नई दिल्ली: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि भोपाल के यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री स्थल से निकलने वाले ज़हरीले कचरे को पीथमपुर में स्थानांतरित करने के मामले में राज्य सरकार हाईकोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है.
हाई कोर्ट ने अपशिष्ट निपटान के मुद्दे पर मीडिया को गलत खबरें न देने का भी निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि निर्णय उनकी उम्मीदों के अनुरूप आया है और उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री स्थल के ज़हरीले कचरे के निपटान के लिए सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के विभिन्न निर्देशों के आधार पर हमने इसे पीथमपुर पहुंचाया, क्योंकि यह एकमात्र केंद्र है, जहां हानिकारक तत्वों वाले सभी प्रकार के रासायनिक रसायनों का वैज्ञानिक तरीकों से प्रसंस्करण किया जाता है.’’
मुख्यमंत्री ने कहा कि धार जिले के पीथमपुर के लोगों को यूनियन कार्बाइड के अपशिष्ट के निपटान के मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाईकोर्ट के समक्ष अपना पक्ष फिर से रखा, जैसा कि मैंने पहले घोषणा की थी कि हम इन सभी चीज़ों के लिए कोर्ट से समय मांगेंगे, जब तक कि हम सभी लोगों को विश्वास में नहीं ले लेते. मुझे संतुष्टि है कि हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है और इसके लिए छह सप्ताह का समय दिया है.’’
सीएम ने कहा, ‘‘इस बीच सभी पक्ष और कोई अन्य भी अपना पक्ष रखना चाहे तो वह कोर्ट के समक्ष रख सकता है और राज्य सरकार कोर्ट के फैसले का पालन करेगी.’’
उन्होंने आगे कहा, ‘‘मैं राज्य की जनता से कहना चाहूंगा कि हमने जो कहा, वह किया है. किसी भी झूठी अफवाह पर यकीन मत कीजिए सरकार कोर्ट के निर्देशानुसार कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है. हम अपनी व्यवस्था उसी के अनुसार चलाएंगे. हमारी पहली प्राथमिकता जनता का विश्वास, जनता की हितैषी सरकार है. जनता का विश्वास बनाए रखना हमारा काम है और साथ ही, होने वाली सभी घटनाओं की जानकारी कोर्ट को देना भी हमारा कर्तव्य है.’’
सोमवार को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार 3 दिसंबर के आदेश के अनुपालन में अपने स्तर पर ज़हरीले कचरे के सुरक्षित निपटान के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता नमन नागरथ ने बताया कि राज्य सरकार ने 3 दिसंबर के आदेश का पालन करने के लिए छह सप्ताह का समय मांगा, जिस पर हाईकोर्ट ने सहमति जताई और सरकार को समय दे दिया है.
उन्होंने कहा कि मामले की अगली सुनवाई 18 फरवरी को होगी.
दो और तीन दिसंबर, 1984 की दरमियानी रात्रि को भोपाल में यूनियन कार्बाइड कीटनाशक कारखाने से मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस लीक हुई थी, जिसमें कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हज़ारों लोग गंभीर रूप से बीमार पड़ गए थे तथा उनमें लंबे समय तक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं रहीं.
कुल 12 सीलबंद कंटेनरों में भरा यह कचरा दो जनवरी को राजधानी भोपाल में यूनियन कार्बाइड के बंद पड़े कारखाने से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर में निपटान स्थल पर ले जाया गया.