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Tuesday, 25 June, 2024
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बघेल सरकार गोधन न्याय योजना में 4 रुपए प्रति लीटर से खरीदेगी गौमूत्र, 28 जुलाई से होगी शुरूआत

प्रथम चरण में प्रत्येक जिले के दो चयनित स्वावलंबी गौठानों में गौ-मूत्र की खरीदी की जाएगी.

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नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ की सरकार ने किसानों और पशुपालक करने वालों से चार रुपए प्रति लीटर की दर से गौमूत्र खरीदने की योजना बना रही है.

सरकार की स्कीम गोधन न्याय योजना के तहत स्थानीय हरेली उत्सव से गौमूत्र खरीदने की है, जो 28 जुलाई से होनी है.

छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर राज्य के गौठानों में 28 जुलाई, हरेली तिहार से गौ-मूत्र की खरीदी की शुरुआत होगी. प्रथम चरण में प्रत्येक जिले के दो चयनित स्वावलंबी गौठानों में गौ-मूत्र की खरीदी की जाएगी.

उन्होंने बताया कि गौठान प्रबंध समिति पशुपालक से गौ-मूत्र क्रय करने के लिए स्थानीय स्तर पर दर निर्धारित कर सकेगी. कृषि विकास और किसान कल्याण समेत जैव प्रौद्योगिकी विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने राज्य में गौ-मूत्र क्रय के लिए न्यूनतम राशि चार रुपए प्रति लीटर प्रस्तावित की है.

अधिकारियों ने बताया कि खरीदे गए गौ-मूत्र से महिला स्व-सहायता समूह की मदद से जीवामृत और कीट नियंत्रक उत्पाद तैयार किए जाएंगे. चयनित समूहों को पशु चिकित्सा विभाग और कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से सिस्टमेटिक ट्रेनिंग भी दी जाएगी.

उन्होंने बताया कि गोधन न्याय मिशन के प्रबंध संचालक डॉक्टर अय्याज तंबोली ने सभी कलेक्टरों को गौठानों में गौ-मूत्र की खरीदी को लेकर सभी आवश्यक तैयारियां सुनिश्चित करने को कहा है. उन्होंने कहा है कि गौ-मूत्र का क्रय गौठान प्रबंधन समिति स्वयं के बैंक खातों में उपलब्ध गोधन न्याय योजना अंतर्गत प्राप्तियां, चक्रीय निधि ब्याज की राशि से करेगी.

अधिकारियों ने बताया कि दो साल पहले 20 जुलाई 2020 को राज्य में हरेली पर्व के दिन से ही गोधन न्याय योजना के तहत गौठानों में गोबर की खरीदी की शुरुआत हुई थी. गोबर से गौठानों में अब तक 20 लाख क्विंटल से अधिक वर्मी कंपोस्ट, सुपर कंपोस्ट और सुपर प्लस कंपोस्ट महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित किए जा चुके हैं, जिसके चलते राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिला है. गौ-मूत्र की खरीदी राज्य में जैविक खेती के प्रयासों को और आगे बढ़ाने में मददगार साबित होगी.

उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना राज्य के ग्रामीण अंचल में बेहद लोकप्रिय योजना साबित हुई है. इस योजना के तहत पशुपालक ग्रामीणों से लगभग दो सालों में 150 करोड़ रुपए से अधिक की गोबर खरीदी की गई है, जिसका सीधा फायदा ग्रामीण पशुपालकों को मिला है. क्रय गोबर से वर्मी खाद का निर्माण और विक्रय से महिला स्व-सहायता समूहों और गौठान समितियों को 143 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का भुगतान किया जा चुका है.


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