scorecardresearch
Friday, 26 April, 2024
होमदेशअर्थजगतटेक्सटाइल हब सूरत अब डिज़ाइनर कपड़ों की जगह 'डिज़ाइनर' मास्क के निर्माण में जुटा है

टेक्सटाइल हब सूरत अब डिज़ाइनर कपड़ों की जगह ‘डिज़ाइनर’ मास्क के निर्माण में जुटा है

गार्मेंट फैक्टरी में एक दिन जहां देखा कि दर्जी प्रोटेक्टिव गियर का निर्माण कर रहे हैं जैसे बॉडी सूट और मास्कस, और हर दिन 500 पीपीई किट तैयार कर रहे हैं.

Text Size:

सूरत: सूरत के आसपास हथकरघा उद्योग पटरी पर वापस आ रहा है.  क्योंकि कपड़ा उद्योग ने लॉकडाउन के दौरान काम फिर से शुरू कर दिया है.

कपड़ा उद्योग, जो लगभग 80,000 करोड़ रुपये का व्यापार है, सूरत में दूसरा सबसे बड़ा आय स्रोत है.

लगातार बढ़े प्रतिबंधों और संक्रमणों के प्रकोप में मद्देनजर यह निरंतर वैसा काम नहीं कर पाया जैसा चल रहा था.

गुजरात महाराष्ट्र के बाद भारत में कोविड -19 से हुई मौत के मामलों में दूसरे स्थान पर है.

इस आपदा के दौरान कई मैनुफैक्चरिंग कंपनियों और डिज़ाइनर कपड़ों के निर्माताओं ने मांग के अनुरूप अपने आप को ढाल लिया है और ऐसे उत्पाद बनाना शुरू कर दिया है जिसकी अभी आवश्यकता है. ऐसी ही एक इकाई है सुनेजा फैशन फैब्रिक्स एंड लाइफस्टाइल, जिसके मालिक मुकेश सुनेजा हैं.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

यह पहले एक परिधान डिजाइन और सिलाई इकाई थी, अब एक सुरक्षा उपकरण (पीपीई) विनिर्माण इकाई में बदल गई है. यहां, पीपीई किट बनाने के लिए कच्चा कपड़ा निर्माताओं से खरीदा जाता है और फिर मशीनों का उपयोग करके मानव शरीर के आकार का रूप दिया जाता है

दिप्रिंट की रिपोर्टर सोनिया अग्रवाल और स्वागता यादवर ने कारखाने की कुछ तस्वीरें ली हैं, जो कोविड -19 वारियर्स के लिए प्रतिदिन 500 पीपीई किट का उत्पादन करती हैं.

काम अलग-अलग भागों में किया जाता है. कुछ लोग कपड़ों को काटने का काम करते हैं तो दूसरे इसे जोड़ कर सिलने का. तैयार होने के बाद दूसरी टीम इसका निरीक्षण करती है/ सोनिया अग्रवाल/ दिप्रिंट
दो टेलर लगातार बॉडी सूट को सिलने से पहले इसकी बाजू, को जोड़ने से लेकर इसमें इलास्टिक, जिप और हुड लगाने का काम करते हैं./सोनिया अग्रवाल/दिप्रिंट
योगिता पटेल 35 साल की हैं और वह पास के ही जिले मेहसाणा से आती हैं. वह इस फैक्ट्री में करीब 8 घंटे बिताती हैं. वह यह धागे का काम करती हैं. इस काम की मदद से वह इस आपदा की घड़ी में परिवार में चार लोगों का पेट भर रही हैं/ सोनिया अग्रवाल/दिप्रिंट
दूसरी टीम तैयार कपड़े का बारीकी से निरीक्षण करती है कि कहीं कोई धागा या गांठ तो नहीं रह गई है. फिर वह इसे काटते हैं.यदि कपड़े पर कोई दाग दिखता है तो वह भी उसे साफ करते हैं और फिर सैनिटाइज करते हैं/सोनिया अग्रवाल/दिप्रिंट
पीपीई सूट पूरी तरह से बन कर तैयार है/सोनिया अग्रवाल/दिप्रिंट
मजदूर लगातार 13 घंटे काम कर रहे हैं जिससे वह एक दिन में 250 मास्क तैयार कर पा रहे हैं/सोनिया अग्रवाल/दिप्रिंट
कंपनी ‘डिजाइनर’ मास्क की अपनी लाइन बनाने के लिए रंगीन कपड़े का उपयोग करती है/ सोनिया अग्रवाल | दिप्रिंट
share & View comments