नई दिल्ली: अरुणाचल प्रदेश की एक लेखिका ने कहा कि उन्हें दक्षिण दिल्ली के एक कैफे में नस्लीय और लिंग आधारित उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, जिसके बाद कैफे ने एक बयान जारी कर कहा कि वे इस तरह की घटनाओं से निपटने के लिए विशेष रूप से ‘एक टीम’ बनाएंगी.
यह घटना कथित तौर पर डियर पार्क के ब्लू टोकई कैफे में इस सप्ताह की शुरुआत में हुई थी.
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में डॉक्टरेट कर रही न्गुरंग रीना ने दिप्रिंट को बताया कि वह पिछले तीन महीने से इस कैफे में आ रही थीं और यहां बैठकर काम करती थीं. 13 जून की सुबह जब वह कैफे में बैठी हुई थीं, तो दो अन्य ग्राहक कथित तौर पर ‘उस पर हंसते हुए’ उसे लगातार घूरने लगे.
जब लेखिका ने हिंदी में उनसे कहा- ‘क्या देख रहे हो?– तो कथित तौर पर दोनों लोगों ने और तेज-तेज हंसना शुरू कर दिया और यह सब ज्यादा डरावना लग रहा था. फिर उसने कैफे के प्रबंधन के पास इसकी सूचना दी.’
उन्होंने कहा, ‘उसके बाद ये दोनों लोग ‘नाराज हो गए और नस्लीय रूप से अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करने लगे.’
रीना पहले भी इस तरह के अपने अनुभवों के बारे में लिख चुकी हैं. उन्होंने कहा, ‘जातीय अल्पसंख्यकों को हर दिन इस तरह की टीका टिप्पणियों का सामना करना पड़ता है. हम (उन्हें) अनदेखा करने की कोशिश करते हैं क्योंकि ऐसा न करने पर बात काफी बढ़ सकती है.’
इस घटना के बारे में रीना ने एक ट्वीट किया- जहां उन्होंने कैफे प्रबंधन पर इस भयावह घटना की ओर ‘उदासीनता और निष्क्रियता का आरोप लगाया’. उनके इस ट्वीट ने काफी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा हैं.
A #Thread that require urgent attention & redress:
Racial-gender oppression is a reality, not a fiction.
1. Dear @BlueTokaiCoffee , I was subjected to #racial & #gender based harassment today at one of your units in Delhi. Do you have any mechanisms to address such concerns?
— Ngurang Reena. (@NgurangReena) June 13, 2022
A #Thread that require urgent attention & redress:
Racial-gender oppression is a reality, not a fiction.
1. Dear @BlueTokaiCoffee , I was subjected to #racial & #gender based harassment today at one of your units in Delhi. Do you have any mechanisms to address such concerns?
— Ngurang Reena. (@NgurangReena) June 13, 2022
रीना को 14 जून को भेजे गए एक ई-मेल में ब्लू टोकई की सह-संस्थापक नुपुर अस्थाना ने इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए कैफे में ढांचागत बदलाव का वादा किया है.
उन्होंने अपने ई-मेल में लिखा, ‘हम अपने अलग-अलग सदस्यों के साथ मिलकर एक टीम तैयार करेंगे. जो न केवल इस तरह के मुद्दों से निपटने के लिए जिम्मेदार होगी बल्कि निरंतर आधार पर संस्कृति और विविधता पर चर्चा करने के लिए सत्र भी आयोजित करेगी. ताकि हमारी कंपनी में ऐसे मामलों को हल्के में नहीं लिया जाए और इस पर सक्रिय रूप से काम किया जा सके.’
दिप्रिंट के पास इस मेल की एक प्रति है. यह मेल रीना द्वारा ब्लू टोकाई को भेजे गए पहले ई-मेल में कंपनी की ओर से ‘हमदर्दी की कमी’ का आरोप लगाने के बाद भेजा गया था, जिसमें इस घटना को ‘असुविधा’ के रूप में बताया गया है.
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‘पहली घटना नहीं है’
दिल्ली या भारत के अन्य हिस्सों में पूर्वोत्तर के लोगों की नस्लीय प्रोफाइलिंग की यह पहली घटना नहीं है.
इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च (आईसीएसएसआर) द्वारा 2020 में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि महामारी की शुरुआत के बाद से नस्लीय भेदभाव के मामले काफी बढ़े हैं.
लगभग एक साल पहले, पूर्वोत्तर की महिलाओं के एक ग्रुप ने हौज़ खास विलेज में एक पार्टी के दौरान दो लड़कों द्वारा उनसे उनकी ‘कीमत’ पूछे जाने का एक वीडियो शूट किया और उसे लोगों के बीच पहुंचाया. हौज खास विलेज एक लोकप्रिय हैंगआउट स्पॉट है और यहीं पर वह कैफे है जहां रीना के साथ यह घटना हुई थी.
हुमायूंपुर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर स्थित ये एक ऐसा इलाका है जहां पूर्वोत्तर के लगभग हर राज्य के लोग या तो रहते हैं, या बिजनेस से जुड़े हैं या खाने के लिए जाते हैं. हौज खास को एक अपस्केल इलाका माना जाता है. यहां आने-जाने वालों का दावा है कि इस इलाके में पहले भी नस्लीय प्रोफाइलिंग की घटनाएं देखी जा चुकी हैं.
दिल्ली विश्वविद्यालय की एक शोध छात्र रिया हजारिका ने कहा कि 2017 में हौज खास विलेज में रात के खाने के लिए जाने पर उन्हें इसी तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ा था. उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि एक व्यक्ति ने पहले अपनी गाड़ी को धीरे किया और उसे ‘नेपाली’ कहकर तेजी से भाग गया.
गुरुग्राम स्थित एक मार्केटिंग प्रोफेशनल डोरेन गुरुंग ने दिप्रिंट को बताया, ‘एक टीनएजर मेरे पास आया और मुझे ‘विदेशी’ कहने लगा. उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसके साथ पब में जाकर उसका और उसके दोस्तों का एंटरटेनमेंट कर सकती हूं.’
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‘समर्थन की कमी’
रीना ने कहा कि ऐसे लोगों से निपटने के लिए कैफे में शायद ही कोई सपोर्ट मिला हो. उन्होंने कहा, ‘इसके उलट पास में बैठी एक महिला ने उनसे कहा कि वह क्यों सीन क्रिएट कर रही है. और उसे इस मामले को बाहर ले जाकर सुलटाने के लिए कहा.’
रीना ने दिप्रिंट को बताया कि इस प्रतिक्रिया ने उन्हें एक बाहरी व्यक्ति होने का अहसास कराया. आखिरकार, रीना की दोस्त और एक अन्य नियमित ग्राहक ने कथित तौर पर इस मामले में हस्तक्षेप किया और मैनेजमेंट से उनकी शिकायतों को गंभीरता से लेने के लिए कहा.
उन्होंने कहा, ‘रेशियल प्रोफाइलिंग की समस्या से निपटने के लिए देश के एजुकेशन सिस्टम में काफी कुछ करने की जरूरत है. अक्सर भारत के पूर्वोत्तर को केवल एक पैराग्राफ में समेट कर रख दिया गया है.’
उन्होंने कहा, ‘हमें अपनी शिक्षा प्रणाली के जरिए छात्रों को सीईओ बनाने से परे भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है.’ वह कहती है, ‘लैंगिक समावेशिता, विविधता और सांस्कृतिक विविधता पर लोगों को शिक्षित करने की दिशा में और प्रयास किए जाने चाहिए.’
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