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Tuesday, 12 November, 2024
होमदेशसेना प्रमुख ने सेना में किसी तरह की समलैंगिकता और व्यभिचार को नकारा

सेना प्रमुख ने सेना में किसी तरह की समलैंगिकता और व्यभिचार को नकारा

सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा कि भारतीय सेना रूढ़िवादी है और पश्चिमी सभ्यता से प्रभावित नहीं है और आर्मी एक्ट के तहत दोषियों को सजा मिलनी जारी रहेगी.

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नई दिल्ली : भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत ने गुरुवार को कहा कि सेना में किसी भी तरह की समलैंगिकता और व्यभिचार बर्दाशत नहीं किया जाएगा. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आर्मी के लिए बने कानून द्वारा दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाई की जाएगी.

सुप्रीमकोर्ट ने सितंबर में व्यभिचार और समलैंगिकता दोनों को गैर-अपराधीकरण कर दिया गया था.

आर्मी डे की पूर्व संध्या पर प्रेसवार्ता में रावत ने कहा, ‘आर्मी एक्ट कानून से ऊपर नहीं है. साथ में उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारतीय सेना इन मुद्दों को सुलझाने में पश्चिमी या आधुनिक तरीके की बजाय रुढ़िवादी नजरिया रखती है.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध बताए जाने वाले फैसले पर उन्होंने कहा कि लोगों को सेना में इसकी स्वीकार्यता से पहले देखना चाहिए कि समाज को इसे स्वीकार करने में 20 साल लग गए.


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उन्होंने कहा , ‘आर्मी रुढ़िवादी है और हम इसे आर्मी में नहीं फैलने देंगे.’ ‘हम अब भी आर्मी एक्ट के विभिन्न अनुच्छेदों के तहत उनके साथ काम करेंगे.’

सेना के तीनों अंगों को चलाने वाला कानून समलैंगिकता को एक दंडनीय अपराध मानता है.

आर्मी एक्ट 1950, का सेक्शन 45 में अशोभनीय व्यवहार के बारे में बताया गया है, लेकिन उसे विस्तार से समझाया नहीं गया है.

सेक्शन 46(ए) कहता है कि सेना के किसी व्यक्ति का आचरण ‘क्रूर, अभद्र या अप्राकृतिक’ पाया जाता है और वह कोर्ट मार्शल द्वारा दोषिसिद्ध होता है तो उसे सात साल की जेल हो सकती है.

एयर फोर्स एक्ट 1950 का सेक्शन 45 और सेक्शन 46 (ए) दोनों एक ही हैं.

वहीं नेवी एक्ट 1957 कहता है कि कोई भी इंसान अगर किसी अभद्रता में पाया जाता है तो उसे दो साल तक की जेल हो सकती है. एक प्रावधान के मुताबिक कोई अधिकारी किसी लज्जानक या धोखाधड़ी आचरण में संलिप्त पाया जाता है तो उसे दो साल की सजा हो सकती है.

व्यभिचार पर भी कड़े कानून

आर्मी प्रमुख ने व्यभिचार पर भी कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने कहा कि सीमा पर तैनात अधिकारियों को अपने परिवार को घर पर ही वापस छोड़ कर आना होगा. जिनकी देखभाल पदस्थ अधिकारियों द्वारा की जाएगी.

रावत के मुताबिक व्यभिचार कानून पर किसी भी तरह की ढिलाई अधिकारियों के बीच भरोसे को तोड़ेगी और इसके अलावा ड्यूटी पर लगे अधिकारियों को भी अपने परिवार की चिंता सताती रहेगी.


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भारतीय सेना में बोलचाल की भाषा में व्यभिचार को, ‘सहयोगी अधिकारियों की बीवियों का प्यार छीनने’ के रूप में परिभाषित किया जाता है.

इस तरह के अपराध में सेक्शन 69 के तहत कोर्ट मार्शल सहित पांच साल की कड़ी सजा का प्रावधान है.

 

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