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Saturday, 2 November, 2024
होमदेशदुश्मन को मारने के लिए आर्मेनिया पहुंच गया था— कैसे दिल्ली पुलिस ने सचिन बिश्नोई की साजिश को विफल कर दिया

दुश्मन को मारने के लिए आर्मेनिया पहुंच गया था— कैसे दिल्ली पुलिस ने सचिन बिश्नोई की साजिश को विफल कर दिया

मार्च 2022 में दुबई भागने के बाद से बिश्नोई पर नज़र रखते हुए, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल ने बाकू में उसका सफलतापूर्वक पता लगाया और उसकी योजना को विफल करते हुए तुरंत उसके प्रत्यर्पण की पहल की.

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नई दिल्ली: गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाला गैंगस्टर सचिन थापन बिश्नोई जब पिछले मई में अजरबैजान के बाकू पहुंचा, तो वह अधिकारियों से बच कर भाग नहीं रहा था, बल्कि वह एक खतरनाक मिशन पर था.

सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी रणनीति में उसके दुश्मन बंबीहा गिरोह के नेता लकी पटियाल को खत्म करने के लिए लाचिन गलियारे के माध्यम से 216 किमी दूर आर्मेनिया में धावा बोलना शामिल था और सर्बिया जाने से पहले बाकू में बेस पर वापस आना था.

हालांंकि, किस्मत ने उसका साथ नहीं दिया क्योंकि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल मार्च 2022 में सचिन के दुबई भागने के बाद से उस पर नज़र रख रही थी. स्पेशन सेल ने बाकू में उसका पता लगा लिया और तुरंत उसके प्रत्यर्पण की पहल की. बाद में पूछताछ से पता चला कि वह वहां हत्या की साजिश रचने गया था. दिप्रिंट को इसकी जानकारी मिली है.

खुफिया तंत्र के एक सूत्र के अनुसार, सचिन बिश्नोई ने पटियाल की हत्या को अंजाम देने के लिए सभी साजो-सामान की व्यवस्था की थी.

सूत्र ने कहा, “मंच तैयार हो चुका था. सारी व्यवस्था हो चुकी थी. उसे सिर्फ इसे अंजाम तक पहुंचाना था लेकिन ऐसा करने से पहले ही उसका पता लगा लिया गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया. फिर उसे सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड के सिलसिले में भारत वापस लाया गया.”

सूत्र ने कहा कि ये जानकारी सचिन ने पूछताछ के दौरान शेयर किए थे.

सूत्र के मुताबिक, सचिन मई 2022 में फर्जी पासपोर्ट पर दुबई भाग गया था. उन्होंने कहा, “पिछले साल मार्च में उसने द्वारका में एक बिल्डर को गोली मार दी थी क्योंकि उसने रंगदारी के रूप में 1 करोड़ रुपये देने से इनकार कर दिया था. जैसे ही पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की, उसने एक फर्जी पासपोर्ट की व्यवस्था की और तिलक राज टोटेजा के नाम पर दुबई भाग गया.”

सूत्र ने कहा, “वह कुछ महीनों तक दुबई में रहा और जून-जुलाई 2022 के बीच वह इस काम के लिए बाकू, अज़रबैजान के लिए रवाना हो गया. हालांंकि, अगस्त 2022 में उसका पता लगा लिया गया और उसे हिरासत में ले लिया गया और वह अपनी योजना को पूरा नहीं कर सका.” बता दें कि सचिन को इसी साल अगस्त में भारत वापस लाया गया था.

सूत्र ने कहा कि सचिन को यह काम उसके चाचा और गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने दिया था, क्योंकि पटियाल बंबीहा गिरोह चलाता है और उसकी मौत गिरोह के लिए एक बड़ा झटका होता. 

लक्की पटियाल की पिछले कई सालों से बिश्नोई गुट से लड़ाई चल रही है. 2016 में पंजाब पुलिस द्वारा एक मुठभेड़ में मारे गए दविंदर बंबीहा की मौत के बाद, वह पटियाल गिरोह के संचालन की देखरेख कर रहा था.

पुलिस सूत्रों ने बताया कि 7 अगस्त 2021 को बंबीहा गिरोह के सदस्यों द्वारा युवा अकाली दल के नेता विक्रमजीत सिंह उर्फ ​​​​विक्की मिद्दुखेड़ा की हत्या के बाद प्रतिद्वंद्विता और खराब हो गई. पंजाब पुलिस द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, पटियाल हत्या का मुख्य साजिशकर्ता था.

फिर 29 मई 2022 को मिद्दुखेड़ा की हत्या का बदला लेने के लिए कथित तौर पर लॉरेंस बिश्नोई सिंडिकेट द्वारा मूसेवाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई. पंजाब के फाजिल्का के रहने वाले सचिन ने अपने फेसबुक पेज पर हत्या की जिम्मेदारी ली.


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‘IPDR विश्लेषण के माध्यम से पता लगाया गया’

सुरक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों के अनुसार, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और खुफिया एजेंसियों ने IPDR (इंटरनेट प्रोटोकॉल विवरण रिकॉर्ड) के संचार के विश्लेषण के माध्यम से बाकू में सचिन की उपस्थिति का पता लगाया.

IPDR किसी यूजर की इंटरनेट एक्टिविटी का रिकॉर्ड है, जिसे इंटरनेट सेवा प्रदाता द्वारा बनाए रखा जाता है, जिसका उपयोग यूजर या कंस्टमर के इंटरनेट यूज को ट्रैक करने के लिए किया जा सकता है. IPDR लॉग में कॉलिंग मोबाइल नंबर, यूजर का पोर्ट नंबर, यूजर का आईपी एड्रेस और सेल टावर आईडी आदि का पता लगाया जाता है, जो एजेंसियों के लिए किसी संदिग्ध का पता लगाने में काम आते हैं.

एक बार जब सचिन का बाकू में पता चला, तो गृह और विदेश मंत्रालय को जानकारी दी गई, जिसके बाद अगस्त 2022 में केंद्रीय जांच ब्यूरो के माध्यम से इंटरपोल द्वारा एक रेड नोटिस जारी किया गया.

रेड नोटिस इंटरपोल द्वारा प्रत्यर्पण का इंतजार कर रहे किसी व्यक्ति का पता लगाने और उसे अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने के लिए जारी किया गया एक अनुरोध है. यह किसी सदस्य देश या अंतरराष्ट्रीय न्यायाधिकरण के अनुरोध पर वैध गिरफ्तारी वारंट के आधार पर इंटरपोल जनरल सचिवालय द्वारा जारी किया जाता है.

सचिन के मामले में, सभी कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने में दोनों देशों को करीब एक साल लग गया, जिसके बाद दिल्ली पुलिस की एक टीम बाकू गई और इस साल अगस्त में उसे भारत ले आई.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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