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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशकोविड-19 निगेटिव तबलीग़ियों के बच्चों ने दिल्ली सरकार से पूछा- रमज़ान का महीना है, वे क्वारेंटाइन में क्यों हैं

कोविड-19 निगेटिव तबलीग़ियों के बच्चों ने दिल्ली सरकार से पूछा- रमज़ान का महीना है, वे क्वारेंटाइन में क्यों हैं

तबलीग़ी जमात के लगभग 2500 सदस्य मार्च में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज के आयोजन में शामिल हुए थे और जो कि लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में वापस नहीं जा सकने पर उन्हें क्वारंटाइन किया गया था.

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नई दिल्ली: 75 वर्षीय रिजवान अहमद के लिए ये एक मुश्किल रमज़ान है. उन्हें पिछले 30 दिनों से कोरोनावायरस के टेस्ट लगातार तीन बार नेगेटिव आने के बाद भी क्वारंटाइन में रखा गया है. रिजवान और उनकी पत्नी नासिमा, दोनों  तबलीग़ी जमात के सदस्य हैं. दोनों को ही 30 मार्च को दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज से नरेला क्वारंटाइन के लिए लाया गया था. वो तीन स्टेंट वाले ह्रदय रोगी हैं और एक हफ्ते से अपनी दवाएं नहीं ले पा रहे हैं. वह दिप्रिंट को बताते हैं, ‘बाद में यहां के अधिकारियों ने एक दवाई का इंतजाम तो कराया है लेकिन जो दवाई मैं ले रहा था वो ये नहीं है. मैं अपनी दवाइयों को लेकर रिस्क नहीं ले सकता है.’

रिजवान के बेटे खुर्शीद रब्बानी ने बाद में मामला अपने हाथों में लिया और दिल्ली सरकार व प्रधानमंत्री कार्यालय को एक पत्र लिखा. दिप्रिंट के पास उस पत्र की कॉपी है. इसमें लिखा है, ‘मेरे पिता दिल के मरीज हैं और उनकी सारी दवाइयां खत्म हो चुकी हैं. उन्होंने पिछले कई दिनों से अपनी दवाइयां नहीं ली हैं. खुदा ना खास्ता अगर उन्हें कुछ हो जाय तो इस गंभीर मामले की जिम्मेदारी कौन लेगा?’


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गौरतलब है कि तबलीग़ी जमात के लगभग 2500 सदस्य मार्च के महीने में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में शामिल हुए थे और जो लॉकडाउन के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में वापस नहीं जा सके उन्हें क्वारंटाइन रखा गया था.

दिल्ली के नरेला, सुल्तानपुरी, द्वारका, बदरपुर जैसी कई जगहों पर तबलीग़ी जमात के लोगों को रखा गया है. खुर्शीद दिप्रिंट से कहते हैं ‘अगर वो मजदूरों के लिए रेल का इंतजाम करा सकते हैं तो दिल्ली में फंसे तबलीग़ी जमात के लोगों के लिए भी करा सकते हैं.’

दिप्रिंट ने नॉर्थ दिल्ली के डीएम दीपक अर्जुन शिंदे से इस मामले को लेकर बात की. तबलीग़ी जमात के लोगों के कोरोना टेस्ट नेगेटिव आने के बावजूद उन्हें क्वारंटाइन में रखने की बात पर उन्होंने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि जैसे सरकार के निर्देश होंगे, वैसे ही काम किया जाएगा.

 ‘हमें अभी इस तरह का कोई निर्देश मिला नहीं है’, वो कहते हैं.

हालांकि आम आदमी पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि बुधवार को दिल्ली सरकार इस मामले को लेकर एक एप लॉन्च करने वाली है. सभी मजदूर और तबलीगी जमात के लोग, जिनके नतीजे नेगेटिव आए हैं, उन्हें जल्द ही क्वारंटाइन सेंटरों से छोड़ा जाएगा लेकिन एक पूरी प्रक्रिया के तहत.

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े एक अन्य सूत्र ने नाम ना छापने की शर्त पर कहा कि इस मामले को लेकर वो केंद्र सरकार को एक और रिमांडर भेज चुके हैं. वो कहते हैं, ‘हमने केंद्र सरकार को पहले ही भेजा हुआ है. अब एक और रिमांडर भेजा है कि जो तबलीगी नेगेटिव टेस्ट वाले हैं, उन्हें छोड़ा जाए.’

दिप्रिंट ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्रालय से इस मसले पर मेल के जरिए एक आधिकारिक जवाब लेने की कोशिश की लेकिन अभी तक कोई रिस्पॉन्स नहीं आया है. आने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.

नरेला के क्वारंटाइन फैकल्टी में पोस्टेड एक डॉक्टर ने नाम ना छापने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया, ‘तबलीग़ी जमात से जुड़े 50 फीसदी से ज्यादा लोगों के कोरोना के दो टेस्ट नेगेटिव आ चुके हैं. अब उन्हें छोड़ा जा सकता है.’

वो आगे कहते हैं, ‘हमने बाकी तबलीग़ी जमात के लोगों के सैंपल तीन दिन पहले ही भेजे हैं. इनके 14 दिन के क्वारंटाइन के बाद किए गए टेस्ट पॉजिटिव निकले थे. उनकी रिपोर्ट्स का इंतजार है, जो कि तीन दिनों के भीतर आ जाएगी. जैसे ही गृह मंत्रालय से इस मामले पर स्पष्टीकरण आता है, वैसे ही नेगेटिव टेस्ट वालों को छोड़ दिया जाएगा.

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्‍तेहादुल मुसलमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस सप्ताह गृहमंत्री अमित शाह को पत्र  लिखा था कि तेलंगाना के 38 तबलीग़ी जमात के लोगों को छोड़ा जाए जिन्हें 30 मार्च से दिल्ली में क्वारंटाइन में रखा गया है. इससे पहले भी दिल्ली के अल्पसंख्यक आयोग न भी जमात के लोगों के बढ़ाए गए क्वारंटाइन के मामले को उठाया था.

हालांकि उनकी मांग के बावजूद किसी तबलीग़ी को नहीं छोड़ा गया है.

2 अप्रैल को, गृह मंत्रालय ने क्वारंटाइन की समयावधि पूरी कर चुके लोगों के आने-जाने को लेकर एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रॉसिजर भी जारी किया था. इसके मुताबिक, ‘जिन लोगों के कोविड-19 के टेस्ट नेगेटिव आए हैं उन्हें हेल्थ प्रोटोकॉल के हिसाब से क्वारंटाइन से छोड़ा जाए.’ इसमें ये भी लिखा हुआ है, ‘हालांकि ये नियम एक समूह के लोगों पर लागू नहीं होगा लेकिन एक व्यक्ति जिसका टेस्ट पॉजिटिव आता है तो समूह के बाकी लोग घर जाने के इंतजाम खुद करेंगे.’

कई और तबलीग़ी जमात के सदस्यों ने बताया कि वो हैरान और परेशान हैं कि उन्हें क्यों घर नहीं जाने दिया जा रहा है.

‘मेरा पहला कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया था. उसके बाद मेरा इलाज हुआ और मैं पूरी तरह ठीक हो गया. मैंने थेरेपी के लिए अपना प्लाज्मा भी डोनेट किया है. मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मुझे अभी भी यहां क्यों रखा गया है.’


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नरेला के क्वारंटाइन में रखे गए रिजवान अहमद बताते हैं. कई सदस्यों ने पिछले हफ्ते ही कोविड-19 की थेरेपी ट्रीटमेंट के लिए अपना प्लाज्मा डोनेट किया था.

बढ़ाया गया क्वारंटाइन इन तबलीग़ी जमात के लोगों के लिए ही समस्या पैदा नहीं कर रहा बल्कि उनका परिवार भी बाट जोह रहा है.

सहारनपुर के 21 वर्षीय दानिश अंसार बताते हैं कि उनको अपने छह छोटे भाई-बहनों का ध्यान रखना है. दानिश के माता-पिता दोनों को एक महीने से भी ज्यादा समय से क्वारंटाइन में रखा गया है. दानिश कहते हैं कि उन्होंने दिल्ली सरकार से आग्रह किया है कि उनके माता-पिता को जाने दिया जाए.

वो आगे जोड़ते हैं, ‘मैं पहले संभाल ले रहा था लेकिन अब पूरे घर का काम-काज देखना मुश्किल हो रहा है. ऊपर से ये रमज़ान का महीना है तो हमें अपने माता-पिता की याद भी आ रही है.’

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