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Tuesday, 23 April, 2024
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राजस्थान में पाकिस्तान की सीमा से ‘टिड्डी हमले’ का खतरा, अलर्ट पर अधिकारी

यह राजस्थान में आने वाली हवा या रेगिस्तानी तूफान की मदद से फैलते हैं. यहां 1993 में आखिरी बड़ा टिड्डों के प्रकोप के बाद यह 26 साल में दोबारा दिखे हैं.

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बाड़मेर (राजस्थान): पाकिस्तान की सीमा के पार से टिड्डी हमले के मद्देनजर सोमवार को यहां अधिकारी अलर्ट पर हैं क्योंकि कीट क्षेत्र की खड़ी फसलों को तबाह कर सकते हैं.

जैसलमेर के आस-पास के सीमावर्ती गांवों में टिड्डे देखे जाने के बाद, जोधपुर-मुख्यालय टिड्डी चेतावनी संगठन (एलडब्लूओ) ने मॉक ड्रिल का आयोजन करके टिड्डियों द्वारा किसी भी बड़े हमले से निपटने के प्रयासों को लेकर और कीटनाशकों के पर्याप्त स्टॉक के साथ तैयार है. हालांकि, टिड्डी का खतरा केवल आस-पास के गांवों तक ही सीमित है क्योंकि कीट लंबी दूरी तक नहीं उड़ सकते हैं. हालांकि, यह राजस्थान के रेगिस्तान में गर्मी के मौसम के दौरान आने वाली हवा या रेगिस्तानी तूफान की मदद से फैलते हैं.

एक हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है. एलडब्ल्यूओ के अनुसार, राजस्थान में 1993 में आखिरी बड़ा टिड्डों का प्रकोप हुआ था और 26 साल के अंतराल के बाद ये देखे गए हैं.

एलडब्लूओ की टीमें बीकानेर, जोधपुर, बाड़मेर और फलौदी के सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय हैं और कीटनाशकों का छिड़काव किया है.

एक अधिकारी के अनुसार, टिड्डियां गर्मियों से लेकर बरसात के मौसम तक सक्रिय रहती हैं और पाकिस्तान में बलूचिस्तान के तटीय क्षेत्र ऐसे टिड्डों के लिए घास-फूस के प्रजनन स्थल हैं.

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बाड़मेर में एक वरिष्ठ एलडब्लूओ अधिकारी महेश चंद्र ने कहा, ‘जैसलमेर में टिड्डे देखे गए हैं. ये पाकिस्तान से आए हैं और बाड़मेर, जैसलमेर, फलोदी, बीकानेर और सूरतगढ़ जैसे स्थानों तक फैल सकते हैं’.

उन्होंने कहा, हमने अपनी मशीनों को तैयार रखा है और एक मॉकड्रिल भी आयोजित की जा चुकी है. टिड्डों का मौसम जून से अक्टूबर तक होता है. कीटनाशक ‘मैलाथियान’ का एक ताजा स्टॉक भी लाया गया है. यहां स्थिति नियंत्रण में है. हमने एक हेल्पलाइन नंबर भी लॉन्च किया है.

पाकिस्तान ने कथित तौर पर टिड्डी हमले से निपटने के लिए विमानों से कीटनाशक का छिड़काव किया है और खुद प्रधानमंत्री इमरान खान स्थिति का जायजा ले रहे हैं.

भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों और वैज्ञानिकों ने 19 जून को मुनबाओ के सीमावर्ती गांव में टिड्डे के प्रकोप और इससे निपटने के लिए संभावित संयुक्त कार्रवाई पर एक बैठक की थी.

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा एक टिड्डी स्थिति पर अपडेट के अनुसार, ‘लंबी अवधि के दृष्टिकोण से पता चलता है कि इस बात का खतरा है कि भारत-पाकिस्तान सीमा क्षेत्रों से टिड्डियों के झुंड जून मध्य के बाद वसंत प्रजनन क्षेत्रों से ग्रीष्मकालीन प्रजनन क्षेत्रों में पलायन करेगा.

एफएओ ने फरवरी में पूर्वोत्तर अफ्रीका और सऊदी अरब में टिड्डे के प्रकोप पर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि पिछले अक्टूबर से भारी बारिश और चक्रवातों ने टिड्डों के प्रजनन को बढ़ावा दिया है.

इसने मई की शुरुआत में एक अपडेट पोस्ट किया जिसमें कहा गया कि प्रजनन ईरान और सऊदी अरब में तेज हो गया है और दक्षिण-पश्चिम पाकिस्तान में काम हुआ है.

वयस्क टिड्डी झुंड हवा के साथ एक दिन में 150 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं और वयस्क कीड़े प्रति दिन ताजे भोजन में लगभग अपने वजन तक का उपभोग कर सकते हैं. एक बहुत छोटा झुंड एक दिन में लगभग 35,000 लोगों को खाता है, जो फसलों और खाद्य सुरक्षा के लिए विनाशकारी खतरा पैदा करता है.

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