scorecardresearch
Wednesday, 26 November, 2025
होमदेशपरीक्षण में शामिल लोगों को ऑक्सफोर्ड कोविड वैक्सीन की खुराक के बाद ‘एसओएस आधार पर’ पैरासिटामोल दिया जाएगा

परीक्षण में शामिल लोगों को ऑक्सफोर्ड कोविड वैक्सीन की खुराक के बाद ‘एसओएस आधार पर’ पैरासिटामोल दिया जाएगा

अध्ययनों के अनुसार, रोगनिरोधक उपाय के तौर पर पैरासिटामोल का इस्तेमाल तेज बुखार और अन्य संबंधित प्रतिक्रियाओं के खतरे को दूर कर सकता है.

Text Size:

नई दिल्ली : दिप्रिंट को मिली जानकारी के मुताबिक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की तरफ से विकसित कोविड-19 वैक्सीन के परीक्षण में शामिल होने वाले सभी 1600 भागीदारों को ‘एसओएस’ आधार पर वैक्सीन की खुराक के बाद पैरासिटामोल दिया जाएगा.

पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई)) ने कोविशील्ड कहे जाने वाले वैक्सीन कैंडिडेट के उत्पादन के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय संग भागीदारी की है, और इसके ह्यूमन ट्रायल को आगे बढ़ाएगा.

पैरासिटामोल के इस्तेमाल का फैसला केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (एसईसी) की तरफ से शुक्रवार को आयोजित एक बैठक में किया गया.

दिप्रिंट को मिले इस बैठक के मिनट्स बताते हैं, ‘ट्रायल के सभी प्रतिभागियों को खुराक के बाद एसओएस आधार पर पैरासिटामोल दिया जाएगा.’

बहुचर्चित चिकित्सा पत्रिका द लांसेट में छपे एक अध्ययन के अनुसार, रोगनिरोधक या एहतियात के तौर पर पैरासिटामोल जैसी दवाओं का इस्तेमाल ‘तेज बुखार और ज्वर संबंधी कंपकंपी (बुखार की चपेट में आने के के कारण) की चिंता से बचने के लिए अनुशंसित है.’

अध्ययन में यह भी पाया गया कि भले ही टीकाकरण के समय ऐसी रोगनिवारक दवाओं के नियंत्रित तरह के इस्तेमाल के कारण ज्वर (या बुखार) जैसी प्रतिक्रियाओं में ‘महत्वपूण कमी’ आई हो, फिर भी इनके ‘नियमित उपयोग की सिफारिश नहीं की जानी चाहिए क्योंकि कई वैक्सीन एंटीजन के प्रति एंटीबॉडी प्रतिक्रियाएं कम हो गई थीं.’

क्लीनिकल ट्रायल पर देश के सर्वोच्च नियामक भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल (डीसीजीआई) ने शुक्रवार को हुई एसईसी बैठक में की गई सिफारिश के आधार पर रविवार को कोविशील्ड ह्यूमन ट्रायल को मंजूरी दे दी.


यह भी पढ़ें : सर्वे में दिखा कोविड का डर, 92% जून के दवा बिलों में तुलसी, शहद, आंवला युक्त इम्यूनिटी बूस्टर ने बनाई जगह


मिनट्स के मुताबिक, कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया था कि ‘वैक्सीन के लिए बाजार का निर्धारण उक्त परीक्षण से निकले क्लीनिकल डाटा के साथ-साथ अन्य देशों से उपलब्ध डाटा पर आधारित होगा.’

एसआईआई ने ऑक्सफोर्ड वैक्सीन के लिए दिग्गज स्वीडिश-ब्रिटिश फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ टाई-अप किया है. कंपनी को 2021 तक कम और मध्यम आय वाले देशों के लिए एक अरब खुराक का निर्माण करने की उम्मीद है.

क्लीनिकल परीक्षण जल्द शुरू होगा

सीडीएससीओ, जो डीसीजीआई के अधीन काम करता है, ने भारत में 1,600 प्रतिभागियों पर ट्रायल की अनुमति दी है, जो 20 से अधिक निर्धारत जगहों पर किया जाएगा. ट्रायल की अनुमति देने का फैसला एसआईआई द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के पहले और दूसरे चरण के परीक्षणों से जुड़े डाटा पर आधारित है.

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘निर्धारित अंतराल पर सुरक्षा और इम्युनोजेनिसिटी के आकलन के लिए प्रत्येक प्रतिभागी को चार हफ्ते के भीतर वैक्सीन की दो खुराक दी जाएंगी. पहली खुराक पहले दिन और दूसरी खुराक 29वें दिन दी जाएगी.’

इम्युनोजेनिसिस का मतलब है किसी बाहरी तत्व के जरिये शरीर को सक्रिय करने और प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया शुरू करने की क्षमता.

कोविड-19 के खिलाफ एक प्रभावी टीका विकसित करने की दौड़ में ऑक्सफोर्ड वैक्सीन कैंडिडेट सबसे आगे है.

एसईसी ने 28 जुलाई को भारत में ह्यूमन ट्रायल शुरू करने के एसआईआई के प्रस्ताव पर फैसला टाल दिया था और कंपनी को पेश किए गए प्रस्ताव के आठ बिंदुओं को फिर काम करने को कहा गया था.

हालांकि, एसआईआई ने अपने प्रस्ताव को ‘कुछ ही घंटों में’ संशोधित कर दिया था, जिसके बाद सीडीएससीओ ने शुक्रवार को एसईसी की एक आपात बैठक बुलाई.

संशोधित प्रोटोकॉल

एक सरकारी अधिकारी ने पूर्व में ही दिप्रिंट को बताया था कि एसआईआई की तरफ से पेश अंतिम प्रस्ताव में, ‘देश के विभिन्न हिस्सों में स्थित पांच और परीक्षण स्थल शामिल किए गए हैं जिससे भारत भर में ट्रायल के लिए चयनित जगहों की संख्या करीब 20 हो गई है.’

इसने निर्देशों के मुताबिक भारत के शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान निकाय, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के साथ हस्ताक्षरित एक सहमति पत्र भी संलग्न किया था.

अधिकारी ने कहा, ‘यह क्लीनिकल ट्रायल की फंडिंग और आईसीएमआर द्वारा वहन किए जाने वाले खर्च के संबंध में है.’

एसईसी की 28 जुलाई को हुई बैठक के मिनट्स के अनुसार, पैनल ने एसआईआई को ‘प्रोटोकॉल का दूसरा चरण और तीसरा चरण सीमांकित’ करने के लिए कहा था. इसने कंपनी से यह भी कहा था कि ट्रायल के लिए चुने जाने वाली प्रस्तावित जगहें ‘पूरे भारत में बंटी होनी चाहिए.’

एसआईआई को यह भी निर्देशित किया गया था कि अन्य वैक्सीन अध्ययनों के साथ दर को बराबर बनाए रखने के लिए 41 प्रतिशत की ड्रॉपआउट दर को संशोधित किया जाए.

इसके अलावा, एसईसी ने फर्म को बता दिया था कि ‘प्रतिरक्षा या तो प्राथमिक या द्वितीयक उद्देश्य होगा.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

share & View comments