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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशअमेरिका को 2052 तक मिल सकेगा न्युक्लियर-अटैक पनडुब्बियों का बेड़ा, रिपोर्ट ने बताई क्या हैं चीनी चुनौतियां

अमेरिका को 2052 तक मिल सकेगा न्युक्लियर-अटैक पनडुब्बियों का बेड़ा, रिपोर्ट ने बताई क्या हैं चीनी चुनौतियां

कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट नौसेना के बेड़े के विस्तार से जुडी चुनौतियों पर प्रकाश डालती है. यह शिड्यूल भारतीय और प्रशांत महासागरों में बीजिंग की बढ़ती शक्ति का मुकाबला करने के लिए  बन रही क्षेत्रीय योजनाओं को विफल कर सकता है.

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नई दिल्ली: अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक कांग्रेस रिसर्च सर्विस (सीआरएस) की एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना (यूनाइटेड स्टेट्स नेवी) की वर्तमान योजना के तहत इसके द्वारा 66 से 72 के बीच परमाणु-संचालित हमला करने वाली पनडुब्बियों (न्युक्लिअर-पॉवर्ड अटैक सबमरीन) वाले बेड़े के संचालन के अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए नई पनडुब्बियों का उत्पादन लक्ष्य साल 2052 तक पूरा किया जा सकता है. (पनडुब्बियों के) उत्पादन का यह शिड्यूल (समय सारणी) ऑस्ट्रेलिया द्वारा परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों को हासिल करने की योजना को प्रभावित कर सकता है और हिंद महासागर एवं प्रशांत महासागर के क्षेत्र में चीन की बढ़ती शक्ति का मुकाबला करने के लिए किये जा रहे क्षेत्रीय प्रयासों को धीमा कर सकता है.

यह रिपोर्ट बुधवार को जारी की गई थी.

बता दें कि पिछले ही साल ऑस्ट्रेलिया-यूनाइटेड किंगडम-यूनाइटेड स्टेट्स साझेदारी, या ओकुस, ने कैनबरा को बारह फ्रांसीसी-डिज़ाइन वाली पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण की अपनी योजनाओं को रद्द करने के लिए प्रेरित किया था और घोषणा की गई थी कि ऑस्ट्रेलिया अब परमाणु-संचालित हमले वाली पनडुब्बियां हासिल करेगा.

परमाणु-संचालित हमले वाली पनडुब्बियों, या एसएसएन की गति, स्टेल्थ (सोनार से बच निकलने का गुण) और इसकी असीम सहनशक्ति – जो चालक दल के लिए जरूरी सामानों के द्वारा ही सीमित होती – का मतलब यह होता है कि उन्हें आधुनिक नौसैनिक शस्त्रागार के सबसे घातक अवयवों में से एक माना जाता है. साल 2019 में, भारत ने एक एसएसएन पनडुब्बी को पट्टे पर देने के लिए रूस के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह छह और ऐसी ही एसएसएन पनडुब्बियां बनाने की भी योजना बना रहा है.

ऑस्ट्रेलिया द्वारा अपनी पनडुब्बी अधिग्रहण योजनाओं की घोषणा अगले साल की शुरुआत में किये जाने की उम्मीद है, लेकिन इसके रक्षा मंत्री रिचर्ड मार्लेस ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि यह उम्मीद करना कि इस दशक के अंत तक परमाणु ऊर्जा से चलने वाली ये पनडुब्बियां उपलब्ध हो जाएंगी ‘बेहद आशावादी बात होगी.’

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हालांकि,  चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी (पीएलएएन) के पास फ़िलहाल एसएसएन पनडुब्बियों की एक छोटी सी संख्या ही है, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका सरकार का मानना है कि साल 2030 तक इसके द्वारा अपने एसएसएन बेड़े की ताकत को बढ़ाकर 13 या उससे अधिक पनडुब्बियों तक किये जाने की उम्मीद है.


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चीनी योजना से जुडी चिंताएं

पीएलएएन ने हुलुदाओ शहर स्थित बोहाई शिपयार्ड में पनडुब्बी निर्माण के लिए एक हॉल बनाने में निवेश किया है, और ख़बरों के अनुसार यह हॉल इसे एक साथ पांच पनडुब्बियों के निर्माण की क्षमता प्रदान करता है.

अमेरिका में फ़िलहाल केवल ही दो जहाज निर्माण यार्ड हैं – कनेक्टिकट में जनरल डायनेमिक्स इलेक्ट्रिक का बोट डिवीजन, और वर्जीनिया स्थित हंटिंगटन-इंगॉल्स न्यूपोर्ट न्यूज शिपबिल्डिंग यार्ड – जो यूनाइटेड स्टेट्स नेवी के लिए परमाणु-संचालित जहाजों का उत्पादन करने में सक्षम हैं. जनरल डायनेमिक्स केवल पनडुब्बियों का ही उत्पादन करता है, जबकि हंटिंगटन-इंगॉल्स परमाणु-संचालित सतह पर तैरने वाले जहाजों का भी निर्माण करता है.

सीआरएस का कहना है कि विशेषज्ञों ने ‘इन बाधाओं या अन्य उत्पादन सम्बन्धी समस्याओं का सामना किए बिना इस तरह के कार्यभार को पूरा करने के लिए देश के औद्योगिक आधार की क्षमता’ के बारे में चिंता व्यक्त की है.

यूनाइटेड किंगडम में, एस्टुट-क्लास एसएसएन, जो पुरानी पड़ चुकी ट्राफलगर क्लास पनडुब्बियों की जगह ले रही हैं, के के लिए उत्पादन से जुडी मांग ने पहले ही बैरो शिपयार्ड की क्षमता पर काफी दवाब डाल दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि उत्पादन का विस्तार करने के लिए न केवल उत्पादन सुविधाओं में बल्कि बड़ी कठिनाई से पाए जाने वाले इंजीनियरों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों की तलाश हेतु भी निवेश की आवश्यकता होगी.

इस कमांडरों ने एक खुले पत्र में सवाल किया कि कोलिन्स- क्लास की वर्तमान पनडुब्बियों के मौजूदा बेड़े की जगह लेने के लिए परमाणु-संचालित नई पनडुब्बियों के आने तक वर्तमान बेड़े को लड़ाई में इस्तेमाल करने की बात कौन कहे, मुद्दा यह है कि क्या इन्हें अभी भी संचालित करना सुरक्षित है या नहीं?

कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस की रिपोर्ट के अनुसार संयुक्त राज्य अमेरिका की तीस साल की जहाज निर्माण योजना एक ऐसे परमाणु हमले वाली पनडुब्बियों के बेड़े करती की मांग है जो साल 2028 तक न्यूनतम 46 पनडुब्बियों की संख्या तक पहुंच जाएगी, 2032 तक इन पनडुब्बियों की संख्या 50 तक बढ़ जाएगी, और 2052 में 60 से 69 एसएसएन के स्तर तक पहुंच कर रुक जाएगी. एसएसएन पनडुब्बियों के विकास की यह योजना 364 जहाजों का एक बेड़ा बनाने की उस एक बड़ी प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जिनमें से लगभग 150 मानव रहित प्लेटफॉर्म होंगें.

चीन द्वारा किए गए बड़े निवेश के तहत पीएलएएन को 355 से अधिक जहाजों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना के रूप में विकसित होते देखा गया है. इस सप्ताह की शुरुआत में, संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना ने ‘विश्वसनीय सैन्य प्रतिरोध में कमी आने की चेतावनी दी, विशेष रूप से चीन की तेजी से बढ़ती सैन्य क्षमताओं के कारण’.

संयुक्त राज्य अमेरिका का एसएसएन पनडुब्बियों का बेड़ा 1987 में 98 पनडुब्बियों के साथ अपने चरम पर था, लेकिन उसके बाद समग्र नौसैनिक शस्त्रागार में आई कमी के साथ यह संख्या धीरे-धीरे कम काम होती गई, क्योंकि शीत युद्ध का खतरा कम हो गया था. संयुक्त राज्य अमेरिका की नौसेना के बेड़े में वर्तमान में तीन प्रकार के एसएसएन शामिल हैं: लॉस एंजिल्स क्लास की 28 पनडुब्बियां, वर्जीनिया क्लास की 19 पनडुब्बियां और सीवॉल्फ क्लास की 3 पनडुब्बियां. इसके पास चार बड़े ओहियो क्लास की सामान्य-उद्देश्य वाली परमाणु पनडुब्बियां भी हैं, जो ऐसी ही मिशनों को अंजाम देने में सक्षम हैं.

इस तरह की आशंकाएं भी व्यक्त की गई थी कि साल 2027-2028 तक संयुक्त राज्य अमेरिका के एसएसएन बेड़े की ताकत कम हो कर केवल 42 पनडुब्बियों तक रह जाएगी, लेकिन मौजूदा लॉस एंजिल्स क्लास की पनडुब्बियों के जीवनकाल को बढ़ाकर इस अंतर को कम कर दिया गया है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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