नई दिल्ली: पूर्व वित्तमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली का शनिवार दोपहर 12 बजकर 7 मिनट पर निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. वे 9 अगस्त से दिल्ली स्थित एम्स में सांस लेने में तकलीफ के बाद भर्ती कराए गए थे. जिसके बाद उनकी हालत लगातार बिगड़ती गई. पूर्व वित्तमंत्री जेटली पिछले कई वर्षों से किडनी से संबंधित बीमारी से पीड़ित थे. उन्होंने 2018 में किडनी ट्रांप्लांट भी करवाया था. इसके बाद वे कई दूसरी गंभीर बीमारियों से घिर गए थे. इसी के चलते उन्हें अपने इलाज के लिए अमेरिका भी जाना पड़ा था. इसी कारण वह मोदी सरकार के पहले कार्यकाल का अंतरिम बजट भी पेश नहीं कर पाए थे.
नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में जेटली के पास वित्तमंत्री का दायित्व था. इसके अलावा वह राज्यसभा में भाजपा के नेता सदन भी थे. उन्होंने मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए खुद को राजनीति से अलग रखने का फैसला लिया था.
जेटली भाजपा के एक ऐसे संकटमोचक थे. चाहे वह पार्टी के भीतर का कोई मसला हो या विपक्षी दलों को मनाने की बात वो हर किसी के साथ तालमेल बैठा लेते थे. पार्टी में चाहे अटल-आडवाणी युग हो या मोदी-शाह युग जेटली सबके करीबी ही बने रहे.
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पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली का जन्म 28 दिसंबर 1952 में महाराज किशन जेटली और रतन प्रभा जेटली के घर हुआ था उनके पिता पेशे से एक वकील थे. अरुण जेटली ने 1957-69 में अपनी स्कूली शिक्षा सेंट जेवियर्स में पूरी की. इसके बाद नई दिल्ली के ही श्रीराम कॉलेज आफ कामर्स से ग्रेजुएशन किया. फिर उन्होंने 1977 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कानून की डिग्री ली. जेटली 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन के अध्यक्ष भी रहे. उनका विवाह 24 मई 1982 में हुआ. उनकी पत्नी का नाम संगीता है. उनके एक बेटे रोहन और बेटी सोनाली है.
अरुण जेटली ने अपने राजनीतिक जीवन में कई उतार चढ़ाव देखे. जेटली 1974 में दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष भी रहे. 1975 में आपातकाल के दौरान उन्होंने सक्रिय रुप से भाग लिया. इस दौरान वे कई महीनों तक जेल में भी बंद रहे. पेशे से अधिवक्ता होने के चलते वे 1977 से न्यायालयों में वकालत करने लगे. जेटली को 1989 में वीपी सिंह की सरकार में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था.
वे 1991 से भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे.1999 के दौरान उन्होंने भाजपा के प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद वे हमेशा आगे ही बढ़ते गए. 1999 में एनडीए की अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में उन्हें सूचना प्रसारण राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली. इसी सरकार में उन्होंने कानून मंत्रालय का जिम्मा भी संभाला. जेटली वाजपेयी सरकार में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे. भाजपा की केंद्र सरकार से सत्ता जाने के बाद जेटली पार्टी को आगे बढ़ाने के कामों में लगे रहे, लगातार संसद में और सदन के बाहर पार्टी की आवाज को उठाते रहे. विपक्ष की नीतियों को लेकर सड़क,संसद और अदालतों में घेरते रहे. 2009 में उन्होंने राज्यसभा में विपक्ष के नेता का दायित्व संभाला.
26 मई 2014 को जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी तो अरुण जेटली को वित्तमंत्री और रक्षा मंत्री समेत कॉरपोरेट मामलों का दायित्व दिया गया. वहीं, राज्यसभा में पार्टी का नेता सदन भी बनाया गया. कुछ दिनों तक उन्होंने दोनों मंत्रालय का जिम्मा संभाला. 2019 में मोदी सरकार 2.0 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उन्होंने खुद को राजनीति से अलग कर लिया.