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Thursday, 25 April, 2024
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सरकारी आंकड़े के अनुसार विदेशों में जमा काला धन 480 बिलियन डालर के आसपास

उन्होंने कहा कि इन तीनों रिपोर्टों से प्राप्त आंकड़े को जोड़कर गैर अनुमानित इनकम के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचने की कोई गुंजाइश नहीं है.

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नई दिल्ली: सरकार द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि साल 1990 से 2008 तक विदेशों में जमा काला धन 9.41 लाख करोड़ रुपये (216.48 बिलियन डॉलर) है, जो कि कुल जमा काला धन का 10वां हिस्सा है.

यूपीए सरकार द्वारा देश के अंदर और बाहर जमा काले धन की गणना करने के लिए बनाए गए तीन संस्थानों में से एक, नैशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंसियल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) के अनुसार ‘भारत से विदेश में जाने वाला कुल धन जो बिना हिसाब का है काला धन उसका औसतन 10 प्रतिशत है.’

इस राशि की गणना एनआईएफएम ने अगस्त 2014 के ‘वर्तमान मूल्य’ में की थी, जब संस्थान ने अपना अध्ययन एनडीए सरकार को सौंपा था.

दूसरे संस्थानों ने काले धन की अनुमानित राशि की गणना करने का काम किया, जिसने अलग-अलग संख्याएं बताईं.

नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकोनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) के एक अध्ययन के अनुसार, 1980 से 2010 के बीच भारत के बाहर जमा काला धन 384 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 490 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बीच था. यह रिपोर्ट जुलाई 2014 में सरकार को सौंपी गई थी.

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एनसीएईआर की रिपोर्ट के अनुसार, ‘अगर कैपिटल आउटफ्लो (स्टॉक) 498 बिलियन अमेरिकी डॉलर है तो उस हिसाब से कुल अनगिनत धन में इसकी हिस्सेदारी 2.8% आंकी जा सकती है.’

तीसरा अध्ययन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) द्वारा किया गया, जिसमें कहा गया है कि साल 1997-2009 के दौरान देश से बाहर गए अवैध वित्तिय प्रवाह, 7.4 प्रतिशत जीडीपी का केवल 0.2 प्रतिशत था. यह रिपोर्ट दिसंबर 2013 में प्रस्तुत की गई थी.

एनआईपीएफपी ने भारत में मौजूद गैर अनुमानित धन का अनुमान नहीं लगाया.

व्यापक स्तर पर विविधता

2009 में आई एक रिपोर्ट में, वित्त मामलों पर बनी स्थायी समिति ने सुझाया कि मंत्रालय को अवैध इनकम का गहन मूल्यांकन या सर्वेक्षण करना चाहिए.

अक्टूबर 2010 में, तत्कालीन वित्त मंत्री ने उपर्युक्त संस्थानों द्वारा किए जाने वाले इन अध्ययनों के लिए सहमति प्रदान की. उनके रिफरेंस के हिसाब से देश के अंदर और बाहर दोनों जगह जमा काला धन का सर्वेक्षण किया जाना चाहिए.

उन्होंने दिसंबर 2013 और अगस्त 2014 के बीच सरकार को रिपोर्ट सौंपी, लेकिन इन रिपोर्टों को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया. उन्हें 2017 में वित्त समिति के अध्यक्ष वीरप्पा मोइली के साथ साझा किया गया था, जिन्हें समिति सदस्यों के साथ साझा करने से कथित रूप से ‘प्रतिबंधित’ किया गया था.

काले धन की अनुमानित राशि पर किए गए इन अध्ययनों को मुख्य आर्थिक सलाहकार के पास भेजा गया, जिसमें उन्होंने पाया कि ‘आंकड़ों में बहुत ज़्यादा विविधता’ (जीडीपी के संबंध में गैर अनुमानित इनकम का प्रतिशत) थी.

इसलिए, उन्होंने कहा कि इन तीनों रिपोर्टों से प्राप्त आंकड़े को जोड़कर गैर अनुमानित इनकम के बारे में किसी नतीजे पर पहुंचने की कोई गुंजाइश नहीं है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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