scorecardresearch
Thursday, 31 October, 2024
होमदेशभाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा- विपक्ष की गुंडागर्दी ने कृषि विधेयकों पर वोटिंग रोकी

भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव ने कहा- विपक्ष की गुंडागर्दी ने कृषि विधेयकों पर वोटिंग रोकी

भाजपा सांसद भूपेंद्र यादव का कहना है कि विपक्ष खुद ही बेइज्जत हो रहा है, वे कोई समाधान ही नहीं चाहता है. लोकतंत्र दादागिरी से नहीं चल सकता.

Text Size:

नई दिल्ली: संसद में रविवार को कृषि संबंधी विधेयकों को पारित कराने के दौरान कथित तौर पर हंगामा करने के लिए विपक्ष के आठ सांसदों को राज्यसभा द्वारा एक हफ्ते के लिए निलंबित किए जाने के कुछ ही घंटों बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य भूपेंद्र यादव ने सोमवार को कहा कि मोदी सरकार विधेयक पर मतदान कराना चाहती है लेकिन विपक्ष की गुंडागर्दी ने इसे रोक दिया.

यादव ने विशेष रूप से दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, ‘विपक्षी सांसद सदन के वेल में पहुंच गए, कुर्सियों के ऊपर चढ़ गए, उनकी कुर्सी को खींचा और माइक तोड़ दिया. आप ऐसे में संसद में कैसे काम करने की उम्मीद करते हैं?’

तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा जैसे कुछ सदस्यों के यह कहे जाने पर वह यादव ही थे जो पीठासीन अध्यक्ष हरिवंश सिंह के कान में कुछ फुसफुसाए थे, राज्यसभा सांसद ने कहा, ‘मैं केवल यह चाहता था कि एक बार व्यवस्था बहाल हो जाने के बाद कार्यवाही फिर शुरू की जाए.’

भाजपा नेता ने कहा, ‘जब विधेयक संसद में पेश होने वाला था, विपक्ष ने हंगामा किया. दुर्भाग्यवश कोविड-19 संबंधी सारे प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया गया. विपक्षी सदस्य वेल में पहुंच गए और उसके बाद उन्होंने न केवल डिप्टी स्पीकर से हाथापाई की कोशिश की, बल्कि उसकी मेज पर चढ़ गए. उन्होंने नियम पुस्तिका फाड़ी, माइक भी तोड़ दिया. जब यह सब खत्म हुआ तो माइक टूट चुका था और पूरी तरह से सन्नाटा हो गया था ऐसे में मैं क्या साजिश रच सकता था? मैं केवल यह बताना चाहता था कि एक बार माइक फिर काम करने लगें तो कार्यवाही फिर से शुरू होनी चाहिए.’

राज्यसभा ने रविवार को कृषि विधेयक पारित कराने के दौरान अभूतपूर्व हंगामे की स्थिति देखी जब विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि उप-सभापति ने वोटिंग करने के उनके अनुरोध को अनसुना कर दिया. विपक्षी सदस्य नारेबाजी के साथ उपसभापति की ओर कागज उछालते हुए सदन के वेल में पहुंच गए थे.

कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद की अगुवाई में विपक्षी दलों के यह मांग करने के बाद हंगामा शुरू हुआ कि विधेयकों को पारित कराने के लिए सोमवार को पेश किया जाए. लेकिन सरकार के अडिग रहने पर आक्रोशित सांसद सदन के वेल में आ गए और नारे लगाने लगे.

‘लोकतंत्र दादागिरी से नहीं चल सकता’

यादव ने कहा कि सरकार मतदान के लिए तैयार थी लेकिन विपक्षी दलों ने सदन चलने नहीं दिया.

उन्होंने कहा, ‘हम मतदान के लिए तैयार थे. लेकिन वोटिंग तो तभी हो सकती थी जब सदस्य अपनी सीट पर बैठते. विपक्षी सदस्यों ने अपनी सीटें छोड़ दी थीं. विपक्षी सदस्य सदन के वेल में आ गए थे. उन्होंने आसपास मौजूद सदस्यों से धक्कामुक्की की. क्या इसीलिए हमें संसद में भेजा जाता है? क्या इसी को लोकतंत्र कहते हैं? यदि वे मतदान चाहते थे तो उन्हें अपने निर्धारित स्थानों पर ही बैठना चाहिए था. हर कोई मतदान के लिए तैयार था.’


यह भी पढ़ें : आरएसएस ने JEE, NEET में शामिल होने वाले छात्रों को परिवहन, भोजन और आर्थिक सहयोग देने की योजना बनाई


यह पूछे जाने पर कि जब विपक्षी सदस्यों के सीटों पर बैठने के कारण वोटिंग नहीं हो सकती थी तो विधेयक पारित कैसे हुआ था, यादव ने कहा, ‘उन्होंने सदन कार्यवाही नहीं चलने दी. वे गुंडागर्दी पर उतारू थे. उन्होंने सभी नियम-कायदों की धज्जियां उड़ा दीं और यहां तक कि सचिवालय कर्मचारियों की मेज पर खड़े हो गए. क्या इसीलिए हमें संसद भेजा जाता है? क्या इसी को लोकतंत्र कहते हैं? विपक्ष खुद बेइज्जत हो रहा है. वो खुद ही कोई समाधान नहीं चाहता. लोकतंत्र दादागिरी से नहीं चल सकता है.’

संसद परिसर में पूरी रात धरने पर बैठने के विपक्ष के फैसले पर, यादव ने सवाल किया कि आखिर ये सदस्य किस बात का विरोध कर रहे हैं.

उन्होंने कहा, ‘वास्तव में उनका मुद्दा क्या है? यही तो वह लोग हैं जो मतदान नहीं चाहते हैं. सदन में नहीं बैठना चाहते. वे वेल में आना चाहते हैं और कोविड-19 के सभी प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हैं. उन्होंने हमेशा ही सभापति के बोलने की कोशिश के दौरान टोकाटाकी की. उन्हें वास्तव में खुद ही यह समझने की जरूरत है कि आखिर चाहते क्या हैं क्योंकि निश्चित तौर पर जनता उनके खेल को समझ चुकी है कि उनका कामकाज से कोई लेना-देना नहीं है, वे केवल राजनीति करना और लोकतंत्र को कमजोर करना चाहते हैं.’

‘कृषि सुधार बिल एक ‘महत्वपूर्ण कदम’

इस सवाल पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय किसान संघ तो एमएसपी और एपीएमसी को लेकर चिंता जता रहे हैं, यादव ने कहा, ‘अगर कोई चिंता है तो हम निश्चित रूप से इसका समाधान निकालेंगे. लेकिन यह किसानों के कल्याण के लिए उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है और सरकार इसे किसानों का हित ध्यान में रखकर ही लागू करेगी.’

सरकार के आश्वासन के बावजूद हरियाणा और पंजाब में किसानों के विरोध के बारे में पूछे जाने पर यादव ने कहा कि दोनों राज्य पहले से ही अनुबंध अधिनियम का पालन कर रहे हैं.

यादव ने कहा, ‘ओडिशा सरकार ने हाल ही में अध्यादेश लागू किया था और यहां तक कि तमिलनाडु सरकार ने भी इसे स्वीकार कर लिया है. 2010 में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान भूपेंद्र सिंह हुड्डा, प्रकाश सिंह बादल और पंजाब सरकार (पैनल पर) की मौजूदगी वाले मंत्रियों के कार्यकारी समूह ने भी यही सिफारिश की थी. अगर विपक्ष ऐसा नहीं कर रहा है तो यह केवल उनकी राजनीतिक बाध्यता है. लेकिन अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं और एजेंडे के कारण उन्हें किसानों के हितों से खिलवाड़ नहीं करना चाहिए.’

उन्होंने यह भी कहा कि देश में कहीं भी कोई बड़ा विरोध प्रदर्शन नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘जिन जगहों पर ऐसा हो भी रहा है, वहां हम किसानों को समझा रहे हैं कि यह अधिनियम उनके लिए कितना फायदेमंद है. यह मंडियां खत्म करने के लिए नहीं है.’

कई राज्यों और विपक्ष ने सरकार द्वारा कृषि सुधार बिल आगे बढ़ाने से पहले सरकार को विश्वास में नहीं लिए जाने पर सवाल उठाए हैं.


यह भी पढ़ें : बिहार चुनाव में डिजिटल रथ और म्यूजिकल ग्रुप के जरिए लोगों तक पहुंच बनाने की तैयारी में है भाजपा


‘आगामी बिहार चुनावों पर कृषि बिल सकारात्मक असर डालेगा’

उन्होंने कहा, ‘यह विधेयक कई वर्षों से लंबित था. अगर हम 2010 की वर्किंग कमेटी की रिपोर्ट को देखें तो सलाह-मशविरा किया गया था. हम कोई वैकल्पिक नीति नहीं बना रहे हैं, बल्कि उसी में कुछ और जोड़ रहे हैं और इस पर हुए एक सामान्य समझौते की बात को भी ध्यान में रख रहे हैं, यही वजह है कि हमने इस विधेयक को आगे बढ़ाया.’

यादव ने कहा कि विधेयक आगामी बिहार चुनावों पर सकारात्मक असर डालेगा क्योंकि यह किसानों के हित में है.

यह पूछे जाने पर कि क्या मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक पर दोबारा विचार करेगी, यादव ने कहा कि ऐसी कोई मंशा नहीं है और इसकी मांग भी नहीं हो रही है क्योंकि कई राज्यों ने आवश्यक संशोधन पहले ही कर लिए हैं.

उन्होंने कहा, ‘दोनों अलग-अलग मुद्दे हैं. एमएसपी सरकार द्वारा की गई खरीद पर होता है और यह अलग है. यह निजी क्षेत्र के लिए है. जो लोग एमएसपी पर बेचना चाहते हैं वे ऐसा करना जारी रख सकते हैं.’

उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष का झूठ पकड़ा जाएगा क्योंकि सरकार एमएसपी पर खरीदारी करना जारी रखेगी। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास 2024 तक जनादेश है और तब तक कम से कम आठ बार सरकार खरीद करेगी इसलिए विपक्ष का झूठ अपने आप पकड़ा जाएगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

share & View comments