थंबी रखा है.

स्टालिन ने कहा था, ‘हमने इस शुभंकर को पारंपरिक तमिल पोशाक में वनक्कम कहते हुए डिजाइन किया है. हमने उसका नाम ‘थंबी’ रखा. यह नाम भाईचारे का प्रतीक है और इस बात को इंगित करता है कि हम सभी एक ही बिरादरी के हैं. सी.एन. अन्नादुरई सभी को प्यार से ‘थंबी’ कहकर बुलाते थे. शुभंकर का नाम उनके उस प्यारे हाव भाव के सम्मान में है.’

नारायणन ने कहा, ‘थंबी शब्द तमिल स्टॉक को दर्शाता है. इसके अलावा घोड़े का स्वरूप थोड़ा और घोड़े जैसा हो सकता था.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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