scorecardresearch
Saturday, 2 November, 2024
होमदेशकिसानों का ‘दिल्ली चलो मार्च’, सिंघु बॉर्डर पर कंटीले तार, सीमेंट के स्लैब, पुलिस और RAF तैनात

किसानों का ‘दिल्ली चलो मार्च’, सिंघु बॉर्डर पर कंटीले तार, सीमेंट के स्लैब, पुलिस और RAF तैनात

150 किलोमीटर दूर शंभू बॉर्डर से अराजक दृश्यों की खबरों के बीच दिल्ली में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, जहां आंसू गैस के गोले दागे गए हैं. किसानों की एमएसपी पर कानून समेत 12 मांगें हैं.

Text Size:

सिंघु बॉर्डर, दिल्ली: न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून की मांग को लेकर हरियाणा और पंजाब के किसान मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च कर रहे हैं, इसलिए सिंघु बॉर्डर के रास्ते दिल्ली में प्रवेश को अवरुद्ध करने के लिए कंक्रीट स्लैब, पुलिस बैरिकेड और कंटीले तारों की मोटी कतारें बिछाई गई हैं.

किसानों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पों, हरियाणा के अंबाला में शंभू बॉर्डर पर आंसू गैस के गोले दागे जाने की खबरों के बीच — जो लगभग 150 किलोमीटर दूर है — सैकड़ों रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) के साथ सिंघु सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है. केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और पुलिस कर्मी और दंगा नियंत्रण वाहन मौके पर मौजूद हैं.

Heavy security at Delhi's Singhu border | Photo by Manisha Mondal, ThePrint
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर कड़ी सुरक्षा | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

किसानों के ‘दिल्ली चलो’ आह्वान के मद्देनज़र दिल्ली की सभी सीमाएं सील कर दी गई हैं. स्थिति पर नज़र रखने के लिए पुलिस ड्रोन का इस्तेमाल कर रही है. शंभू बॉर्डर पर कुछ प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है.

इस बीच हरियाणा से दिल्ली आने वाले यात्रियों को भारी ट्रैफिक जाम में फंस कर परेशानी उठानी पड़ रही है. हरिद्वार से दिल्ली की यात्रा कर रहे नितिन कुमार ने दिप्रिंट से कहा, “हमारा समय बर्बाद हो रहा है. मैं काफी समय से यहां फंसा हुआ हूं. आम लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.”

यह मार्च मोदी सरकार द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के लगभग एक साल लंबे आंदोलन के बाद तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के दो साल बाद आया है.

इस बार किसानों की 12 मांगें हैं, जिनमें एमएसपी, पेंशन और कर्ज माफी पर कानून बनाना प्रमुख है. संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा इस मार्च का नेतृत्व कर रहे हैं.

मोदी सरकार ने पिछले हफ्ते कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों के आधार पर 22 अनिवार्य फसलों के लिए एमएसपी की घोषणा की थी. जुलाई 2022 में इसने एमएसपी को अधिक “प्रभावी और पारदर्शी” बनाने सहित कई मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक समिति का गठन किया था.

कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने पिछले हफ्ते लोकसभा में कहा था कि पूर्व कृषि सचिव संजय अग्रवाल की अध्यक्षता वाली समिति ने 30 से अधिक बैठकें या कार्यशालाएं आयोजित की हैं. इसे अभी अपनी रिपोर्ट सौंपनी बाकी है.

कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा समेत मोदी सरकार के तीन मंत्रियों ने किसानों के प्रतिनिधियों से दो दौर की बातचीत की लेकिन दोनों बेनतीजा रहीं.

इस बीच कुछ किसान नेताओं के एक्स अकाउंट सस्पेंड होते नज़र आ रहे हैं. किसान नेता रमनदीप सिंह मान और तेजवीर सिंह की प्रोफाइल पर एक मैसेज है, जिसमें कहा गया है कि अकाउंट “कानूनी मांग के जवाब में रोक दिया गया है”.


यह भी पढ़ें: ज्ञानवापी में पूजा की अनुमति के बाद ‘इतिहास से भी पुराना’ शहर बनारस चुपचाप बदल रहा है


‘किसानों की मांगें वास्तविक’ : दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार ने किसानों के मार्च के मद्देनज़र बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल में बदलने के केंद्र के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है.

दिल्ली के गृह मंत्री कैलाश गहलोत ने मुख्य सचिव नरेश कुमार को पत्र लिखकर अनुमति देने से इनकार कर दिया और किसानों के मार्च के प्रति एकजुटता व्यक्त की. कुमार को लिखे पत्र में उन्होंने कहा, “किसानों की मांगें वास्तविक हैं. शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करना प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है. इसलिए, किसानों को गिरफ्तार करना गलत है.”

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा, “मैं दो बार चंडीगढ़ गया और किसान संगठनों से बात की…लेकिन कुछ चीज़ों में हमें सलाह लेनी होगी…इसके लिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि रास्ता क्या होगा…किसानों को यह समझने की ज़रूरत है कि सरकार भारत किसानों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उन्हें तथा आम जनता को किसी भी कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े.”

उन्होंने आगे कहा कि उनकी सरकार “किसानों के हितों की परवाह करती है”.

उन्होंने कहा, “अगर कोई इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है तो यह हमारी चिंता का विषय नहीं है. हम हमेशा बातचीत और चर्चा के लिए तैयार रहे हैं और इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए हर संभव प्रयास करने को तैयार हैं. यह मुद्दा राज्य सरकारों से भी जुड़ा है. हमें इस मुद्दे को समझने और इसे हल करने का तरीका खोजने के लिए समय चाहिए…”

किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने दिप्रिंट से कहा, “हमने सरकार से मिलकर कोई रास्ता निकालने की पूरी कोशिश की. पुलिस किसानों का उत्पीड़न कर रही है. यह सिर्फ हमारी नहीं बल्कि 140 करोड़ लोगों की मांग है.”

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष आदीश अग्रवाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) को दिल्ली में प्रवेश करने की कोशिश करने वाले किसानों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने के लिए लिखा है, जिसमें दावा किया गया है कि वे उपद्रव पैदा कर रहे हैं और लोगों को परेशान कर रहे हैं.

Traffic snarls at Delhi's Singhu border | Photo by Manisha Mondal, ThePrint
दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर ट्रैफिक जाम | फोटो: मनीषा मोंडल/दिप्रिंट

(संपादन : फाल्गुनी शर्मा)

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल होने वालीं बॉक्सिंग चैंपियन स्वीटी बूरा हुईं BJP में शामिल


 

share & View comments