मुंबई: इस महीने के अंत तक मुंबई मेट्रो के गोरेगांव से बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (BKC) तक पश्चिमी उपनगरों के अंतर्गत नौ रेक हो जाएंगे, क्योंकि शहर की पहली भूमिगत मेट्रो ट्रायल रन शुरू करने के लिए तैयार है. मुंबई के पहले और एकमात्र भूमिगत मेट्रो रेलवे कॉरिडोर के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम है.
BKC के माध्यम से कोलाबा से सीप्ज़ तक 33.5 किलोमीटर का गलियारा शहर की बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से एक है और इसके निर्माण में काफी देरी हुई है.
कोलाबा-बांद्रा-सीपज़ मेट्रो का पहला फेज 12.44 किलोमीटर लंबा होगा, जिसमें गोरेगांव के आरे कॉलोनी, जहां मेट्रो कार डिपो स्थित है, से लेकर BKC बिजनेस डिस्ट्रिक्ट तक दस स्टेशन होंगे.
मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (MMRC) के एमडी अश्विनी भिड़े ने दिप्रिंट को बताया, “आरे से BKC तक पार्ट-1 का काम 93 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. नवंबर के अंत तक हम ट्रायल शुरू करने की कोशिश करेंगे.”
MMRC से मिली जानकारी के अनुसार, परियोजना का दूसरा फेज, BKC से कोलाबा तक, पहले फेज को सार्वजनिक उपयोग के लिए खोले जाने के छह महीने बाद चालू किया जाएगा.
संपूर्ण कोलाबा-बांद्रा-सीपज़ कॉरिडोर, जिस पर काम 2016 में शुरू हुआ था, को कई विवादों और देरी का सामना करना पड़ा है, जिनमें से सबसे प्रमुख कार डिपो बनाना शामिल है. आरे में मेट्रो डिपो के प्रस्ताव के चलते – जिसे मुंबई का ‘हरित फेफड़ा’ माना जाता है – 2019 में नागरिकों के एक समूह ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था. यह मुद्दा शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के बीच एक राजनीतिक मुद्दा भी बन गया, जो आरे का विरोध कर रहा था. भारतीय जनता पार्टी भी इसके पक्ष में थी.
यह मेट्रो लाइन महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मुंबई के कई वाणिज्यिक केंद्रों जैसे सीप्ज़, BKC, अंधेरी, लोअर परेल और कफ परेड को जोड़ेगी. साथ ही मुंबई हवाई अड्डे से कनेक्टिविटी में भी सुधार होगा.
जबकि परियोजना की मूल लागत 23,136 करोड़ रुपये थी, पिछले साल अगस्त में राज्य कैबिनेट ने कथित तौर पर परियोजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये की मंजूरी दी थी.
ट्रायल शुरू हो गया है
MMRC के एक अधिकारी ने कहा कि निगम को फेज-1 पर परिचालन के लिए आवश्यक सभी नौ रेक मिल गए हैं. पहली ट्रेन अगस्त 2022 में मुंबई पहुंची और MMRC को 4 नवंबर को नौवीं और अंतिम ट्रेन की डिलीवरी मिली. रेक का निर्माण श्री सिटी आंध्र प्रदेश में किया गया था और वर्तमान में आरे मेट्रो कार डिपो में इसे पार्क किया गया है.
पहली रेक के आने के बाद MMRC ने आरे के सारिपुत नगर में एक छोटा ट्रायल रन भी किया था.
पिछले महीने, MMRC ने एक बड़ा मील का पत्थर हासिल किया जब उसने MIDC से विद्यानगरी से लेकर सीप्ज़ तक 17 किलोमीटर की दूरी पर ट्रेन की आवाजाही का ट्रायल किया.
ऊपर मौजूद MMRC अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि ट्रेन की आवाजाही “पटरियों, ओवरहेड संपर्क प्रणाली, रोलिंग स्टॉक, फिटमेंट संरचना, ट्रैकसाइड बुनियादी ढांचे, प्लेटफ़ॉर्म स्क्रीन दरवाजे” सहित बुनियादी ढांचे का परीक्षण करने के लिए थी.
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अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, “इस उद्देश्य के लिए ओवरहेड विद्युतीकरण को 25 KV तक चार्ज किया गया और ट्रेन सफलतापूर्वक निर्धारित मार्ग पर चली गई. वास्तविक परीक्षण शुरू होने से पहले ट्रेन की आवाजाही एक महत्वपूर्ण गतिविधि है.”
MMRC अब रेल मंत्रालय की एक शाखा, रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑपरेशन (RDSO) द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार इस महीने के अंत तक ट्रायल रन शुरू करने की उम्मीद कर रही है, जो रेलवे के तकनीकी सलाहकार और सलाहकार के रूप में काम करता है.
एक बार RDSO ट्रायल खत्म हो जाने के बाद MMRC रोलिंग स्टॉक का परीक्षण करने और कॉरिडोर को अंतिम सुरक्षा प्रमाणन देने के लिए मेट्रो रेल सुरक्षा आयुक्त से संपर्क करेगा.
MMRC अधिकारी ने कहा कि पहले फेज से संबंधित दूसरे सभी काम दिसंबर तक काफी हद तक पूरे हो जाएंगे.
आरे डिपो का काम 83% पूरा
मुंबई के पहले भूमिगत मेट्रो कॉरिडोर के लिए कार डिपो के जगह के लिए एक दशक से अधिक समय से विवाद रहा है.
जब इस परियोजना की पहली बार एक दशक से अधिक समय पहले योजना बनाई गई थी, तो राज्य सरकार ने अस्थायी रूप से कार डिपो के लिए आरे कॉलोनी में साइट पर बनाने का फैसला किया था.
अप्रैल 2012 में इस परियोजना पर सुझाव और आपत्तियां सुनने के लिए एक सार्वजनिक बैठक के दौरान शहर के एक पर्यावरणविद् ने प्रस्तावित शेड की जगह पर आपत्ति जताई, लेकिन आरे को बचाने का मुद्दा 2015 तक गति नहीं पकड़ सका. हालांकि 2014 में, तत्कालीन कांग्रेस सरकार और अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने आरे में प्रस्तावित कार डिपो के साथ परियोजना के लिए एक भूमि पूजन समारोह आयोजित किया था.
2020 में, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (MVA), जिसमें तत्कालीन अविभाजित शिवसेना और NCP और कांग्रेस शामिल थी, ने आरे कार डिपो को खत्म करने और कार शेड के स्थान को कांजुरमार्ग में ट्रांसफर करने का ‘नीतिगत निर्णय’ लिया.
दो साल बाद शिवसेना पार्टी टूट गई. एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोही गुट ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिलाया. शिंदे के मुख्यमंत्री रहते नई सरकार ने अपनी पहली कैबिनेट बैठक में पिछली MVA सरकार के फैसले को पलट दिया और कार शेड को वापस आरे में ट्रांसफर कर दिया.
आरे में पेड़ काटने का मुद्दा अदालती लड़ाई में उलझा हुआ था और सुप्रीम कोर्ट ने इस साल अप्रैल में ही MMRC को कार डिपो के लिए वहां पेड़ काटने की अनुमति दे दी थी.
MMRC से मिली जानकारी के मुताबिक, 31 अक्टूबर तक आरे कार डिपो का करीब 83 फीसदी काम पूरा हो चुका था.
MMRC के एक दूसरे अधिकारी ने कहा कि कुछ मीटर की दूरी है जो कार डिपो को मेट्रो कॉरिडोर से जोड़ती है जहां काम अभी भी धीमा है.
परियोजना के दूसरे फेज के लिए – बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स से कोलाबा तक – लगभग 80 प्रतिशत काम हो चुका है, जिसमें मेनलाइन ट्रैक का आधा काम और सिस्टम से संबंधित काम पहले ही पूरा हो चुका है.
(संपादन: ऋषभ राज)
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