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Friday, 1 November, 2024
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अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम को जल्द ही मिल सकता है अपना अलग आईएएस और आईपीएस कैडर

अरुणाचल प्रदेश नरेंद्र मोदी और अमित शाह से राज्य के लिए अलग आईएएस, आईपीएस और आईएफएस कैडर बनाने का मुद्दा उठा चुका है.

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ईटानगर/नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश सरकार की तरफ से आईएएस, आईपीएस और आईएफएस को अलग-अलग कैडर बनाने की मांग को लेकर मोदी सरकार ने एजीएमयूटी के ढांचे को दोबारा देखने का फैसला लिया है.

सूत्रों के अनुसार केंद्रीय प्रशिक्षण और कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने अरूणाचल प्रदेश के अधिकारियों के अलग कैडर को लेकर एक खांका तैयार किया है. राज्य में 42 अधिकारियों की जगह है.

वर्तमान में राज्य एजएमयूटी कैडर से आने वाले आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी से चलता है. एजीएमयूटी – अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिज़ोरम और सभी केंद्र शासित प्रदेशों का एक साझा कैडर है.

ये तीनों राज्य केंद्र शासित प्रदेश हुआ करते थे इसलिए इन्हें केंद्र शासित प्रदेश के कैडर में शामिल कर लिया गया था. राज्य बनने के बाद भी ये राज्य इसी कैडर का हिस्सा लंबे समय से बने हुए हैं.

डीओपीटी अधिकारी ने कहा, ‘सरकार इस बारे में विचार कर रही है कि अरुणाचल प्रदेश को अलग कैडर की जरूरत है कि नहीं. क्योंकि इस बात को लेकर बहस हो रही है कि अगर राज्य का अपना कोई कैडर नहीं होगा तो राज्य में होने वाला विकास प्रभावित हो सकता है.’

सूत्रों के अनुसार सरकार गोवा और मिज़ोरम में भी अलग कैडर बनाने पर विचार कर रही है.

यह बात आगे तब बढ़ी जब अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने इस मुद्दे को इसी महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के सामने रखा था.

दिप्रिंट से बातचीत में पेमा खांडू ने कहा, ‘राज्य का अपना कोई कैडर न होने से यहां के विकास में बाधा पहुंची है.’

खांडू ने कहा, ‘आईएएस अधिकारी राज्य में दो साल के लिए आते हैं. सरकार के कामकाज को समझने की जैसे ही प्रक्रिया चल रही होती है उन्हें किसी और राज्य या केंद्र शासित प्रदेश भेज दिया जाता है’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘एक छोटा राज्य होकर भी सिक्किम के पास 48 अधिकारी हैं. कैडर होने से उन्हें इसका काफी फायदा होता है. जबकि अरुणाचल प्रदेश को परेशानी हो रही है.’


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अरुणाचल प्रदेश में कार्यरत एक आईएएस अधिकारी ने कहा, ‘राज्य में अलग से कोई कैडर ने होना यह संघीय भावना के विपरीत है.’

एजीएमयूटी के अंतर्गत आने वाले सभी अधिकारी गृह मंत्रालय के तहत काम करते हैं. इसका मतलब है कि गृह मंत्रालय ही पोस्टिंग और ट्रांसफर तय करता है. राज्यों के स्तर पर इस तरह की अनदेखी करना सही नहीं है.

अधिकारी ने बताया कि हमेशा से ही सांस्कृतिक अंतर बना रहता है. अधिकारी कभी भी संस्कृति, भाषा से ठीक तरह से नहीं जुड़ पाते हैं.

लंबे समय से चल रही थी मांग

कुछ दिन पहले अरुणाचल प्रदेश के गवर्नर ब्रिगेडियर बीडी मिश्रा (रिटायर्ड) केंद्रीय मंत्री के बुलाने पर इस मुद्दे को लेकर बात हुई थी. जम्मू-कश्मीर कैडर को एजीएमयूटी में मिलाने पर उन्होंने कहा कि एजएमयूटी से राज्यों को बाहर करने पर क्या विचार हो रहा है.

लंबे समय से अरुणाचल प्रदेश अलग कैडर बनाने को लेकर मांग कर रहा है. 2017 में सभी विधायकों ने इसको लेकर प्रस्ताव पारित किया था.

अक्टूबर में मिज़ोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा ने भी गृह मंत्री अमित शाह से इस मुद्दे को लेकर बात की थी. उन्होंने गुवाहाटी में हुए 68वें नार्थ ईस्ट काउंसिल में भी इस बात को उठाया था.

बहुत सार आईएएस और आईपीएस अधिकारी मानते हैं कि पूर्वोत्तर राज्यों में पोस्टिंग एक सजा है. सितंबर में 2011 बैच के एजीएमयूटी कैडर के आईएएस अधिकारी कशिश मित्तल ने नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. वो अरुणाचल प्रदेश भेजे जाने से नाखुश थे.


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एक अन्य एजीएमयूटी कैडर के अधिकारी ने बताया कि साझा कैडर होने के फायदे भी हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘एजीएमयूटी कैडर के अधिकारियों में ऑल इंडिया सर्विस की सच्ची भावना झलकती है. इन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में तैनात किया जता है जिससे उन्हें ज्यादा अनुभव मिलता है.’

अगर अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिज़ोरम के अपने अलग कैडर होंगे तो राज्य के पास सीमित अधिकारी होंगे क्योंकि ये काफी छोटे राज्य हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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