नई दिल्ली: अगर सबकुछ ठीक रहा तो पांच अगस्त को अयोध्या में बनने जा रहे राम मंदिर का भूमि पूजन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों होगा. मंदिर निर्माण और उसके डिज़ाइन को लेकर एकबार फिर चर्चा गरम है.
हालांकि इसबार भी मंदिर का डिजाइन गुजरात के आर्किटेक्ट सोमपुरा परिवार ने ही तैयार किया है. सोमपुरा परिवार का कहना है कि मंदिर का डिजाइन पहले भी हमारे द्वारा ही किया गया था और इसके पुराने डिजाइन में बदलाव भी हमने ही किया है.
मंदिर अब दो मंजिल का नहीं तीन मंजिल का होगा. जबकि इसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई में भी बदलाव किया गया है. मंदिर के नए मॉडल में इसकी लंबाई भी 360 फीट की होगी जबकि चौड़ाई को बढ़ाकर 235 फीट की गई है और ऊंचाई 141 फीट से बढ़ाकर 161 फीट की गई है.
राम मंदिर का बुनियादी स्वरुप पहले जैसा ही रखा गया है जैसा की प्रस्तावित मॉडल में है. मंदिर की ऊंचाई में 33 फीट बढ़ने से एक और मंजिल बढ़ाई जा रही है. इसके अलावा अब तीन जगह पांच गुंबद बनाए जाएंगे हैं.
पूरे मंदिर में 366 खंबे बनाए जाएंगे. पहली मंजिल पर 160, दूसरी पर 132 और तीसरी पर 74 खंबे होंगे. भगवान विष्णु मंदिर की नागर शैली में गर्भगृह यथावत अष्टकोणीय होगा. सिंहद्वार के नक्शे में भी कोई बदलाव नहीं होगा. राम मंदिर के अग्रभाग, सिंहद्वार, नृत्य मंडप और रंग मंडप को छोड़कर बाकी सभी हिस्से का नक्शा बदला जाएगा.’
तीन पीढ़ी के सहयोग से तैयार होगा ये राम मंदिर
अयोध्या के राम मंदिर का डिजाइन तैयार करने वाले शिल्पकार सोमपुरा परिवार मंदिर की डिजाइन में हुए बदलाव को लेकर एक बार फिर चर्चा में है. सोमपुरा परिवार पीढ़ियों से मंदिर बना रहा है. अक्षरधाम, सोमनाथ और अंबाजी जैसे कई आस्था स्थल का डिजाइन सोमपुरा परिवार ने ही तैयार किया है.
सोमपुरा परिवार के करीब सभी सदस्य मंदिर निर्माण के काम से जुड़े हुए है. ये परिवार सिर्फ देश के ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मंदिरों के नक्शे तैयार किए हैं.
भारत में सामान्यत:तीन शैलियों में मंदिर निर्माण किया जाता है.इनमें नागर, द्रविड़ और बैसर शैली है. गुजरात के अहमदाबाद से आने वाला सोमुपरा परिवार नागर शैली के मंदिरों की वास्तुकला का विशेष जानकार माने जाते हैं.अयोध्या का राम मंदिर भी नागर शैली में बनाया जा रहा है.
उत्तर भारत में आमतौर पर इस शैली में ही मंदिर बनाएं जाते हैं.इस शैली के मंदिरों की विशेषता है कि यह आधार से शिखर तक चतुष्कोणीय होते हैं.
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सोमुपरा परिवार ने अब तक दुनियाभर में 131 से ज्यादा मंदिर की डिजाइन तैयार किए हैं. इनमें देश के कई प्रमुख मंदिर शामिल हैं. राममंदिर की डिजाइन तैयार करने वाले चंद्रकांत सोमपुरा ने अपनी युवावस्था के दौरान ही मंदिरों के निर्माण के लिए काम करना शुरु कर दिया था. उन्होंने अपने दादा प्रभाशंकर सोमपुरा से मंदिरों की वस्तुकला के बारे में ज्ञान लिया.
चंद्रकांत सोमुपरा के छोटे बेटे आशीष सोमपुरा ने दिप्रिंट से कहा, ‘मेरे पर दादाजी प्रभाशंकर ने सोमनाथ मंदिर का डिजाइन तैयार किया था. उन्होंने शिल्प शास्त्र पर 14 किताबें लिखी हैं. गुजरात के सोमनाथ मंदिर का डिजाइन भी उन्होंने ही तैयार किया था. उन्हें इसके लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया था.’
आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने पहले दिप्रिंट हिंदी को बताया था, ‘मंदिर का जो मॉडल तैयार हुआ है वह वास्तु शास्त्र के हिसाब से नागर शैली में डिज़ाइन किया गया है. यह शैली दक्षिण भारत को छोड़कर पूरे उत्तर भारत में प्रचलित है. कर्नाटक से लेकर कश्मीर तक और महाराष्ट्र से लेकर पुरी तक में इसी शैली में मंदिर निर्माण किए जाते हैं. मंदिर का गर्भगृह अष्टकोण में है. मंदिर की परिक्रमा गोलाई में बनाई गई है.
आशीष आगे बताते हैं, ‘1989 से हम वीएचपी से श्रीराम मंदिर के डिज़ाइन को लेकर जुड़े हुए हैं. हम पीढ़ियों से बिड़ला परिवार के लिए मंदिर निर्माण का काम करते आ रहे हैं. उन्होंने ही हमारा परिचय वीएचपी के अशोक सिंघल से कराया था.’
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‘हमारा काम केवल मंदिर की डिजाइन से ही संबंधित रहा है. मजदूरों और अन्य सामग्रियों का पैसा देना वीएचपी का काम था. हमने अमेरिका और लंदन में भी कई मंदिरों के निर्माण किए हैं.
पीढ़ियों से परिवार कर रहा है मंदिर डिजाइन तैयार
चंद्रकांत सोमपुरा को मंदिरों के निर्माण और डिजाइन बनाने और वास्तुविद की कला विरासत में अपने परदादा, दादा और पिता से ही मिली है. चंद्रकांत भाई सोमपुरा के पिता बलदेव भाई सोमपुरा की 51 की उम्र में एक दुर्घटना में मौत हो गई थी.
यह पूछने पर की पहला मंदिर कौन सा बनवाया तो आर्किटेक्ट आशीष सोमपुरा ने दिप्रिंट से कहा, ‘सोमपुरा परिवार आज से नहीं 15 पीढ़ियों से मंदिरों के डिजाइन करने का काम कर रहा है. इसलिए ये बताना बेहद मुश्किल है कि पहला मंदिर किसने डिजाइन किया था और कौन सा डिजाइन किया था.’
हालांकि आशीष यह जरूर बताते हैं कि सोमनाथ मंदिर का डिजाइन उनके परदादा जी और पिताजी ने तैयार किया था. सोमपुरा ने कहा कि, ‘पीढ़ी दर पीढ़ी ये काम हम लोग करते आ रहे हैं. मेरे पिता चंद्रकांत भाई सोमपुरा ने मेरे परदादा के साथ पहली बार गुजरात के सोमनाथ मंदिर डिजाइन किया था.
चंद्रकांत सोमपुरा को भी मंदिरों की वास्तुकला में उनके ज्ञान के लिए कई पुरस्कार भी मिले है. चंद्रकांत सोमपुरा ने लंदन के स्वामीनारायण मंदिर का नक्शा तैयार किया था.
चंद्रकांत सोमपुरा के छोटे बेटे आशीष ने दिप्रिंट से कहा, ‘मेरे बड़े भाई निखिल (55) और मैं (49) तो मंदिर निर्माण और डिजाइन के काम में लगे हुए हैं ही अब बड़े भाई के बेटे आशुतोष ने भी हमें ज्वाइन कर लिया है.’
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पिताजी की आयु 77 वर्ष हो गई है. लेकिन आज भी वो काम करते हैं. वे रोज घर के ऑफिस से काम करते है.’
आशीष बताते हैं, ‘ हम भाई जो भी डिजाइन तैयार करते हैं वह उसे देखते हैं और सुझाव भी देते हैं. आमतौर पर नाश्ते के बाद हम लोग उनसे सलाह लेते है. अभी फिलहाल हमारे 8 प्रोजेक्ट चल रहे हैं. फिलहाल गुजरात के प्रसिद्ध देवस्थान पावागढ़ की मंदिर का भी काम हमारे द्वारा ही किया जा रहा है.’
राम मंदिर से जुड़े मामले का जिम्मा निखिल और आशीष के पास है.ट्रस्ट की बैठक में दोनों भाई शामिल होते है.अगर जरुरत होती है तो चंद्रकांत भाई सोमपुरा से भी सलाह लेते है.