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Wednesday, 1 May, 2024
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इवोल्यूशन की प्रयोगशाला बने ऑरोविले में रहने वालों के बीच आखिर क्यों बढ़ता जा रहा है मतभेद

ऑरोविले में रहने वालों के रिश्तों में खटास आ रही है जिससे ‘मानव एकता’ के उच्च आदर्श स्थापित करने का विचार खतरे में पड़ गया है.

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शांति से बीतती एक दोपहर को अचानक नंबर-1 क्राउन रोड पर गुजरती मोटर बाइक की तेज आवाज ने वर्किंग कमेटी के दफ्तर में जारी गर्मागर्म बहस बीच में ही रुकवा दी. ऐसी चीजों से भारतीय दार्शनिक श्री अरबिंदो की आध्यात्मिक सहयोगी मीरा अल्फासा या ‘द मदर’ की शिक्षाओं पर केंद्रित इस प्रायोगिक शहर ऑरोविले के निवासी खासे परेशान हैं.

चार दशकों से यहां रह रहीं रेणु नियोगी कहती हैं, ‘मोटर बाइक ही नहीं, हमने तो ऑरोविले में इतनी कारें भी कभी नहीं देखीं.’ रेणु पिछले तीन सालों से ऑरोविले लैंड बोर्ड में कार्यरत थीं. हाल ही में ऑरोविले फाउंडेशन द्वारा ‘निकाल दी गई’ रेणु ने बताया ‘हमारा काम ऑरोविले के लिए जमीन की खरीद और उसका संरक्षण करना था.’

दुनियाभर से लोग आएं और ‘मानवीय एकता’ की भावना को महसूस करें, इस विचार के साथ स्थापित ऑरोविले- जिसे इवोल्यूशन यानी क्रमिक विकास की लैब के तौर पर देखा जाता है- के लिए पिछला एक साल काफी आक्रोश भरा रहा है.

ऑरोविले निवासियों का एक वर्ग केंद्र सरकार की ओर से नियुक्त गुजरात कैडर की आईएएस अधिकारी जयंती एस. रवि के साथ भिड़ पड़ा, जिन्होंने जुलाई 2021 में ऑरोविले फाउंडेशन सचिव के तौर पर पदभार संभाला था. वह इस टाउनशिप में 50,000 लोगों को बसाने के ‘द मदर्स’ के सपने को साकार करने पर दृढ़ हैं, जहां मौजूदा समय में 3305 निवासी रहते हैं. रवि की तरफ से क्राउन रोड में ढांचागत निर्माण पर दिए जा रहे जोर का नतीजा ऑरोविले यूथ सेंटर ढहाए जाने और तमाम पेड़ कटने के तौर पर सामने आया है और इसने इस सपने की व्याख्या को लेकर एक जंग छेड़ दी है.

कई निवासियों की दलील है कि फाउंडेशन उनके साथ अनावश्यक रूप से टकरा रहा है. उन्होंने ऑरोविले के नए प्रबंधन पर पिछले दो महीनों के दौरान आउटरीच मीडिया, अभिलेखागार, कई वर्किंग ग्रुप और यहां तक कि टाउनशिप के लोगों के बीच संवाद के एक आंतरिक ऑनलाइन चैनल ऑरोनेट आदि पर ‘कब्जा’ जमा लेने का आरोप भी लगाया है.

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ढांचागत निर्माण का विरोध कर रही वर्किंग कमेटी की तरफ से जारी एक प्रेस नोट में कहा गया है, ‘दूसरे शब्दों में कहें तो फोटो, वीडियो आदि समेत ऑरोविले के इतिहास से जुड़े तमाम लिखित दस्तावेज अब खतरे में है और ऐसे लोगों के हाथों में है जो न तो निवासियों की असेंबली का प्रतिनिधित्व करते हैं और न ही किसी भी तरह से इस समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं.’

उनका कहना है कि निश्चित तौर पर फाउंडेशन ने एक ‘समानांतर प्रशासनिक’ प्रणाली स्थापित कर ली है. ये सब मूल रूप से रेजिडेंट्स असेंबली की तरफ से गठित एक सात सदस्यीय वैधानिक निकाय वर्किंग कमेटी के क्राउन रोड प्रोजेक्ट को लेकर 4-3 में बंट जाने के कारण हुआ. इसके बाद सात-सात सदस्यों की पूर्ण वर्किंग कमेटी के दावे के साथ दो अलग-अलग गुट बन गए और दोनों ही खुद को असली वर्किंग कमेटी बताते हैं और दूसरे को ‘अवैध’ करार देते हैं.

नियोगी की तरह और भी ऑरोविलियन हैं जिनका कहना है कि उन्हें उनके पदों से ‘बर्खास्त’ कर दिया गया है या ‘निकाल’ दिया गया है. उन्होंने दावा किया कि बर्खास्तगी सचिव कार्यालय से एक पत्र के माध्यम से हुई, जिसमें सूचित किया गया कि एक ‘सक्षम प्राधिकारी’ ने उन्हें सेवा से हटा दिया है. वे जिन नियुक्तियों के बारे में बात कर रहे थे, वे सभी एक व्यापक रेजिडेंट्स असेंबली द्वारा अनुमोदित चयन प्रक्रिया के जरिये हुई थीं. रेजिडेंट्स असेंबली 1988 में लागू ऑरोविले फाउंडेशन अधिनियम के तहत तीन वैध निकायों में से एक है.


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क्या दावे कर रहा दूसरा गुट

दूसरी तरफ, अनु मजूमदार हैं, जिनका दावा है कि वह मौजूदा समय में ‘वैध’ वर्किंग कमेटी में सेवारत हैं, जो बुनियादी ढांचा निर्माण को लेकर सचिव का समर्थन करती है. उन्होंने दिप्रिंट को लिखे एक ईमेल में बताया, ‘ऑरोविले एक विजन पर केंद्रित शहर है, जो हमारा नहीं, बल्कि माता का है, जिसमें भौतिकता से परे आध्यात्मिकता से जुड़ने पर जोर दिया जाता है.’ मजूमदार ने बताया, ‘80 के दशक के उत्तरार्ध में भी एक गुट ने क्राउन रोड प्रोजेक्ट का विरोध किया था, जब बमुश्किल ही यहां कोई पेड़ होता था, और फिर मास्टर प्लान मंजूर होने के बाद जानबूझकर रास्ते में पेड़ लगाए गए. साथ ही जोड़ा कि मातृ मंदिर के बाद शहर की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण जगह क्राउन ही है.

उन्होंने कहा, ‘क्राउन प्रोजेक्ट सिटी सेंटर के इर्द-गिर्द केंद्रित है, और ऑरोविले के पैदल यात्रा वाले आंतरिक शहरी जीवन के साथ सभी चार जोन को एक साथ जोड़ता है. हर बार जब क्राउन पर निर्माण कार्य शुरू करने की तैयारी होते है, इसे लेकर जानबूझकर विरोध शुरू कर दिया जाता है, और याचिकाओं और भ्रामक सूचनाओं के जरिये इसे बाधित कर दिया जाता है. इस सबमें पेड़ों को लेकर भ्रम और विवाद की स्थिति भी उत्पन्न कर दी जाती है.’

जमीनी स्तर पर, यह टकराव एफआईआर, अदालती मामलों, विदेशी निवासियों का वीजा रोके जाने, या विरोधी गुट के साथ नजरें मिलाने तक से कतराने के तौर पर सामने आ रहा है. मई के अंत में ‘रिकॉर्ड और संचार प्रणालियां अवैध तरीके से कब्जाने’ को लेकर छह ऑरोविलियंस के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई. उनमें नियोगी और उनके सहयोगी हेमंत लांबा भी शामिल थे, जिन पर दंगा, जालसाजी और कंप्यूटर संबंधी अपराधों का मामला दर्ज किया गया.

ऑरोविले निवासी एक युवा इसा प्रीतो ने दिप्रिंट को बताया, ‘आठ महीने पहले भी स्थिति अकल्पनीय थी. मेरी उम्र 27 साल है और मुझे अच्छा समय बिताना चाहिए. इसके बजाये, मेरी रातें टाउन हॉल में बीत रही थी, जहां आमतौर पर वर्किंग कमेटी को काम करते होना चाहिए था, वहां मैंने लोगों को अंदर घुसते और ताले बदलते देखा.’

रिश्तों में खटास आ गई है, ‘मानव एकता’ के उच्च आदर्श स्थापित करने का विचार खतरे में पड़ गया है. नाम न बताने की शर्त पर ऑरोविले के एक निवासी ने कहा, ‘यहां सामुदायिक स्तर पर हमारे बीच रिश्ते हमेशा सौहार्दपूर्ण रहे हैं. अभी हमें केवल एक ही समस्या है और वह सचिव को लेकर है.’

पर्यावरण बनाम विकास

ऑरोविले के ब्लिस और डार्कली जंगलों में पेड़ों की कटाई ने ‘वरिष्ठ नागरिकों’ को अपनी आवाज उठाने को बाध्य कर दिया है. दिसंबर 2021 में रिपोर्टों में बताया गया था कि फाउंडेशन ने सड़क परियोजना के लिए दोनों जंगलों में 44 प्रजातियों के कुल 898 पेड़ काट दिए. ब्लिस यूथ सेंटर के इर्द-गिर्द था जिसे ढहाया जा चुका है, जबकि डार्कली जंगल में जलग्रहण क्षेत्र हैं, जो यहां के निवासियों के मुताबिक क्षेत्र की जैव विविधता के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं.

जैसे ही ये मामला सामने आया, चेन्नई स्थित नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सदर्न बेंच ने अप्रैल 2022 में ऑरोविले फाउंडेशन को निर्देश दिया कि जब तक संयुक्त समिति साइट का निरीक्षण नहीं कर लेती, तब तक और पेड़ों की कटाई रोक दी जाए. एनजीटी की तरफ से नियुक्त समिति को दो महीने का समय दिया गया था.

‘क्राउन’ के लिए रास्ता बनाने के लिए ऑरोविले के डार्काली जंगल में ऑरोविले फाउंडेशन द्वारा मार्किंग | फोटो: अनुषा सूद / दिप्रिंट

इस बीच, नताशा स्टोरी ने निरीक्षण समिति से मिलने की ठानी. वनपाल और नगर विकास परिषद सदस्य के नाते डार्कली जंगल में काफी समय बिताने वाली नताशा स्टोरी को पता था कि निर्णय महत्वपूर्ण होगा. वन विभाग जब एनजीटी की संयुक्त निरीक्षण समिति के तौर पर अपना सर्वे करे तब वह वहां मौजूद रहना चाहती थीं. स्टोरी ने दिप्रिंट को बताया कि जब 2 जुलाई को संयुक्त समिति के सदस्यों ने ऑरोविले का दौरा किया तो ऑरोविले फाउंडेशन ने उन्हें सूचित नहीं किया. ‘लेकिन हमने सुनिश्चित किया कि हम उनके साथ बातचीत कर पाएं.’

वन विभाग के अधिकारियों ने छह जुलाई को सर्वेक्षण शुरू किया था. स्टोरी के मुताबिक, यहां के लोगों ने खुद अपने स्तर पर भी एक व्यापक जीपीएस सर्वेक्षण किया था, जिसे वे संयुक्त समिति के समक्ष प्रस्तुत करने की योजना बना रहे थे, जिसमें पेड़ कवर, कैनोपी कवर, और सड़क बनने के जमीन पर पड़ने वाले प्रभावों का पूरा ब्योरा दर्ज किया गया है.

स्टोरी बताती है कि उस सुबह वह कितनी व्यग्र थीं. विरोधी गुट के लोगों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘हमें लगातार खुद को मुखर करना पड़ता है, ताकि हम अपनी आवाज उठा पाएं. कभी-कभी यह सही नहीं लगता है. अचानक लगा कि जंगल काटना, सड़कों और कार्यालयों पर कब्जे का प्रयास, यह सब हमारी आत्मा पर हमला था. मुझे घुटन महसूस हुई, ऐसा लगा कि वे ऑरोविले से उसकी आत्मा को निकाल रहे हैं.’

एक वास्तुकार और फाउंडेशन की मीडिया विंग का चेहरा बने 36 वर्षीय जगदीश ने कहा कि कुछ निवासी पिछले साल क्राउन रोड प्रोजेक्ट के लिए क्लियरिंग वर्क शुरू होने के बाद से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘पिछले 50 सालों से मास्टरप्लान को लेकर इस तरह की चीजें होती रही हैं और इसमें कुछ भी नया नहीं है. लेकिन लोग इसका विरोध कर रहे हैं और स्टे ऑर्डर लेने के लिए एनजीटी गए हैं.’

फिलहाल, कानूनी मदद के सहारे कुछ ऑरोविलियन बुलडोजर (जेसीबी) का शोर थामने और पेड़ों को काटकर जमींदोज किए जाने पर रोक लगवाने में सफल रहे हैं.


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समावेशिता का सवाल

जगदीश ने कहा कि ‘मां’ ने 50,000 लोगों के लिए शहर की कल्पना की थी, लेकिन अभी यहां करीब 3000 लोग ही रहते हैं. उन्होंने कहा, ‘यह एक घने और कॉम्पैक्ट शहर का मतलब है, एक मॉडल शहर जिसकी तर्ज पर दुनिया में शहर बसाए जा सकें.’ उन्होंने बताया कि फाउंडेशन की तरफ योजनाकारों को सलाह देने में मदद के लिए बाहर से अधिक आर्किटेक्ट और शहरी योजनाकारों को काम पर रख रहा है. उन्होंने कहा, ‘हमें उच्च घनत्व वाली आबादी के लिए रचनात्मक और भविष्य को ध्यान में रखकर समाधान खोजने होंगे.’

ऑरोविले रेजिडेंट सर्विस द्वारा आयोजित दिसंबर 2021 की जनगणना में ऑरोविले के निवासियों की संख्या 3,305 है, जिनमें से 1,513 भारतीय हैं, और उनमें करीब 700 तमिल निवासी हैं.

जगदीश ने आरोप लगाया, ‘ऑरोविले में प्रवेश नीति तमिल लोगों को बाहर रखने के लिए बनाई गई है. अभी आप पहुंच (तमिल ऑरोविलियंस तक) बढ़ाने का जो आंदोलन देख रहे हैं, वह इसी ट्रेंड को पलटने की एक कोशिश है.’

वह 28 मई को ऑरोविले के भारत निवास सभागार में आयोजित कार्यक्रम का जिक्र कर रही थीं. फाउंडेशन ने पुडुचेरी के लेफ्टिनेंट गवर्नर और ऑरोविले के गवर्निंग बोर्ड के सदस्य डॉ. तमिलिसाई सुंदरराजन को तमिल में ऑरोविलियंस को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था.

सुंदरराजन ने सचिव रवि के साथ अपने भाषण की शुरुआत यह कहकर की कि 50,000 लोगों के साथ एक बस्ती स्थापित करने का ‘द मदर’ का सपना आधी सदी बीत जाने के बाद भी साकार नहीं हुआ है और यह एक ‘अक्षम्य भूल’ है. उन्होंने वहां मौजूद लोगों से भ्रामक सूचनाओं पर ध्यान न देने और सपने को साकार करने में मदद देने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि ‘मां का सपना पूरा करना ‘विशुद्ध रूप से एक निस्वार्थ लक्ष्य’ है.

इस बारे में जानकारी रखने वाले कुछ लोगों ने कहा कि सभा में करीब सौ लोग जुटे थे, उनमें से कुछ ऑरोविलियन थे भी नहीं, बल्कि आसपास के गांवों के रहने वाले थे. करीब छह साल पहले ऑरेविले छोड़कर तमिलनाडु के दूसरे हिस्से में आकर बसी एक निवासी ने नाम न छापने की कहा, ‘तमिल में संबोधन एक संकीर्ण दृष्टिकोण बनाने के लिए रखा गया था.’ उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य विदेशियों और तमिलों के बीच विभाजन पैदा करना था.

इस नैरेटिव के मुकाबले के लिए 13 जून को कुछ तमिल युवा सदस्यों ने तमिल निवासियों को रेजिडेंट्स असेंबली के बारे में शिक्षित करने और लोगों को अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सिखाने के लिए एक सभा का आयोजन किया.

उन्होंने कहा, ‘मैं दरअसल उस आत्मविश्वास और अधिकारपूर्ण रुख को देखकर हैरान हूं जिसके साथ ऑरोविले फाउंडेशन के सदस्य, जो अभी-अभी इस कम्युनिटी में शामिल हुए हैं, यहां के लोगों के बारे में अपनी राय बनाते हैं और हर तरह की बातें कहते हैं.’

मोदी की नजर में—श्री अरबिंदो

24 दिसंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस वर्ष 15 अगस्त को श्री अरबिंदो की 150वीं जयंती मनाने के लिए पहली उच्च स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता की.

मोदी ने कहा कि श्री अरबिंदो की फिलॉस्फी के दो पहलू ‘रिवोल्यूशन (क्रांति)’ और ‘इवोल्यूशन (विकास क्रम)’ बेहद महत्वपूर्ण थे और इस पर जोर दिया जाना चाहिए.

एक माह बाद, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की सराहना करते हुए ट्वीट किया, ‘गणतंत्र दिवस परेड में श्री अरबिंदो को देखना अद्भुत है. अक्सर यह भुला दिया जाता है कि वह भारत पर ब्रिटिश कब्जे के खिलाफ क्रांतिकारी प्रतिरोध के संस्थापकों में से एक थे. बहुत बढ़िया.’

ऑरोविले में रिलायंस इंडस्ट्रीज की सहायक कंपनी जियो प्लेटफॉर्म्स के सहयोग से 24×7 ऑरोविले टीवी स्थापित करने की योजना है. इसमें सुबह आध्यात्मिक प्रवचन और शाम को वृत्तचित्र प्रसारित होंगे.

मीडिया इंटरफेस कार्यालय में, इस पहल के प्रभारी अक्षय सिंह ने कहा कि आइडिया यह था कि ‘द मदर’ और श्री अरबिंदो दोनों की दृष्टिकोण के अनुरूप कंटेंट तैयार किया जाए. यह ‘योग के लोकाचार’ से जुड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘सोशल मीडिया पर ऑरोविले के बारे में तमाम सामग्री है लेकिन यह कभी-कभी बहुत भ्रामक होती है, यह जगह को लेकर अलग ही माहौल बनाती है. अगर लोग इसकी तुलना भारत के ‘बर्निंग मैन’ से करते हैं, तो मुझे लगता है कि यह प्वाइंट पूरी तरह छूट जाता है.’

कुछ लोग सचिव के क्राउन रोड प्रोजेक्ट पर जोर देने को आध्यात्मिक समुदाय पर भाजपा-आरएसएस के कब्जे के प्रयास के तौर पर देख रहे हैं, जिसके बारे में उनका कहना है कि जैसा जलियांवाला बाग, साबरमती आश्रम या यहां तक दिल्ली के सेंट्रल विस्टा में किया गया और इसके लिए वास्तुकला का इस्तेमाल किया जा रहा है.

दूसरों को लगता है कि यह दूर की कौड़ी है. ऑरविले के आंतरिक कामकाज से परिचित एक व्यक्ति, जिन्होंने अपनी पहचान उजागर करने से इनकार कर दिया, ने कहा, ‘मेरी राय में नई सचिव ने महसूस किया है कि वह ऐसे एक वर्ष में ऑरोविले आई हैं जो बहुत ही घटनात्मक है. अब वह जो कुछ भी कर रही है, वह उनकी अपनी महत्वाकांक्षा से प्रेरित है. ऑरोविले उनके लिए यह साबित करने का साधन है कि वह क्या कुछ हासिल कर सकती है.’ ऑरोविले के तमाम लोगों ने इस विचार से सहमति जताई.

उक्त व्यक्ति ने कहा, ‘ऑरोविले के साथ एक बात यह है कि लोग बहुत अधिक टकराव नहीं चाहते. यह ऐसी जगह नहीं है जहां चीजें रातों-रात एकदम नाटकीय ढंग से बदल जाएं.’ उन्होंने कहा कि कई कारणों से विकास कार्य कई वर्षों से अटका पड़ा है.
साथ ही जोड़ा, ‘एक तो धन की कमी है. दूसरा, प्रक्रियागत स्पष्टता का अभाव है क्योंकि ऑरोविले की आंतरिक निर्णय लेने वाली संरचनाएं बहुत जटिल हैं.’

दिप्रिंट ने सचिव रवि से मिलने या फोन पर संपर्क साधने के लिए कई बार कॉल, एसएमएस और ईमेल किए लेकिन उनके साथ कोई संपर्क नहीं हो पाया.

सचिव की योजनाओं का विरोध करने वाले समूह के एक अन्य कार्यकारी समिति सदस्य लांबा ने कहा, ‘विरोधाभासी मूल्यों वाले दो समूह आमने-सामने हैं. एक के लिए मानवीय एकता ही मूल तत्व हैं. हम विविधता, विचारों, भागीदारी और सहयोग का सम्मान करते हैं. दूसरा मूल्य उस अथॉरिटी से जुड़ा है जिसका लोगों को पालन करना है. यही टकराव की वजह बन रही है.’

ये मतभेद ऑरोविलियंस के निजी जीवन में इस कदर घुल गए हैं कि दोस्त भी दुश्मन बन गए हैं; परिवारों के बीच परस्पर सौहार्द का भाव कहीं नदारद हो गया है. जगदीश ने बताया, ‘करीब 800 लोग मुझसे बात नहीं करते, यहां तक कि मेरी तरफ देखते तक नहीं हैं. मेरा एक पांच साल का बेटा है, लेकिन मेरा बच्चा होने के कारण उसे खेलने तक से वंचित कर दिया जाता है.’

इस सबने कुल मिलाकर ऑरोविले को मानवीय एकता की मिसाल बनाने के बजाये उसके परस्पर सहयोग के ताने-बाने को बहुत क्षति पहुंचाई है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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