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Wednesday, 3 July, 2024
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बिलकिस मामला: दोषियों की समय पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 11 अक्टूबर को सुनवाई

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नयी दिल्ली, नौ अक्टूबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामला और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई बुधवार के लिए टाल दी है।

न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने सोमवार को कहा, ‘‘हम बुधवार को इसकी सुनवाई करेंगे।’’ न्यायालय ने कहा कि यह उसी दिन विषय की सुनवाई पूरी करने की कोशिश करेगा।

शीर्ष न्यायालय ने कहा कि उसे याचिकाकर्ताओं की लिखित दलीलें मिली हैं जिस रिकार्ड में शामिल किया गया है।

पीठ ने कहा, ‘‘11 अक्टूबर 2023 को दोपहर दो बजे के लिए सूचीबद्ध किया जाए, जब दोषियों की समय पूर्व रिहाई का विरोध करने वाले प्रत्युत्तर पर पीठ के सुनवाई करने का कार्यक्रम है।’’

न्यायालय ने छह अक्टूबर को बिलकिस सहित याचिकाकार्ताओं के वकील से संक्षिप्त में अपनी प्रत्युत्तर दलीलें सौंपने को कहा था।

शीर्ष न्यायालय ने 20 सितंबर को विषय की सुनवाई करते हुए पूछा था कि क्या सजा की अवधि घटाने का अनुरोध करना दोषियों का मूल अधिकार है।

पीठ ने 11 दोषियों की ओर से पेश हुए एक वकील से कहा था, ‘‘क्या सजा की अवधि घटाने की मांग करना एक मूल अधिकार है? क्या याचिका, अनुच्छेद 32 (जो मूल अधिकारों का हनन होने पर नागरिकों के सीधे उच्चतम न्यायालय का रुख करने का अधिकार देती है) के दायरे में आएगी।’’

वकील ने स्वीकार किया था कि सजा की अवधि घटाने का अनुरोध करना दोषियों का मूल अधिकार नहीं है।

बिलकिस बानो उस वक्त 21 वर्ष की और पांच महीने की गर्भवती थी, जब साम्प्रदायिक दंगों के दौरान उसके साथ सामूहिक बलात्कार हुआ था। उसकी तीन वर्षीय बेटी परिवार के उन सात सदस्यों में शामिल थी, जिनकी दंगों के दौरान हत्या कर दी गई।

भाषा सुभाष माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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