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Thursday, 7 November, 2024
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कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर आज मिलेंगे किसान नेताओं से, होगी गतिरोध समाप्त करने की कोशिश

केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुये तीन दिसंबर की जगह मंगलवार को बातचीत के लिये आमंत्रित किया है .

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नई दिल्ली: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के नेताओं को कोविड-19 महामारी एवं सर्दी का हवाला देते हुये तीन दिसंबर की जगह मंगलवार को बातचीत के लिये आमंत्रित किया है .

गौरतलब है कि हजारों किसान दिल्ली की सीमा पर पिछले पांच दिनों से धरने पर हैं . केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ उनका यह धरना सोमवार को पांचवें दिन में प्रवेश कर गया . इन कानूनों के बारे में किसानों को आशंका है कि इससे न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा.

तोमर ने कहा, ‘कोरोनावायरस महामारी एवं सर्दी को ध्यान में रखते हुये हमने किसान यूनियनों के नेताओं को तीन दिसंबर की बैठक से पहले ही चर्चा के ​लिये आने का न्यौता दिया है.’ उन्होंने बताया कि अब यह बैठक एक दिसंबर को राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में दोपहर बाद तीन बजे बुलायी गयी है. उन्होंने बताया कि 13 नवंबर को हुई बैठक में शामिल सभी किसान नेताओं को इस बार भी आमंत्रित किया गया है.

इस बीच कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने 32 किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों को पत्र लिख कर एक दिसंबर को चर्चा के लिये आमंत्रित किया है . अग्रवाल ने जिन संगठनों को पत्र लिखा है उनमें क्रांतिकारी किसान यूनियन, जम्मुहारी किसान सभा, भारतीाय किसान सभा (दकुदा), कुल हिंद किसान सभा और पंजाब किसान यूनियन शामिल हैं.

इससे पहले 13 नवंबर को हुयी बैठक बेनतीजा रही थी और केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किसानों को तीन दिसंबर को दूसरे दौर की बातचीत के लिये आमंत्रित किया था ताकि तीन नये कृषि कानूनों से उपजी उनकी चिंताओं का निराकरण किया जा सके.


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 किसानों की बात सुनें

वहीं दूसरी तरफ पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने एकबार फिर केंद्र सरकार से किसानों की आवाज सुनने को कहा है.  कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के संघर्ष को ‘न्यायपूर्ण’ भी बताया और केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह किसानों की आवाज क्यों नहीं सुन रही है और इस मुद्दे पर उसका हठी रवैया क्यों है .

सिंह ने दोहराया कि उनकी सरकार इन ‘काले कानूनों’ के खिलाफ किसानों के साथ खड़ी रहेगी.

मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक कस्बों सुल्तानपुर लोधी और डेरा बाबा नानक की यात्रा के दौरान अनौपचारिक तौर पर मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान कहा, ‘जनता की बात सुनना सरकार का काम है . अगर कई राज्यों के किसान इस प्रदर्शन में शामिल हो रहे हैं तो इसका मतलब है कि वे वास्तव में दुखी हैं.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इन कानूनों को किसानों के लिए फायदेमंद बताने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मोदी शुरू से यही कह रहे हैं और यही वजह है कि पंजाब इसके लिए अपने विधेयक लेकर आया.

उन्होंने कहा कि राज्यपाल इस विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजने की जगह उस पर ‘बैठ’ गए हैं.


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