scorecardresearch
Tuesday, 5 November, 2024
होमदेशभारत में इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर सवाल होता है कि इसे कब खरीदें: मार्केटिंग हेड, टाटा मोटर्स

भारत में इलेक्ट्रिक वाहन को लेकर सवाल होता है कि इसे कब खरीदें: मार्केटिंग हेड, टाटा मोटर्स

टाटा मोटर्स ने पिछले तीन सालों में जहां 50,000 इलेक्ट्रिक वाहन बेचे हैं, वहीं इस वित्तीय वर्ष में भी उसी आंकड़े का लक्ष्य बना रखा है. कंपनी अगले पांच वर्षों में ईवी से कम से कम 25 प्रतिशत सेल्स पर नजरें गड़ाए है.

Text Size:

ग्रेटर नोएडा: इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उभरने को लेकर जारी तमाम चर्चाओं के बीच टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में मार्केटिंग, सेल्स एंड सर्विस स्ट्रैटेजी प्रमुख विवेक बी. श्रीवत्स ने दिप्रिंट से कहा है कि वास्तविकता यही है कि उपभोक्ताओं और निर्माताओं दोनों के प्रौद्योगिकी को अपनाने से ईवी अब मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं.

श्रीवत्स ने बताया कि टाटा मोटर्स का लक्ष्य चालू वित्त वर्ष में 50,000 ईवी बेचने का है. उन्होंने दिप्रिंट को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘हम पिछले तीन सालों में पहले ही 50,000 ईवी बेच चुके हैं, जो कि कोई छोटी संख्या नहीं है. हम केवल एक वर्ष (वित्त वर्ष 2022-23) में 50,000 डिलीवर करेंगे. चूंकि, एक ईवी कंपनी उद्योग के टॉप-10 मैन्युफैक्चरर में शामिल है. इसलिए इस पर और किसी प्रमाण की जरूरत नहीं है कि ये वाहन अब मुख्यधारा का हिस्सा बन चुके हैं.’

उन्होंने यह भी बताया कि ऑटो एक्सपो 2023 में शामिल सभी कंपनियों ने या तो ईवी लॉन्च किया है या ईवी कॉन्सेप्ट के प्रोडक्शन के करीब नजर आईं. उन्होंने कहा, ‘यह स्पष्ट तौर से एक संकेत है कि ईवी भविष्य हैं और जब हर मैन्युफैक्चरर इलेक्ट्रिक व्हीकल लॉन्च कर रहा है तो यह ग्राहकों के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि सभी निर्माता ईवी को अपना रहे हैं.’

टाटा मोटर्स अगले पांच सालों में अपनी बिक्री का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा इलेक्ट्रिक वाहनों से हासिल करना चाहती है, और 2030 तक इसे 50 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहती है. मौजूदा समय में, घरेलू ऑटोमोबाइल कंपनी के लिए वाहन बिक्री में ईवी की हिस्सेदारी 9 प्रतिशत है.

उत्पाद स्तर पर, कंपनी जहां इंटर्नल कम्बसन इंजन (आईसीई) और इलेक्ट्रिक वैरिएंट दोनों वाले मॉडल बेचती है, उसमें इलेक्ट्रिक वाहन लगभग 30 प्रतिशत होते हैं. उदाहरण के तौर पर कंपनी हर महीने टाटा नेक्सॉन की लगभग 15,000 यूनिट बेचती है, जिसमें से 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वैरिएंट होते हैं.


यह भी पढ़ें: वित्त वर्ष 23 में भारत की जीडीपी 7% की दर से बढ़ने का अनुमान, लेकिन कुछ कारणों से हो सकता है धीमा


2025 तक दस और ईवी मॉडल

फिलहाल तीन इलेक्ट्रिक वाहनों का पोर्टफोलियो रखने वाली इस कंपनी का लक्ष्य 2025 तक 10 ईवी मॉडल सड़कों पर उतारने का है.

ऑटो एक्सपो में इसने तीन उत्पादों की झलक दिखाई—विशुद्ध इलेक्ट्रिक व्हीकल ‘अविन्य’ जिसे 2025 के अंत में लॉन्च किया जाएगा, पहली ऑल-व्हील-ड्राइव इलेक्ट्रिक एसयूवी हैरियर जिसे 2024 में लॉन्च किया जाएगा, और इलेक्ट्रिक एसयूवी सिएरा जो 2025 में लॉन्च होगी.

श्रीवत्स ने कहा, ‘इसमें कोई दो-राय नहीं कि इलेक्ट्रिक व्हीकल ही भविष्य हैं, इस बात को उपभोक्ताओं ने पूरी तरह स्वीकार कर लिया है. जब हम अपने ग्राहकों से बात करते हैं, तो सवाल यह नहीं होता कि ‘क्या मुझे ईवी खरीदना चाहिए’ बल्कि यह होता है कि ‘हमें इसे कब खरीदना चाहिए.’ अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. इसलिए हम ई-मोबिलिटी के मामले में भारत के अग्रणी देशों में शुमार होने की संभावना को लेकर पूरी तरह आश्वस्त हैं.’

उन्होंने कहा, ‘टाटा मोटर्स 2040 तक पैसेंजर व्हीकल बिजनेस के तौर पर नेट जीरो बनना चाहती है. संपूर्ण ऊर्जा उत्पादन के ग्रीनीफिकेशन के साथ इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाना ऑटोमोटिव स्पेस से उत्सर्जन को घटाने के लिए दुनियाभर में जारी प्रमुख प्रयासों में एक है.’

श्रीवत्स ने कहा कि बहुत से लोगों को लगता है कि ईवी केवल टेलपाइप उत्सर्जन को बिजली उत्पादन में बदलेंगे. उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में यह एक तथ्य हो सकता है, लेकिन हम तब इलेक्ट्रिक वाहन के लिए बुनियादी ढांचा शुरू नहीं कर सकते…दोनों को समानांतर काम करना होगा.’

हाइब्रिड और वैकल्पिक ईंधन जैसी अन्य तकनीकों के बारे में पूछे जाने पर श्रीवत्स ने कहा कि ये प्रौद्योगिकी ईवी की ओर बढ़ने में एक सेतु के तौर पर कार्य करेंगी. उन्होंने कहा, ‘ये समाधान मौजूदा समय में तो निर्माताओं की कॉर्पोरेट एवरेज फ्यूल इकोनॉमी (सीएएफई) संबंधी जरूरतें पूरी करने में मददगार हो सकते हैं, जहां कड़े दंड का प्रावधान है. इसके अलावा, ईवी का ढांचा पूरी तरह विकसित में होने में कुछ समय लगेगा और तब तक ये कुछ समाधान हो सकते हैं.’

हालांकि, उन्होंने स्वीकारा कि आईसीई वाहनों की वृद्धि दर घट जाएगी, लेकिन कहा कि वे पूरी तरह खत्म नहीं होंगे. उन्होंने कहा, ‘टाटा मोटर्स ने आईसीई में निवेश करना जारी रखा है क्योंकि हमारा मानना है कि एक कंपनी के तौर पर हमारे पास आईसीई में वृद्धि की काफी संभावनाएं बची हुई हैं. इसलिए, हमारी वृद्धि आईसीई और ईवी दोनों पर निर्भर करेगी.’

ईवी पर मिलने वाले टैक्स संबंधी लाभों (कुछ राज्यों में जीएसटी और कुछ राज्यों में रोड टैक्स में छूट) पर एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि इसे जारी रखने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘टैक्स बेनीफिट जारी रहने चाहिए क्योंकि ईवी आयात सब्सिडी काफी कम करने जा रहे हैं जो सरकार को जीवाश्म ईंधन आयात करने के लिए चुकानी पड़ती है.”

उन्होने कहा, ‘यह सरकारी खजाने के लिए एक बड़ा बोझ है. भारत ऊर्जा सम्पन्न है और ईवी चलने को लेकर सरकार को कोई अतिरिक्त आयात बिल नहीं भरना होगा.’

(अनुवाद: रावी द्विवेदी | संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: दिवालिया होने की कगार पर पाकिस्तान- बदहाल अर्थव्‍यवस्‍था, डॉलर की कमी, विदेशों में बिक रही संपत्ति


share & View comments