scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमराजनीतितबलीग़ी जमात ने कोरोना नहीं फैलाया है, धर्म देखकर बीमारी नहीं फैलतीः हेमंत सोरेन

तबलीग़ी जमात ने कोरोना नहीं फैलाया है, धर्म देखकर बीमारी नहीं फैलतीः हेमंत सोरेन

राज्य के बाहर आठ लाख से ज्यादा लोग लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. वह वापस भी आएंगे. ऐसे में देखना होगा कि इन सब हालातों का झारखंड की ये नई सरकार किस तरह सामना करती है.

Text Size:

रांची: तबलीग़ी जमात को लगातार देश में बढ़े कोरोना संक्रमण का कारण बताए जाने पर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा, ‘अगर भारत में जमातियों की वजह से कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ी है, दुनिया भर में तो जमाती नहीं गए हैं. वहां क्यों हालात इतने खराब हैं. बीमारी किसी जात, धर्म को देखकर नहीं आती है. मानसिक तौर पर विकृत लोग इस पर राजनीति कर रहे हैं और भ्रम फैला रहे हैं.’

झारखंड में कोविड-19 के अब तक कुल 32 मरीज मिल चुके हैं. राजधानी रांची का हिंदपीढ़ी इलाका हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित किया जा चुका है. पहला मामला इसी मोहल्ले से आया था. जिसका संबंध तबलीगी जमात से था. इस मोहल्ले से अब तक कुल 17 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं.

हिन्दपीढ़ी में अफवाहों का बाजार बीते कई दिनों से गर्म है. स्वास्थ्य और सफाईकर्मियों के साथ मारपीट की बात सामने आ चुकी है. कई लोगों पर एफआईआर भी किया गया है. साथ ही इलाके को पूरी तरह सील कर दिया गया है. इसको देखते हुए शुक्रवार 17 अप्रैल को सीएम हेमंत सोरेन खुद हिंदपीढ़ी का दौरा करने पहुंचे. यहां से लौटने के बाद उन्होंने दि प्रिंट से खास बातचीत की.

मुख्यमंत्री सोरेने कहते हैं,’चूंकि हिंदपीढ़ी को पूरी तरह लॉक कर दिया गया है. ऐसे में हरेक परिवार को फिलहाल 15 दिन का राशन पहुंचा दिया गया है. अगर लॉकडाउन को बढ़ाने की नौबत आई तो और राशन पहुंचाया जाएगा. लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है.’

हिन्दपीढ़ी मोहल्ले के तहत नगर निगम के कुल तीन वार्ड 21,22 और 23 आते हैं. यहां लगभग 85 हजार वोटर हैं इस लिहाज से सवा लाख से अधिक की आबादी इस मोहल्ले में रहती है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

अखबार में 17 अप्रैल को छपी खबर के मुताबिक राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स जहां कोरोना जांच केंद्र भी बना है, वहां आइसोलेशन वार्ड में सफाईकर्मी बिना हैण्ड ग्लब्स और शू कवर के सफाई करती नजर आई. साथ ही पूरे राज्य में अब तक मात्र 3751 लोगों का ही टेस्ट किया गया है.

हेमंत ने कहा, ‘मैं मानता हूं कि जांच की गति धीमी है. लेकिन पहले से यह तेज हुई है. केंद्र सरकार अगर मदद करे तो हम और तेज कर पाएंगे. क्योंकि जांच केंद्र के लिए भी केंद्र से परमिशन की जरूरत होती है. टेस्ट किट और अन्य जरूरी चीजें आ रही है, आनेवाले समय में बड़ी संख्या में लोगों का टेस्ट किया जा सकेगा.’

खनन कंपनियों पर 50 हजार करोड़ बकाया, केंद्र लौटाए वह पैसा

उन्होंने कहा, ‘लॉकडाउन खत्म होने के बाद झारखंड के हालात और भी खराब होने जा रहे हैं. इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार मदद करे. मनरेगा मद में पैसा बढ़ाए. क्योंकि यहां हम मनरेगा मजदूरों को 200 रुपए भी नहीं दे पाते हैं. जबकि कई विकसित राज्यों में 300 रुपए तक मिलते हैं. ऐसे में ये मजदूर झारखंड में रुकते नहीं है, पलायन कर जाते हैं. ये बात अलग है कि हमने इसके लिए केंद्र से कोई विशेष पैकेज की मांग नहीं की है.’

झारखंड में फिलहाल मनरेगा मजदूरों को 198 रुपया देने का प्रावधान है.

केंद्र सरकार के सामने मदद और पैसों के लिए हाथ फैलाने की नौबत क्यों आई, जबकि डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड में राज्य के पास लगभग पांच हजार करोड़ रुपए हैं? हेमंत कहते हैं, ‘डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड में भले ही पांच हजार करोड़ रुपए हैं, लेकिन इतने कम पैसे से आनेवाले समय का सामना करना मुश्किल है.’

उन्होंने कहा, झारखंड में काम कर रही खनन कंपनियों पर 50 हजार करोड़ बकाया है. इसमें सीसीएल, बीसीसीएल जैसी केंद्र सरकार की कंपनियां शामिल है. अगर ये पैसा केंद्र हमें दे देती है, तो फिर उन विपरीत परिस्थितियों का सामना किया जा सकता है. इसके लिए पीएम मोदी से अनुरोध भी किया है.’

राज्य में पहले से ही बेरोजगारी चरम पर है. ऐसे में बाहर फंसे आठ लाख लोगों में अगर आधे भी आ जाते हैं तो सरकार उनके लिए क्या तैयारी कर रही है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘जहां तक राज्य सरकार की तरफ से तैयारी की बात है तो इसके लिए अधिकारियों को योजना बनाने को कहा गया है. कृषि आधारित उद्योग और लघु उद्योग पर हमारा खासा ध्यान रहेगा.’

खदान बंद हों, प्रकृति से खिलवाड़ भी 

आपने खाने की व्यवस्था राज्य में की है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में उस किचन की पहुंच ना के बराबर है. सरकार में आते ही भूख से मौत के आंकड़े को नकारने लगे हैं, ऐसे में क्या उम्मीद की जानी चाहिए? हेमंत कहते हैं, ‘पूरे राज्य में छह हजार से अधिक जगहों पर खाना बन रहा है. राशनकार्ड वालों को दोगुणा राशन दिया गया है. राज्य सरकार की तैयारी बहुत ज्यादा नहीं, तो कम भी नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों के लिए अब दूध भी पहुंचाया जाएगा.’

बता दें साल 2011 की जनगणना के मुताबिक झारखंड की आबादी 3.3 करोड़ है. इसमें 76 प्रतिशत आबादी ग्रामीण है. हाल ही में गढ़वा जिले में सोमरिया देवी (70) नाम की महिला की मौत हो गई थी. महिला के पति ने दावा किया था कि उसकी पत्नी की मौत भूख से हुई है. वहीं रामगढ़ जिले में भूखल घासी (42) नाम के व्यक्ति की मौत हो गई थी. जिसमें परिजनों ने दावा किया था कि उसकी भूख से मौत हुई है. यही नहीं, पिछले सरकार के कार्यकाल के दौरान आए इस तरह के मामले को वर्तमान सरकार ने ही खारिज कर दिया था. हेमंत सरकार ने माना था कि कोई भी मौत भूख से नहीं हुई है. 

इस बातचीत में सीएम ने चौंकाने वाला बयान भी दिया. उन्होंने कहा कि ‘खदानों से जितनी रॉयल्टी नहीं मिलती, उससे ज्यादा का घाटा होता है राज्य को. इससे बेहतर है कि खदानों को बंद कर देना चाहिए. दुनियाभर के देशों ने उनके यहां चल रहे खदानों को बंद कर दिया है. प्रकृति से खिलवाड़ अब बंद होना चाहिए. कोरोना जैसी बीमारियां उसी खिलवाड़ का नतीजा है.’

मजदूरों को पैसा- सहायता एप

बिहार की तर्ज पर झारखंड में भी बाहर फंसे लोगों के आर्थिक मदद की घोषणा गुरूवार को कई गई. इस संबंध में उन्होंने कहा कि ‘उनके लिए झारखंड कोरोना सहायता एप लांच किया गया है. इसे एनआईसी ने डेवलप किया है. यहां रजिस्टर हुए लोगों को फिलहाल एक हजार रुपया भेजा जाएगा. दो-चार दिनों में आंकड़ा जमा हो जाएगा. इसके बाद राशि भेज दी जाएगी. अगर सक्षम हुए तो पैसा में बढ़ोत्तरी भी करेंगे.’

अधिकारियों द्वारा फोन न उठाने की शिकायत पर हेमंत सोरेन ने कहा, ‘अगर वो केवल फोन उठाएंगे तो बाकि काम कौन करेगा. इसके लिए हमने कॉल सेंटर बनाया है. जहां उनके नंबर पर एक बार में सौ लोगों से बात हो रही है. हमारे पास डेटा आ रहा है, हम लोगों तक मदद पहुंचा रहे हैं. इसके लिए कुछ एनजीओ की मदद भी ली गई है.’

अफवाहों के नियंत्रित न कर पाने को लेकर हेमंत सरकार विपक्षी के हमलों का सामना कर रही है. हर दिन कोरोना के नए मामले आ रहे हैं. राज्य के बाहर आठ लाख से ज्यादा लोग लॉकडाउन खत्म होने का इंतजार कर रहे हैं. वह वापस भी आएंगे. ऐसे में देखना होगा कि इन सब हालातों का झारखंड की ये नई सरकार किस तरह सामना करती है.

(लेखक झारखंड से स्वतंत्र पत्रकार हैं)

share & View comments

4 टिप्पणी

  1. Scientific achievements of Mr Hemant Soren are well known the World Over. He is a leading Expert in Epidemiology and Spread of Viral Diseases. It is the Vote ID Cards that are guiding his Tongue, nothing else. Giving example of spread in rest of the World and comparing it with our Situation is quite Strange. When our so called leaders Have such clarity of thought, single minded focus on Electoral Politics then how can we expect them to provide any Sanity and leadership or the Common man to behave. Where else in the World are people spitting on Police, Medical Staff and Urinating, Defaecating, roaming naked, using obscene language in hospitals.

  2. Meri to jharkhand sarkar se yahi sikayatt ha ki yadi aap Jharkhand ke logo ke liye kuch nahi kar sakte covid-19 mahamri ke baad apni kursi chor de waise v itne dino me apne kya kiya .aap sirf garibi mitane ki bat karte lakin aapne kabhi v Jharkhand ke vikaas ki bat nahi ki ha jabki yaha sabhi state ki tulna me kitna khuch ha .kabhi to vikas badhega garibi hatega ye to bol do.pata ha nahi kar sakte aap lakin

  3. पूरी तरह तब्लीग़ी जिम्मेदार नहीं है लेकिन कोरोना फैलाने वालों में इनकी भूमिका बहुत ज्यादा है गौरतलब है हमारे देश में इस बीमारी का फैलाव में अचानक बढ़ोतरी का कारण यही लोग हैं।

Comments are closed.